Relationship Tips: आजकल बहुत से लोग हैं जो कुछ देर की बातचीत को ही प्यार समझ बैठते हैं। इसके बाद चीजों से धोखा खाते हैं, फिर प्यार पर दुबारा भरोसा नहीं कर पाते। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि वाकई प्यार करना इतना आसान है? क्या थोड़ी-सी बात, हंसी-मजाक, चिंता, या कुछ देर का भरोसा किसी के लिए प्यार बन सकता है? अगर नहीं तो आइए जानते हैं प्रेमानंद महाराज से कि आखिर प्यार का असली मतलब क्या होता है किसे कहते हैं प्यार, और कैसे होता है प्यार ताकि आप भी चीजों को गहराई से समझ सकें।
क्या होता है प्यार?
प्रेमानंद महाराज के मुताबिक, अगर आप किसी से प्यार करते हैं, तो उस व्यक्ति से बात करने में सुख मिलता है, उसे देखने में ही आनंद आने लगता है। उसके पास बैठने में भी एक अलग तरह की शांति मिलती है। महाराज कहते हैं कि जब आप किसी पर पूरी तरह समर्पित हो जाते हैं, वही असली प्रेम होता है। प्रेम का अर्थ है सुख देना।
उनके अनुसार, जब कोई सच्चे दिल से प्रेम करता है, तो वह हर परिस्थिति में अपने प्रेम के साथ बना रहता है। महाराज का मानना है कि किसी को याद करना प्रेम है, उसका चिंतन करना, उसके बारे में सोचना भी प्रेम है।
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- सत चित आनंद
- प्रतिक्षण वर्धमानम् (हर पल बढ़ता हुआ)
- कामना रहितम् (बिना किसी इच्छा के)
- अनुभव स्वरूपम् (जो सिर्फ अनुभव किया जा सकता है)
इसके साथ ही प्रेम होता है
आज के समय में बहुत से लोग प्रेम कर तो लेते हैं, लेकिन उसे निभा नहीं पाते। इसी कारण रिश्ते टूट जाते हैं और उनमें दरार आ जाती है।
प्रेमानंद महाराज यह भी बताते हैं कि सच्चा प्रेम किसी अपेक्षा पर आधारित नहीं होता। जब आप किसी से बिना किसी स्वार्थ के प्रेम करते हैं, तो वह प्रेम दिव्यता को छूता है। आजकल बहुत से लोग प्रेम को लेन-देन की भावना से जोड़ लेते हैं जैसे अगर वह मुझे समय देगा, तभी मैं उसे मानूंगा। लेकिन सच्चा प्रेम किसी शर्त पर नहीं टिकता। प्रेम में समर्पण होता है, और समर्पण में ही सच्चा सुख छिपा होता है। जो प्रेम मांगता नहीं, सिर्फ देता है, वही सच्चा प्रेम कहलाता है।
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