Ganesh Chaturthi 2024: भगवान गणेश हिंदू धर्म में न केवल विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में पूजे जाते हैं, बल्कि उनका नाम हर शुभ काम से पहले लिया जाता है। सभी देवताओं में उनका स्वरूप अनोखा और स्वभाव विलक्षण है। उनके स्वरूप में मौजूद सभी तत्वों के गहरे अर्थ माने गए हैं, जो हमें जीवन के कई पहलुओं के बारे में बताते हैं। आइए जानते हैं, विघ्नहर्ता श्री गणेश के अनूठे रूप का रहस्य क्या है और उनके गज-मस्तक, मोदक, मूषकराज समेत उनसे जुड़ी अन्य वस्तुओं के क्या मायने हैं?
हाथी का सिर
गज-मस्तक यानी हाथी का सिर भगवान गणेश की सबसे प्रमुख पहचान है, जो उन्हें देव समूह में सबसे अलग बनाती है। भगवान गणेश के हाथी के सिर को बुद्धि, शक्ति और धैर्य का प्रतीक माना गया है। कहते हैं, जिस प्रकार हाथी बाधाओं को पार करने में माहिर होते हैं, ठीक उसी तरह जैसे गणेश जी अपने भक्तों के जीवन से बाधाओं को दूर करते हैं।
मोदक और लड्डू
मोदक भगवान गणेश जी को प्रिय भोग है। इसे आनंद, सुख और संतुष्टि का प्रतीक है, जो बताता है कि जीवन में आनंद लेना और संतुष्ट रहना कितना महत्वपूर्ण है। भगवान गणेश को मोदक के अलावा लड्डू भी पसंद है, जो बूंदी से बनते हैं। इसका अर्थ यह है कि हमें जीवन में छोटी-छोटी खुशियों को भी महत्व देना चाहिए।
आशीर्वाद मुद्रा वाला हाथ
भगवान गणेश का एक हाथ हमेशा आशीर्वाद और अभय मुद्रा में होता है, सभी भक्तों पर आशीर्वाद बरसाता है। उनके आशीर्वाद से मनुष्य मात्र को जीवन में सफलता, समृद्धि और सुख प्राप्त होते हैं।
पाश और अंकुश
भगवान गणेश के एक हाथ में पाश और दूसरे में अंकुश होता है। पाश अनुशासन का प्रतीक है और अंकुश आत्म-नियंत्रण का। यह हमें बताता है कि जीवन में सफल होने के लिए अनुशासन और आत्म-नियंत्रण बहुत जरूरी हैं।
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शुभ और लाभ
भगवान गणेश के दाएं और बाएं शुभ और लाभ लिखा जाता है। ये दोनों भगवान गणेश की पत्नियां सिद्धि और ऋद्धि के पुत्र हैं। सुखकर्ता श्री गणेश शुभ और लाभ के देवता माने गए हैं। ये जीवन में शुभता और समृद्धि के प्रतीक हैं।
मूषकराज
मूषकराज भगवान गणेश के वाहन हैं। इसको विनम्रता और सादगी का प्रतीक माना गया है। इससे यह सीख मिलती है कि जीवन में सादगी से रहना चाहिए। साथ ही भगवान गणेश का मूषकराज पर अटूट विश्वास है, जो हमें भी विश्वास के महत्व को समझाता है। कुछ विद्वानों के अनुसार, मूषकराज चंचल मन के भी प्रतीक हैं, जिसे बुद्धिरूपी भगवान गणेश से साधा जा सकता है।
भगवान गणेश की सूंड़
विद्वानों के अनुसार, भगवान गणेश की सक्रियता और जीवंतता का प्रतीक है। यह इस बात का संदेश देती है कि मनुष्य को वन में हमेशा सक्रिय रहना चाहिए। हमेशा सक्रिय रहने वाले व्यक्ति को कभी दुख और गरीबी का सामना नहीं करना पड़ता है।
विशाल कान
भगवान गणेश गज मस्तक के स्वामी हैं और साथ ही वे गज कर्ण भी हैं। उनके विशाल बुद्धि-विवेक से सब कुछ सुनने और ग्रहण करने का प्रतीक माना जाता है।
लंबोदर
भगवान गणेश की पेट बहुत बड़ी और लंबी है। इसलिए वे लंबोदर भी कहलाते हैं। प्रायः इसे खुशहाली का प्रतीक माना जाता है, लेकिन यह खुशहाली ऐसे ही नहीं आती है। इसके लिए हर अच्छी और खराब बात को पचाना होता है और सूझबूझ से निर्णय लेना होता है।
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