Divorce Rate in India: रिश्तों के जोड़ में कभी हमारा देश बेजोड़ माना जाता था। हमारे यहां जुड़ने वाले अधिकांश रिश्ते जिंदगी की डोर टूटने पर ही टूटते थे, लेकिन अब तस्वीर बदल हो गई है। आज की फास्ट-पेस लाइफ में रिश्ते भी तेजी से टूट रहे हैं। डिवोर्स जैसा शब्द जो पहले यदा-कदा सुनने को मिलता था, अब बहुत कॉमन हो गया है। खासकर सेलेब्रिटीज के बीच डिवोर्स के मामले तेजी से बढ़े हैं। पिछले साल सानिया मिर्जा, ईशा देओल, हार्दिक पंड्या, एआर रहमान और धनुष ने अपने रिश्तों पर विराम लगाया।
इस साल भी ऐसी खबरें सामने आ रही हैं। क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और वीरेंद्र सहवाग भी अलगाव की राह पर निकल सकते हैं, लेकिन आम होते तलाक के बीच एक सवाल अहम है कि रिश्तों के दरकने की आखिर वजह क्या है? आकांक्षा, अपेक्षा, अभिलाषा और उम्मीद जब हद से गुजर जाती है तो रिश्तों में जकड़न लाजमी है, लेकिन यह जकड़न बढ़ते तलाक की एकमात्र वजह नहीं है। दरकता विश्वास, कम होती सहनशीलता, घटता फैमिली टाइम, संवाद का अभाव, क्रेजीनेस भी डिवोर्स के बड़े कारण हैं।
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रिश्ते के लिए सबसे ज्यादा जरूरी समय
जब दो व्यक्ति साथ रहते हैं तो एक-दूसरे से अपेक्षा स्वाभाविक है, लेकिन जब इस अपेक्षा का स्तर अत्यधिक रफ्तार से बढ़ने लगता है तो रिश्ते घुटन में तब्दील हो जाते हैं। यह घुटन अनचाहे आकर्षण को जन्म देती है और साथ जीने-मरने की कसम के साथ शुरू हुए रिश्ते बीच में ही दम तोड़ देते हैं। इसी तरह किसी भी रिश्ते में विश्वास बेहद जरूरी होता है और यह जरूरी तत्व आजकल तेजी से कम हो रहा है। विश्वास में कमी से शक उत्पन्न होता है और संवाद की कमी के चलते यह दूर नहीं हो पाता।
ऐसे में जब शक का ओवरडोज हो जाता है तो रिश्ता उसके भार के नीचे दबकर टूट जाता है। साउथ के मशहूर एक्टर धनुष और ऐश्वर्या रजनीकांत के अलग होने की वजह धनुष का ज्यादा वर्कोहोलिक होना बताया गया। धनुष फैमिली को समय नहीं दे पा रहे थे, जिसके चलते मनमुटाव शुरू हुआ, जो धीरे-धीरे झगड़ों में बदल गया। यह तलाक की सबसे आम वजह है। हर किसी के लिए करियर सबसे पहले है और होना भी चाहिए, लेकिन रिश्ते की कुर्बानी देकर नहीं। अपनों के लिए निकाला गया समय, वह निवेश है, जो भविष्य का सहारा बनता है और बेहतर भविष्य के लिए रिश्तों में समय, प्यार, विश्वास और अपनेपन का निवेश बेहद जरूरी है।
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भारत में 4 साल में डिवोर्स रेट हुआ दोगुना
दुनिया में तलाक के मामले में भले ही भारत की स्थिति अभी संतोषजनक हो, लेकिन हालात तेजी से बिगड़ जरूर रहे हैं। मालदीव में सबसे ज्यादा तलाक होते हैं। भारत उसके मुकाबले कहीं भी नहीं है, मगर हमेशा ही यह स्थिति रहेगी, कहना मुश्किल है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2005 में भारत में डिवोर्स रेट 0.6 प्रतिशत था, जो साल 2019 में बढ़कर 1.1 प्रतिशत तक पहुंच गया है, यानी करीब दोगुना हो गया है।
जाहिर है कि पिछले 5 साल में इसमें और भी ज्यादा इजाफा हो गया होगा। दरअसल, तलाक 2 लोगों के मन में चल रही उथल-पुथल को भी दर्शाता है, जिसे केवल आपसी बातचीत और एक-दूसरे के लिए प्रति उचित सम्मान से ही दूर किया जा सकता है। इसलिए समाज की भूमिका और भी बड़ी हो जाती है। व्यक्तिगत तौर पर हमें भी खुद में बदलाव लाना होगा. रिश्तों को देखने का नजरिया बदलना होगा और यह बदलाव दोनों तरफ से होना चाहिए। पति-पत्नी को यदि एक गाड़ी के दो पहिये कहा जाता है तो गाड़ी को सही ढंग से चलाने की जिम्मेदारी दोनों की होनी चाहिए। यदि हम वाकई रिश्ते बचाना चाहेंगे, तो इस चाहत को पूरा करना असंभव नहीं है। हां, उलझी हुईं गांठों को खोलना मुश्किल जरूर होता है, लेकिन धैर्य और प्रयास से इस मुश्किल काम को आसान बनाया जा सकता है। इस भूमिका को निभाकर ही भारत में डिवोर्स रेट घटाई जा सकती है।
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