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Maha Kumbh 2025: ‘महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ी मैनेजमेंट केस स्टडी’, बोले गौतम अडाणी 

Maha Kumbh 2025: गौतम अडाणी ने कहा कि मानव जमावड़े के विशाल परिदृश्य में कुंभ मेले की तुलना किसी भी चीज से नहीं की जा सकती है। एक कंपनी के रूप में हम इस साल महाकुंभ मेले के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं।

Edited By : Amit Kasana | Updated: Jan 27, 2025 17:34
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Maha Kumbh 2025: महाकुंभ 2025 में अडाणी ग्रुप इस्कॉन के साथ मिलकर महाप्रसाद सेवा कर रहा है। बीते दिनों अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी और उनकी पत्नी प्रीति अडाणी महाकुंभ पहुंचे थे। अब सोमवार को गौतम अडाणी ने महाकुंभ 2025 पर एक ब्लॉग लिखा है। सोशल मीडिया प्लेटफॅार्म LinkedIn पर ये ब्लॉग शेयर किया गया है।

ब्लॉग में उन्होंने लिखा कि कुंभ भारत के आध्यात्मिक इंफ्रास्ट्रक्चर के नेतृत्व की कहानी बताता है। अगली बार जब आप भारत के विकास की कहानी सुनें तो याद रखें कि हमारा सबसे सफल प्रोजेक्ट कोई विशाल पोर्ट या रिन्यूएबल एनर्जी पार्क नहीं है। हमारा सबसे कामयाब प्रोजेक्ट तो एक आध्यात्मिक सभा (Maha Kumbh 2025) है, जो सदियों से सफलतापूर्वक चल रही है।

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मानव जमावड़े के विशाल परिदृश्य में कुंभ मेले की तुलना किसी भी चीज से नहीं की जा सकती है

गौतम अडाणी ने आगे लिखा कि मानव जमावड़े के विशाल परिदृश्य में कुंभ मेले की तुलना किसी भी चीज से नहीं की जा सकती है। एक कंपनी के रूप में हम इस साल महाकुंभ मेले के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं। जब भी मैं इस विषय पर चर्चा करता हूं, तो मैं हमारे पूर्वजों के दृष्टिकोण से कृतज्ञ हो जाता हूं। उन्होंने आगे लिखा कि पूरे भारत में पोर्ट, एयरपोर्ट और एनर्जी नेटवर्क का निर्माण करने वाले शख्स के रूप में मैं महाकुंभ के विशाल आयोजन को देखकर हैरान हो जाता हूं। मेरे लिए ये ‘आध्यात्मिक इंफ्रास्ट्रक्चर’ है, ये एक ऐसी ताकत जिसने सदियों तक हमारी सभ्यता को कायम रखा है।

अडाणी ग्रुप ने महाकुंभ से ये सीखा

गौतम अडाणी ने लिखा कि जब हार्वर्ड बिजनेस स्कूल ने कुंभ मेले पर मैनेजमेंट की स्टडी की तो उन्हें इस पर हैरानी हुई। उन्होंने आगे लिखा कि एक भारतीय होने के नाते में मैं इस धार्मिक आयोजन में कुछ गहरी बातें देखता हूं। दुनिया की ये सबसे कामयाब पॉप-अप मेगासिटी सिर्फ संख्या के बारे में नहीं है बल्कि यह शाश्वत सिद्धांतों के बारे में है, जिसे हम अडाणी ग्रुप में भी अपनाने की कोशिश करते हैं।

ये हैं महाकुंभ नेतृत्व के 3 बड़े पिलर्स

1 महाकुंभ अनोखा आत्मिक संगम है

गौतम अडाणी आगे लिखते हैं कि कुंभ में पैमाना सिर्फ आकार का नहीं है, ये पैमाना इस आयोजन के प्रभाव के बारे में है। जब समर्पण और सेवा के साथ 20 करोड़ लोगों का एक समूह होता है, तो यह केवल आयोजन नहीं बल्कि एक अनोखा आत्मिक संगम हो जाता है। जब 20 करोड़ लोग समर्पण और सेवा भाव से जुटते हैं, तो यह सिर्फ एक आयोजन नहीं बल्कि आत्माओं का अनोखा संगम हो जाता है। इसे मैं पैमाने की आध्यात्मिक अर्थव्यवस्थाएं कहता हूं। यह जितना बड़ा होता जाता है, यह उतना ही अधिक कुशल होता जाता है।

2 कुंभ के बाद नदी अपनी प्राकृतिक स्थिति में लौट जाती है

अडाणी ने लिखा कि नदी में सिर्फ जल का स्रोत नहीं, जीवन का प्रवाह भी है। इसे संरक्षित करना हमारे प्राचीन ज्ञान का प्रमाण है। वहीं, नदी जो लाखों लोगों की मेजबानी करती है, कुंभ के बाद अपनी प्राकृतिक स्थिति में लौट आती है। लेकिन जाने से पहले ये लाखों श्रद्धालुओं की आत्मा को शुद्ध कर देती है, उन्हें आश्वस्त करती है कि वह अपनी सभी अशुद्धियों को खुद से साफ कर सकते हैं। यह हमारे आधुनिक विकास प्रतिमानों के लिए एक सबक है।

3 सेवा साधना है, सेवा प्रार्थना है और सेवा ही परमात्मा है

गौतम अडाणी ने लिखा कि कुंभ में विभिन्न अखाड़े, स्थानीय अधिकारी और स्वयंसेवक सद्भाव के साथ काम करते हैं। यह सेवा के माध्यम से नेतृत्व है, इसमें कहीं भी प्रभुत्व नहीं है। उन्होंने लिखा कि यह हमें सिखाता है कि महान नेता आदेश या नियंत्रण नहीं करते। वे दूसरों के लिए एक साथ काम करने और सामूहिक रूप से आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां बनाते हैं। सेवा साधना है, सेवा प्रार्थना है और सेवा ही परमात्मा है।

दुनियाभर के व्यवसायियों को क्या सिखाता है कुंभ?

1. समावेशी विकास

गौतम अडाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा कि महाकुंभ मेला हर किसी का स्वागत करता है। यहां साधुओं से लेकर किसी बड़ी कंपनी के सीईओ तक, ग्रामीणों से लेकर विदेशी पर्यटकों तक सबका स्वागत एक मंच पर होता है। उन्होंने लिखा कि यह उसका सर्वोत्तम उदाहरण है, जिसे हम अडाणी ग्रुप में ‘अच्छाई के साथ विकास’ कहते हैं।

2. आध्यात्मिक टेक्नोलॉजी

चूंकि हम डिजिटल इनोवेशन पर फक्र करते हैं, ऐसे में कुंभ हमें आध्यात्मिक प्रौद्योगिकी को भी दिखाता है। बड़े पैमाने पर मानव चेतना के मैनेजमेंट के लिए प्रणालियों का प्रदर्शन किया जाता है। यह सॉफ्ट इंफ्रास्ट्रक्चर उस युग में फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर जितना ही महत्वपूर्ण है, जहां सबसे बड़ा खतरा मानसिक बीमारी है।

3. सांस्कृतिक आत्मविश्वास

ग्लोबल होमोजिनाइजेशन (वैश्विक समरूपीकरण) के युग में कुंभ सांस्कृतिक प्रामाणिकता के रूप में खड़ा है। यह एक म्यूजियम का टुकड़ा नहीं है, बल्कि ये आधुनिकता के अनुकूल परंपरा का एक जीवंत उदाहरण है।

कुंभ भारत की अद्वितीय नरम शक्ति यानी ‘वसुदेव कुटुम्बकम्!’ का प्रतिनिधित्व करता है

अडाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा कि जब मैं हमारे पोर्ट या सोलर फार्म्स से गुजरता हूं, तो मैं अक्सर कुंभ के सबक पर विचार करता हूं। हमारी प्राचीन सभ्यता ने केवल स्मारकों का निर्माण नहीं किया, इसने ऐसी जीवित प्रणालियां बनाईं, जो लाखों लोगों का भरण-पोषण करती हैं। आधुनिक भारत में हमें यही आकांक्षा रखनी चाहिए। हमें इंफ्रास्ट्रक्टर के साथ-साथ इकोसिस्टम का पोषण करना होगा। कुंभ भारत की अद्वितीय नरम शक्ति यानी ‘वसुदेव कुटुम्बकम्!’ का प्रतिनिधित्व करता है। यह सिर्फ दुनिया की सबसे बड़ी सभा की मेजबानी के बारे में नहीं है, यह मानव संगठन के एक स्थायी मॉडल को प्रदर्शित करने के बारे में है, जो सदियों से जीवित है।

भविष्य की चुनौतियां

आधुनिक नेताओं के लिए कुंभ एक गहरा सवाल खड़ा करता है। क्या हम ऐसे संगठन बना सकते हैं जो न सिर्फ सालों तक नहीं, बल्कि सदियों तक चलेंगे? क्या हमारे सिस्टम न केवल पैमाने को, बल्कि आत्मा को भी संभाल सकते हैं? AI, जलवायु संकट और सामाजिक विखंडन के युग में कुंभ के सबक पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं।

आगे का रास्ता

जैसे-जैसे भारत एक महाशक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, हमें याद रखना चाहिए कि हमारी ताकत सिर्फ इस बात में नहीं है कि हम क्या बनाते हैं? बल्कि इसमें भी है कि हम क्या संरक्षित करते हैं? कुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, यह सस्टेनेबेल सभ्यता का एक ब्लूप्रिंट है। मेरे लिए ये एक रिमाइंडर है कि वास्तविक पैमाना बैलेंस शीट में नहीं, बल्कि मानव चेतना पर सकारात्मक प्रभाव में मापा जाता है।

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Edited By

Amit Kasana

First published on: Jan 27, 2025 05:09 PM

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