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Bhadrapada Purnima: भाद्रपद पूर्णिमा कब? जानें लक्ष्मी-नारायण की पूजा का मुहूर्त और चन्द्रोदय का समय

Bhadrapada Purnima 2025: हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है, जिस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान नारायण और चंद्र देव की पूजा की जाती है। हालांकि, इस बार भाद्रपद पूर्णिमा तिथि को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। चलिए जानते हैं भाद्रपद पूर्णिमा की सही तिथि, महत्व और पूजा के मुहूर्त आदि के बारे में।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Nidhi Jain Updated: Aug 29, 2025 14:39
Bhadrapada Purnima
Credit- news 24 Gfx

Bhadrapada Purnima 2025: सनातन धर्म के लोगों के लिए साल में आने वाली प्रत्येक पूर्णिमा का खास महत्व है। ये दिन तप-त्याग के लिए उत्तम माना जाता है। साल 2025 में सितंबर माह में भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा, जो वर्ष की छठवीं पूर्णिमा है। भाद्रपद पूर्णिमा पर भगवान विष्णु यानी नारायण जी और धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही चंद्र की उपासना करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा इस दिन सत्यनारायण कथा का पाठ भी जरूर करना चाहिए। जहां कुछ लोग इस दिन निर्जला उपवास रखते हैं, वहीं कई जातक फलाहारी व्रत भी रखते हैं।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत से न सिर्फ व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि मानसिक शांति और पारिवारिक सुख की प्राप्ति भी होती है। हालांकि, कुछ लोग चंद्र दोष से मुक्ति पाने के लिए भी भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत रखते हैं। आइए अब जानते हैं भाद्रपद पूर्णिमा की सही तिथि, पूजा के मुहूर्त और चन्द्रोदय के समय आदि के बारे में।

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भाद्रपद पूर्णिमा 2025 में कब है?

द्रिक पंचांग के अनुसार, साल 2025 में 7 सितंबर को सुबह 01:41 मिनट से लेकर देर रात 11:38 मिनट तक भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि रहेगी। ऐसे में 7 सितंबर 2025, वार रविवार को भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा। इस दिन पूजा का ब्रह्म मुहूर्त सुबह में 04:31 से लेकर 05:16 मिनट तक है, जबकि अभिजित मुहूर्त सुबह 11:54 से लेकर दोपहर 12:44 मिनट तक है।

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भाद्रपद पूर्णिमा की पूजा विधि

  • प्रातः काल में जल्दी उठें।
  • स्नान आदि कार्य करने के बाद शुद्ध पीले रंग के कपड़े धारण करें।
  • हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें।
  • विष्णु जी के सत्यनारायण रूप और मां लक्ष्मी की पूजा करें।
  • देसी घी का एक दीपक जलाएं।
  • देवी-देवताओं को फूल, फल, मिठाई, पीले रंग के कपड़े, अक्षत और पंचामृत अर्पित करें।
  • विष्णु मंत्रों का जाप करें और सत्यनारायण की कथा सुनें या पढ़ें।
  • देवी-देवताओं की आरती करें।
  • संध्या तक व्रत रखें।
  • शाम में चंद्र देव की पूजा करने के बाद व्रत का पारण करें।

भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत कब खोलें?

भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत शाम में चंद्र देव की पूजा करने के बाद खोला जाता है। 7 सितंबर को शाम 6 बजकर 26 मिनट के आसपास चन्द्रोदय होगा, जिसके बाद व्रत का पारण करना शुभ रहेगा। हालांकि व्रत का पारण करने से पहले चंद्र देव को पानी से अर्घ्य दें। साथ ही उन्हें सफेद मिठाई या खीर का भोग लगाएं। बता दें कि भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत कोई मीठी चीज को खाकर ही खोला जाता है। इसलिए चंद्र देव को भोग लगाने के बाद मिठाई या खीर खाएं और फिर पानी पिएं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Aug 29, 2025 02:38 PM

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