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Adhik Maas 2026: 13 महीने का साल, 60 दिन का महीना, जानें अधिकमास का पूरा विज्ञान; नोट कर लें सही डेट और महत्व

Adhik Maas 2026: अधिकमास हर 3 साल में आने वाला एक खास खगोलीय महीना है, जो साल को 13 महीने और लगभग 60 दिन का बना देता है. यह क्यों होता है? 2026 में इसकी सही तिथि क्या है और इसका आध्यात्मिक महत्व क्या बताता है? जानें अधिकमास से जुड़ा पूरा विज्ञान और इससे जुड़े जरूरी नियम.

Author Written By: Shyamnandan Updated: Dec 10, 2025 10:41
Adhik-Maas-2026

Adhik Maas 2026: हिन्दू पंचांग में समय-गणना केवल तिथि गिनने का तरीका नहीं, बल्कि इसमें गहरा खगोल विज्ञान और आध्यात्मिक महत्व छिपा हुआ है. हर लगभग तीन साल में आने वाला अधिकमास इसी वैज्ञानिक गणना का अद्भुत उदाहरण है. 2026 में भी यह विशेष महीना लग रहा है, जो साल को 13 महीनों का बना देगा. आइए आसान भाषा में समझते हैं कि अधिकमास क्यों होता है, 2026 में यह कब है, इसका महत्व क्या है और इस दौरान क्या करें, क्या न करें?

अधिकमास क्या है?

हिन्दी पंचांग चंद्र-सौर गणना पर आधारित है. इसमें महीनों की गिनती चंद्रमा के 12 राशियों में घूमने से होती है. चंद्र लगभग 28–29 दिन में एक महीना पूरा करता है. इस तरह चंद्र वर्ष लगभग 354.36 दिन का बनता है.

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वहीं सूर्य एक राशि में लगभग 30.44 दिन रहता है और पूरा सौर वर्ष 365.28 दिन का होता है. दोनों के वर्ष में लगभग 11 दिन का अंतर बन जाता है. यही अंतर हर तीन साल में मिलकर लगभग एक महीने जितना हो जाता है. इस अतिरिक्त समय को संतुलित करने के लिए पंचांग में अधिकमास जोड़ा जाता है. यही कारण है कि हर 32 महीने 14–15 दिन बाद एक अधिकमास पड़ता है. इसलिए एक वर्ष में 13 महीने हो जाते हैं और कोई एक महीना 60 दिनों का हो जाता है. इसे ‘मलमास’ भी कहा जाता है.

अधिकमास कब शुरू होता है?

एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अधिकमास कभी पूर्णिमा से शुरू नहीं होता है. यह हमेशा अमावस्या के बाद ही प्रारंभ होता है. 32 महीने 15 दिन पूरे होने के बाद जिस महीने में अमावस्या आती है, उसी महीने का अधिकमास माना जाता है. यही कारण है कि यह महीना हर बार बदलता रहता है.

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2026 में कौन-सा महीना बनेगा अधिकमास?

साल 2026 के पंचांग के अनुसार, इस साल में अधिकमास ज्येष्ठ (जेठ) मास में पड़ रहा है. इस क्रम में, पहले सामान्य ज्येष्ठ, फिर अधिक ज्येष्ठ, इस तरह यह अवधि लगभग 58–59 दिनों की होगी.

2026 में अधिकमास तिथि: यह 17 मई 2026 से 15 जून 2026 तक रहेगी. यह पूरा समय धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना गया है, हालांकि कई मांगलिक कार्य इस दौरान नहीं किए जाते हैं.

अधिकमास को ‘पुरुषोत्तम मास’ क्यों कहते हैं?

हिन्दू धर्म की मान्यता है कि भगवान विष्णु ने इस महीने को ‘पुरुषोत्तम’ नाम दिया था. इसलिए इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. पद्म पुराण, नारद पुराण और विष्णु धर्मोत्तर पुराण में भी इस माह का उल्लेख मिलता है. यह महीना आध्यात्मिक साधना और ध्यान-भक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है. कहा जाता है कि इस समय किए गए शुभ कर्म कई गुना फल देते हैं.

ये भी पढ़ें: Adhik Maas 2026 Date: खरमास और अधिकमास में क्या अंतर है, जानें 2026 में कब शुरू होगा मलमास

अधिकमास में क्या करें?

हिन्दू धर्म में अधिकमास को आत्मिक शुद्धि का महीना बताया गया है. इसमें बाहरी जगत की बजाय अपनी आध्यात्मिक उन्नति पर ध्यान देने की सलाह दी जाती है. इस दौरान ये कार्य करने उचित और शुभ माने गए हैं:

भगवान विष्णु, श्रीराम और श्रीकृष्ण की विशेष पूजा करें.
ध्यान, योग, जप और प्रभु-नाम स्मरण करें.
गीता, रामायण या भागवत जैसे ग्रंथों का पाठ करें या सुनें.
तीर्थ-स्नान, नदी स्नान, व्रत और उपवास कर सकते हैं.
जरूरतमंदों को दान देना शुभ होता है.

इसके साथ ही, घर में सात्त्विक भोजन, साफ-सफाई, और शांत वातावरण बनाए रखना अच्छा माना जाता है. यह महीना मन को शांत करने, जीवन को संतुलित करने और आध्यात्मिक दृष्टि मजबूत करने का अवसर देता है.

अधिकमास में क्या नहीं करें?

अधिकमास में कुछ कार्यों को ‘अशुभ’ नहीं, बल्कि अनुचित समय माना जाता है. यह समय आध्यात्मिक साधना के लिए उचित माना गया है, इसलिए इन कामों की मनाही है:

विवाह, सगाई, नववधू का प्रवेश और अन्य मांगलिक संस्कार
गृह प्रवेश, नया घर बनाना या निर्माण शुरू करना
बोरवेल, कुआं, तालाब-जलाशय निर्माण कार्य
देवी-देवता की प्राण प्रतिष्ठा

आपको बता दें कि इन कार्यों के लिए सूर्य-संक्रांति और शुभ मुहूर्त आवश्यक होते हैं, जो अधिकमास में नहीं माने जाते हैं.

2026 का अधिकमास क्यों खास है?

2026 का अधिकमास गर्मी के मौसम में आ रहा है, जब पूजा-पाठ और स्नान-दान करना सरल होता है. ज्येष्ठ महीने को जल-दान, तप और व्रत के लिए विशेष माना गया है. ऐसे में अधिक ज्येष्ठ का प्रभाव और भी शुभ हो जाता है. इस बार लगभग दो महीनों तक आध्यात्मिकता का अवसर मिल रहा है, जिससे मन और जीवन दोनों में सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं.

क्या कहते हैं पंडित और ज्योतिषाचार्य

पंडित और ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि अधिकमास प्रकृति और पंचांग के सामंजस्य का सुंदर उदाहरण है. यह महज एक ‘अतिरिक्त महीना’ नहीं, बल्कि अपने जीवन को फिर से संतुलित करने का मौका होता है. 2026 का अधिकमास, 17 मई से 15 जून, आपकी आध्यात्मिक यात्रा को समृद्ध कर सकता है, यदि आप इसे सही भाव से मनाएं.

ये भी पढ़ें: Kharmas 2024: दिसंबर में इस तारीख से लगेगा खरमास, जानें क्यों नहीं होते हैं इस अवधि में शुभ और मांगलिक कार्य!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Dec 10, 2025 10:41 AM

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