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Jyotirlinga: मध्य प्रदेश के इस मंदिर में रात को सोते हैं शिव-पार्वती, जानें क्या है रहस्य?

Omkareshwar Mandir: देश में भगवान शिव के कई मंदिर हैं और 12 ज्योतिर्लिंग भी हैं। हर ज्योतिर्लिंग का अपना-अपना महत्व है। इनमें से एक ज्योतिर्लिंग भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है, जिसे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। इसे 12 ज्योतिर्लिंगों में चौथा ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। यह मंदिर दुनियाभर में […]

Author Edited By : Mahak Singh Updated: Aug 30, 2023 12:11
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Omkareshwar Mandir

Omkareshwar Mandir: देश में भगवान शिव के कई मंदिर हैं और 12 ज्योतिर्लिंग भी हैं। हर ज्योतिर्लिंग का अपना-अपना महत्व है। इनमें से एक ज्योतिर्लिंग भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है, जिसे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। इसे 12 ज्योतिर्लिंगों में चौथा ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। यह मंदिर दुनियाभर में काफी प्रसिद्ध है। बाबा की एक झलक पाने के लिए हजारों भक्त यहां आते हैं। आज हम आपको इस मंदिर से जुड़ी मान्यताओं और खासियतों के बारे में बताएंगे।

इस तरह पड़ा ओंकारेश्वर नाम

उत्तर भारतीय वास्तुकला में निर्मित यह पांच मंजिला मंदिर नर्मदा नदी के बीच मांधाता और शिवपुरी द्वीपों पर स्थित है। खास बात यह है कि इस द्वीप का आकार ओम शब्द जैसा दिखता है।इसी कारण इस ज्योतिर्लिंग को ओंकारेश्वर नाम से पुकारा जाता है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को शिव पुराण में परमेश्वर लिंग के नाम से भी जाना जाता है।

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यहां रात में सोने आते हैं शिव-पार्वती

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के बारे में एक ऐसी मान्यता है जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। ऐसा माना जाता है कि बाबा भोलेनाथ और माता पार्वती हर रात यहीं विश्राम करते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं दोनों यहां पर चौसर भी खेलते हैं। यही कारण है कि यहां प्रतिदिन रात्रि शयन आरती के बाद चौपड़ बिछाया जाता है और फिर गर्भगृह बंद कर दिया जाता है। इसके बाद किसी को भी गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं है। अगली सुबह ये पासे बिखरे हुए मिलते हैं।

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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जिस पर्वत पर स्थित है उसे मांधाता और शिवपुरी पर्वत के नाम से जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसारयहां राजा मांधाता ने इसी पर्वत पर कठोर तपस्या करके भोलेनाथ को प्रसन्न कर लिए थे, जिसके परिणामस्वरूप राजा मांधाता के अनुरोध पर भोलेनाथ यहां शिवलिंग के रूप में विराजमान हो गए। तभी से इस पर्वत को मांधाता पर्वत के नाम से जाना जाने लगा। यह भी माना जाता है कि कुबेर देव ने भी इसी स्थान पर अपनी तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया था।

First published on: Aug 30, 2023 12:11 PM

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