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Dussehra 2025: इन 10 बुराइयों के प्रतीक हैं रावण के दशमुख, इस दशहरे करें इन सभी बुरी आदतों का अंत

Dussehra 2025: रावण के 10 सिर थे. इस वजह से रावण को दशानन भी कहा जाता है. रावण के दस सिरों को 10 बुराइयों का प्रतीक माना जाता है. हालांकि, रावण के सिरों को लेकर अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं.

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : News24 हिंदी Updated: Sep 26, 2025 20:15
Dussehra 2025
Credit - Social Media

Dussehra 2025: रावण के दस सिर थे. धर्म शास्त्रों में रावण को अहंकारी, लालची और अधर्म का प्रतीक बताया गया है. रामायण में रावण के द्वारा किए गए सभी बुरे कामों के बारे में बताया गया है. रावण के 10 सिरों को 10 बुराइयों का प्रतीक माना जाता है. रावण के दस सिर किन बुराइयों का प्रतीक है चलिए आपको बताते हैं. आपको इस दशहरे अपने भीतर से इन बुराइयों का अंत करना चाहिए. इस साल दशहरा 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा.

इन 10 बुराइयों का प्रतीक हैं रावण के दस सिर

  • काम वासना का प्रतीक

रावण का एक सिर काम वासना का प्रतीक माना जाता है. रावण ने अनैतिक इच्छा और वासना के लिए अनैक रानियों से विवाह किया और सीता माता को पाने की लालसा रखी. बाद में यहीं उसकी मृत्यु का कारण बना.

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  • क्रोध का प्रतीक

रावण क्रोध में आकर अपनी इच्छाओं के लिए कुछ भी कर सकता था. वह क्रोध में बहुत ही क्रूर बन जाता था. इस वजह से ही रावण का पतन हुआ.

  • लोभ करना

लोभ करना रावण की बुरी आदत थी. वह संसार को अपने अधिकार में करना चाहता था. इसी लालच ने रावण को अनैतिक मार्ग पर धकेल दिया.

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  • मोह करना

रावण को अपनी शक्ति, साम्राज्य और संपत्ति के प्रति बहुत मोह था. इंसान को किसी से भी इतना मोह नहीं करना चाहिए. इसमें इंसान सही-गलत का अंतर भूल जाता है.

  • अंहकार करना

रावण को अपनी शक्तियों पर अहंकार था. इसी घमंड में रावण ने भगवना राम को चुनौती दे दी थी. अहंकार इंसान का शत्रु होता है इसका त्याग करना चाहिए.

  • मद में चूर

रावण अपने मद में चूर रहता था. उसे सही-गलत का फर्क नहीं पड़ता था. उसे अपनी शक्तियों और वीरता पर अधिक गर्व था बाद में यही उसकी मृत्यु का कारण बने.

  • ईर्ष्या और जलन

दूसरों से ईर्ष्या यानी जलन होना बुरी आदत है. रावण को दूसरों से ईर्ष्या होती थी. वह राम की भक्ति और सीता की पवित्रता से ईर्ष्या करता था.

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  • चिंता करना

रावण युद्ध के समय बाहरी रूप से शक्तिशाली होने के बाद भी भीतर-भीतर चिंता में था. यह चिंता उसे चैन से जीने नहीं दे रही थी.

  • द्वेष की भावना

वह द्वेष की भावना में रहता था. रावण दूसरों के प्रति नफरत और प्रतिशोध की भावना भरा रहता था. वह कभी किसी की गलती माफ नहीं करता था.

  • अज्ञानता

रावण का एक सिर अज्ञानता का प्रतीक माना जाता है. रावण के सभी 10 सिर इन सभी बुराइयों के प्रतीक माने जाते हैं. इंसान को अपने भीतर की इन सभी बुराइयों का अंत करना चाहिए.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Sep 26, 2025 07:08 PM

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