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किस्से सियासत के: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री के नाम में ‘मिठास’ और सिग्नेचर में ‘कार’ की थी अनोखी अहमियत

Kisse Siyasat Ke: देश की आजादी की लड़ाई में शामिल रहे राजस्थान के दूसरे मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया की जिंदगी में बहुत से रोचक पहलू थे। इनमें से एक उनका नाम भी है, जो किसी मिठाई की याद दिलाता है।

Edited By : Balraj Singh | Updated: Oct 19, 2023 17:56
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Mohanlal Sukhadia, Rajasthan Politics

Kisse Siyasat Ke: दुनिया में एक से बढ़कर एक रोचक किस्से मशहूर हैं। इनमें बड़े राजनेताओं की जिंदगी के किस्से भी बहुत अहमियत रखते हैं। हाल ही में देश के पांच राज्यों में चुनावी पारा हाई है तो इसी बीच पुराने इतिहास पर भी चर्चा हो रही है। ऐसा ही एक नाम है राजस्थान के दूसरे मुख्यमंत्री का, जो एक हलवाई के परिवार से उठकर न सिर्फ 17 साल तक इस कुर्सी पर विराजमान रहे, बल्कि बाद में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के गवर्नर भी रहे। एक और रोचक पहलू यह भी है कि उनके उपनाम में भी मिठाई का नाम आता है। हालांकि यह मिठाई गेहूं के आटे से बनती है, लेकिन अब जबकि नवरात्र चल रहे हैं तो इसे सिंघाड़े या कुट्टू के आटे के साथ भी बनाया जा सकता है। आज ‘किस्से सियासत के’ सीरिज में News 24 हिंदी मोहन लाल सुखाड़िया नामक इसी दिग्गज राजनेता की जिंदगी की कहानी से आपको रू-ब-रू करा रहा है। जानें पूर्व सीएम सुखाड़िया से जुड़े और रोचक पहलू…

  • छात्र नेता रहते हुए नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, यूसुफ मेहरली और अशोक मेहता जैसे महापुरुषों के संपर्क में आए थे मोहन लाल सुखाड़िया

31 जुलाई 1917 को झालावाड़ में जैन परिवार में जन्मे मोहन लाल सुखाड़िया के पिता पुरुषोत्तम लाल अंग्रेजों के जमाने में बम्बई (मुंबई) और सौराष्ट्र के गिने-चुने बेहतरीन क्रिकेटर्स में से एक थे। शुरुआती शिक्षा राजस्थान के नाथद्वारा और उदयपुर से हासिल करने के बाद मोहन लाल ने मुंबई के वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलॉजीकल इंस्टीट्यूट (VJTI) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। वहां छात्र संगठन के महासचिव के रूप में इन्होंने राजनीति में कदम रखा। कॉलेज के दिनों में नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, यूसुफ मेहरली और अशोक मेहता जैसे महापुरुषों के संपर्क में आने के बाद मोहन लाल कॉन्ग्रेस (आजादी की लड़ाई लड़ने वाला संगठन) की बैठकों में शामिल होते थे। नाथद्वारा लौटने के बाद छोटी सी इलेक्ट्रिक दुकान खोली। यह दुकान कम और अंग्रेजों के खिलाफ बनने वाली रणनीतियों का ठिकाना ज्यादा थी। 1 जून 1938 को मोहन लाल सुखाड़िया ने इंदुबाला सुखाड़िया के साथ वैदिक रीति-रिवाज से अंतर्जातीय विवाह किया। हालांकि इस शादी के विरोध में बाजार बंद हो गए थे, क्योंकि एक स्वतंत्रता सेनानी द्वारा इस तरह सामाजिक परम्परा काे तोड़ा जाना समाज को मंजूर नहीं था।

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6 नवंबर 1954 से 8 जुलाई 1971 तक रहे राजस्थान के मुख्यमंत्री, फिर बने गवर्नर

देश की आजादी के बाद राजस्थान में चुनाव हुए तो 6 नवंबर 1954 को उस वक्त के मुख्यमंत्री (राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री) जय नारायण व्यास को 8 वोट से हराकर सुखाड़िया कॉन्ग्रेस विधायक दल के नेता चुने गए। हालांकि 1958 में नाथद्वारा मंदिर के सोने में गड़बड़ी के आरोप भी तत्कालीन मुख्यमंत्री सुखाड़िया पर लगे। 1967 के चुनाव में जब किसी दल को बहुमत नहीं मिला तो विपक्ष के छह विधायकों तोड़कर सुखाड़िया कुर्सी पर बने रहे। विरोध में जयपुर में हिंसक प्रदर्शन हुए और जौहरी बाजार में पुलिस की गोली लगने से 7 लोगों की मौत हुई थी। बावजूद इसके 1971 तक वह इस कुर्सी पर विराजमान रहे (पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध की वजह से 8 जुलाई को कुर्सी छोड़नी पड़ी)। राजनैतिक जानकार बताते हैं कि मोहन लाल सुखाड़िया हालांकि मुख्यमंत्री बनना नहीं चाहते थे, बाद में पार्टी के दूसरे नेताओं के दबाव की वजह से इस बात के लिए राजी हो गए। इतना ही नहीं, राजनैतिक जीवन में नेहरू-गांधी परिवार के खास होने से भी कहीं ज्यादा मोहन लाल सुखाड़िया की अपनी एक अलग छवि थी।

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गुजराती मिठाई सुखड़ी है पूर्व मुख्यमंत्री के उपनाम की प्रसिद्धि की वजह

अब बात आती है उनके नाम की तो मोहन लाल सुखाड़िया का ताल्लुक एक मिठाई के साथ भी है। दरअसल, गुजरात (राजस्थान के सीमावर्ती इलाके को मिलाकर पुराना सौराष्ट्र) में जिस परिवार से यह ताल्लुक रखते थे, वह मिठाई कारोबार से जुड़ा हुआ था। इस इलाके में सुखड़ी नामक एक मिठाई है, जो गेहूं के आटे और गुड़ से बनती है। इसमे तीसरी चीज घी पड़ती है और बाकी इसे बनाने वाले पर इसका स्वाद निर्भर करता है। इतिहासकारों के मुताबिक सुखाड़िया उपनाम इस मिठाई की वजह से मशहूर है। मौजूदा समय में सुखाड़िया उपनाम महाराष्ट्र और गुजरात के अलावा राजस्थान के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।

First published on: Oct 19, 2023 05:56 PM
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