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Ashadha Amavasya Upay: क्या आप पितृ दोष से परेशान हैं? आषाढ़ अमावस्या पर करें ये 5 उपाय, प्रसन्न होंगे पितर और पूर्वज

Ashadha Amavasya Upay: इस साल आषाढ़ अमावस्या 25 जून, 2025 को पड़ रही है। यह अमावस्या सिर्फ एक तिथि नहीं, बल्कि पूर्वजों से जुड़ने और उनके आशीर्वाद को आमंत्रित करने और पाने का उपयुक्त दिन है। इस दिन श्रद्धा और सच्चे मन से किए गए उपाय न केवल पितरों को प्रसन्न करते हैं बल्कि जीवन ऊर्जा को सकारात्मकता से भर देते हैं। आइए जानते हैं, क्या हैं ये उपाय?

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Shyamnandan Updated: Jun 19, 2025 13:44
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Ashadha Amavasya Upay: हिंदू धर्म में आषाढ़ अमावस्या, जो इस बार 25 जून 2025 को पड़ रही है, का विशेष महत्व है। यह दिन पितरों की आत्मा को शांति और संतुष्टि देने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पितरों की ऊर्जा पृथ्वी पर सक्रिय रहती है और इस दिन किया गया श्राद्ध या तर्पण कई गुना फल देता है। यदि आप पितृ दोष से पीड़ित हैं या पूर्वजों की कृपा चाहते हैं, तो यह दिन श्रेष्ठ अवसर है। द्रिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ कृष्ण अमावस्या 24 जून को सायं 6:59 बजे प्रारंभ होकर 25 जून को अपराह्न 4:00 बजे तक रहेगी। आइए जानते हैं ऐसे 5 सरल और प्रभावी उपाय जो पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं:

पवित्र स्नान और जल तर्पण

आषाढ़ अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी (जैसे गंगा, यमुना, गोदावरी) में स्नान करें। यदि यह संभव न हो तो नहाने के जल में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं। इसके बाद पूर्वजों के नाम पर जल अर्पित करें। जल में काले तिल, कुशा और सफेद पुष्प मिलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके तर्पण करें और उन्हें याद कर श्रद्धा से प्रार्थना करें।

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सरसों तेल का दीपक और जीवों को भोजन

इस दिन घर की दक्षिण दिशा में सरसों तेल का दीपक जलाएं, जिसमें काले तिल डालें। साथ ही, कौए, कुत्ते, गाय और चिड़ियों को रोटी, चावल या गुड़ खिलाएं। मान्यता है कि ये जीव पितरों के दूत होते हैं और इनके माध्यम से पितरों तक अन्न की तृप्ति पहुंचती है।

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काले तिल और चावल से पितृ तर्पण

स्नान के बाद छत या आंगन में सफेद कपड़ा बिछाएं। उस पर काले तिल और चावल रखें और दीपक जलाएं। फिर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके 11 बार यह मंत्र बोलें- ‘ॐ पितृदेवताभ्यः नमः’। यह प्रक्रिया न केवल पितरों को तृप्त करती है बल्कि आपके जीवन में शांति और सुख समृद्धि भी लाती है।

ब्राह्मण भोजन और वस्त्र दान

इस दिन किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा देने से पितरों को विशेष तृप्ति मिलती है। यदि ब्राह्मण नहीं मिलें तो किसी भूखे, असहाय या वृद्ध व्यक्ति को भोजन और वस्त्र दें। यह कर्म ‘पिण्डदान’ के समान फलदायी माना जाता है।

पीपल वृक्ष की पूजा और दीपदान

आषाढ़ अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा करें। पेड़ पर जल चढ़ाएं, कच्चा दूध और गंगाजल अर्पित करें। फिर उसके नीचे दीपक जलाकर ‘ॐ नमः भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें। यह उपाय पितृ दोष के साथ-साथ अन्य ग्रह दोषों को भी शांत करता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jun 19, 2025 01:42 PM

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