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नहाए बिना कभी न करें ये 8 काम, शास्त्रों के अनुसार हो सकते हैं ये नुकसान

Astro Tips: हिंदू धर्म शास्त्रों में कुछ ऐसे काम बताए गए हैं, जिनको बिना नहाए कभी भी नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि इन कामों को करने से पुण्य खत्म होते हैं और कई प्रकार की समस्याओं का समाना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि नहाए बिना कौन से काम नहीं करने चाहिए।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Jun 1, 2025 17:03
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Astro Tips: हिंदू शास्त्रों में स्वच्छता को बहुत महत्व दिया गया है। नहाना न केवल शारीरिक स्वच्छता के लिए आवश्यक है, बल्कि यह आत्मिक और आध्यात्मिक शुद्धता का भी प्रतीक है। शास्त्रों में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि कुछ कार्यों को करने से पहले स्नान करना अनिवार्य है, क्योंकि बिना स्नान के ये कार्य अशुभ माने जाते हैं और इनका फल प्राप्त नहीं होता है।

हिंदू धर्म में स्नान को शुद्धिकरण का प्रथम चरण माना गया है। मनुस्मृति अध्याय 5 के श्लोक 85 के अनुसार स्नान से शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं, जिससे व्यक्ति धर्म, कर्म और पूजा के लिए तैयार होता है। विष्णु पुराण और गरुड़ पुराण में भी स्नान को पवित्रता का आधार बताया गया है। बिना स्नान के किए गए कार्यों को अपवित्र माना जाता है, और वे फलदायी नहीं होते है। स्नान न केवल शारीरिक गंदगी को दूर करता है, बल्कि नकारात्मक ऊर्जा को भी हटाता है, जिससे व्यक्ति की सात्विकता बढ़ती है। आइए जानते हैं कि शास्त्रों में किन कामों को करने से पहले नहाना अनिवार्य बताया गया है?

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पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान

शास्त्रों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पूजा, हवन, जप, तप या किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को करने से पहले स्नान अनिवार्य है। मनुस्मृति अध्याय 2 के श्लोक 222 के अनुसार बिना स्नान के पूजा निष्फल हो जाती है। स्कंद पुराण के अनुसार भी बिना शुद्धि के देवताओं की पूजा स्वीकार नहीं होती है। स्नान के बिना पूजा करने से मन अशुद्ध रहता है, और भगवान के प्रति श्रद्धा में कमी आती है।

मंदिर में प्रवेश

मंदिर में प्रवेश करने से पहले स्नान करना अनिवार्य माना गया है। भागवत पुराण अध्याय 11 के श्लोक 35 के अनुसार मंदिर में प्रवेश करने से पहले शरीर और मन की शुद्धि आवश्यक है। बिना स्नान के मंदिर में प्रवेश करने से पवित्र स्थान की ऊर्जा प्रभावित हो सकती है। यह नियम विशेष रूप से तीर्थ स्थानों पर लागू होता है।

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यज्ञ और हवन

यज्ञ और हवन जैसे कर्मकांडों में स्नान की अनिवार्यता पर जोर दिया गया है। यजुर्वेद अध्याय 1 के मंत्र 10 के अनुसार यज्ञ करने से पहले स्नान करना आवश्यक है। बिना स्नान के यज्ञ करने से वह अपवित्र माना जाता है, और इसका फल प्राप्त नहीं होता है। गरुड़ पुराण में भी हवन से पहले स्नान का महत्व बताया गया है।

भोजन बनाना और खाना

हिंदू शास्त्रों में भोजन को अन्नपूर्णा का प्रसाद माना जाता है। मनुस्मृति अध्याय 5 के श्लोक 139 के अनुसार भोजन बनाने और खाने से पहले स्नान करना चाहिए, क्योंकि यह अन्न की पवित्रता को बनाए रखता है। विशेष रूप से अगर भोजन भगवान को अर्पित किया जा रहा है, तो स्नान के बिना रसोई में प्रवेश करना भी अशुभ माना जाता है।

शुभ कार्य और संस्कार

विवाह, मुंडन, नामकरण, उपनयन जैसे शुभ कार्यों और संस्कारों से पहले स्नान अनिवार्य है। गृह्यसूत्रों में उल्लेख है कि संस्कारों के समय शुद्धि के लिए स्नान आवश्यक है। बिना स्नान के इन कार्यों को करने से उनका शास्त्रीय महत्व कम हो जाता है। विष्णु पुराण में भी शुभ संस्कारों से पहले स्नान का उल्लेख मिलता है। यहां तक कि मृत्यु के बाद जलाने पहले शव को भी स्नान कराया जाता है।

वेद और शास्त्रों का अध्ययन

वेद, उपनिषद, और अन्य शास्त्रों का अध्ययन करने से पहले स्नान करना अनिवार्य है। यजुर्वेद अध्याय 2 के मंत्र 4 के अनुसार ज्ञान प्राप्ति के लिए मन और शरीर की शुद्धि जरूरी है। बिना स्नान के शास्त्रों का अध्ययन करने से ज्ञान की प्राप्ति में बाधा आती है।

तीर्थ यात्रा और दान-पुण्य

तीर्थ यात्रा पर जाने से पहले और दान-पुण्य करने से पहले स्नान करना चाहिए। स्कंद पुराण के अनुसार स्नान के बाद तीर्थ दर्शन का पूर्ण फल प्राप्त होता है। इसी तरह, दान करने से पहले स्नान करने से दान का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।

गुरु या संतों से मिलना

गुरु या संतों से मिलने से पहले स्नान करना शास्त्रों में अनिवार्य बताया गया है। भगवद्गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 के अनुसार गुरु की सेवा और सम्मान के लिए शुद्धता आवश्यक है। बिना स्नान के गुरु से मिलना असम्मान माना जाता है।

स्नान के प्रकार और नियम

शास्त्रों में स्नान के विभिन्न प्रकार बताए गए हैं, जो नित्य स्नान, नैमित्तिक स्नान, और काम्य स्नान है। मनुस्मृति अध्याय 5 के श्लोक 86 में नित्य स्नान को रोजाना सुबह करने को शुभ बताया गया है। स्नान करते समय ‘ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिंधु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु’ मंत्र का जाप करने से स्नान का प्रभाव बढ़ता है।

विशेष परिस्थितयों में बताए गए हैं नियम

कुछ विशेष परिस्थितियों में जैसे बीमारी या जल की अनुपलब्धता के समय शास्त्रों में स्नान के विकल्प दिए गए हैं। गरुड़ पुराण में उल्लेख है कि ऐसी स्थिति में मानसिक स्नान मन से शुद्धता की भावना या तिलक लगाकर शुद्धि की जा सकती है। हालांकि, सामान्य परिस्थितियों में स्नान को टालना उचित नहीं है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी शास्त्रों मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Jun 01, 2025 05:03 PM

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