Chanakya Niti: भारत के महान विचारक और राजनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य का जीवनदर्शन आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका लिखा ‘चाणक्य नीति’ एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें जीवन, व्यवहार, राजनीति, शिक्षा और आध्यात्म का गहरा समावेश है। आइए जानते हैं, उनकी 10 ऐसी शिक्षाएं जो हर कठिन समय में आपका मार्गदर्शन करेंगी और सफलता की राह दिखाएंगी।
धर्म और दयाहीन व्यक्ति से रहें दूर
चाणक्य कहते हैं, ‘जो व्यक्ति धर्म और दया से रहित हो, वह समाज और आत्मा दोनों के लिए हानिकारक होता है।’ ऐसे लोगों से दूर रहना ही बुद्धिमानी है क्योंकि वे न तो किसी का भला सोचते हैं और न ही किसी का साथ निभाते हैं।
सोच-समझकर चुनें गुरु
जिस गुरु के पास आत्मज्ञान न हो, उससे ज्ञान की अपेक्षा करना व्यर्थ है। सही गुरु ही जीवन का सही मार्ग दिखा सकता है। केवल बाहरी दिखावे से प्रभावित होकर गुरु न चुनें।
स्वास्थ्य को दें सर्वोच्चता
जब तक शरीर स्वस्थ है और आप उसे नियंत्रित कर सकते हैं, उसी समय आत्मज्ञान की ओर बढ़ना चाहिए। बीमार शरीर न मन को नियंत्रित कर सकता है न आत्मा को समझ सकता है।
विद्या है सबसे बड़ा गुप्त धन
चाणक्य कहते हैं, ‘विद्या वह धन है जो न चोरी हो सकता है, न बांटा जा सकता है।’ यह हर संकट में आपके साथ खड़ी रहती है। विद्या जितनी बांटेंगे, उतनी बढ़ेगी।
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संतों के सत्संग से होगा उद्धार
जो लोग साधुओं का संग करते हैं, उनमें श्रद्धा, भक्ति और संयम विकसित होते हैं। इससे न केवल उनका जीवन सुधरता है, बल्कि उनका कुल भी पुण्य का भागी बनता है।
तप अकेले, अभ्यास साथ में
चाणक्य कहते हैं, ‘तपस्या एकांत में करें ताकि ध्यान भंग न हो। लेकिन अभ्यास जैसे युद्ध, गायन या कृषि जैसे काम समूह में करने चाहिए, ताकि श्रेष्ठ परिणाम मिल सके।’
रिश्तों में प्रेम नहीं, तो दूरी बेहतर
चाणक्य स्पष्ट रूप से कहते हैं, ‘जिस पत्नी में प्रेम न हो, वह सिर्फ बंधन है।’ इसी तरह वे रिश्तेदार जो स्नेह, आदर और सत्कार न दिखाएं, उनसे दूरी बनाए रखना ही सुखद जीवन का रहस्य है।
अपमान का समझदारी से दें जवाब
चाणक्य का मानना है कि किसी के अपमान का जवाब गुस्से से नहीं, बल्कि बुद्धि से दिया जाना चाहिए। मौन भी एक प्रकार का उत्तर होता है।
सबसे मिलें, पर संभलकर
हर किसी से अच्छा व्यवहार करें, लेकिन अपना मन और रहस्य हर किसी से साझा न करें। चाणक्य नीति बताती है कि मित्रता में भी विवेक जरूरी है।
समय का सदुपयोग है सफलता की कुंजी
चाणक्य कहते हैं, ‘जो व्यक्ति समय का सही उपयोग करता है, वही जीवन में आगे बढ़ता है।’ आलस्य, टालमटोल और अनावश्यक सुख की चाह इंसान को पीछे धकेलती है।
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