Artificial Holi Colours: आपने ये गाना तो जरूर सुना ही होगा- होली के दिन दिल खिल जाते हैं, रंगों में रंग मिल जाते हैं,लेकिन जरा संभलकर रंगों का इस्तेमाल करें, पता चला कि आप तो गिले-शिकवे दूर कर रहें हैं और कोई आपका ही दुश्मन न बन जाए। जी हां, बात बिल्कुल साफ है, रंग देखने में जितने अच्छे, उतने ही खतरनाक होते हैं।
अगर आप बाजार से कोई भी रंग लेकर आते हैं, तो मस्ती के चक्कर में असली और नकली की पहचान भी करना भूल जाते होंगे। ऐसे रंगों से खेलें, लेकिन सेहत के लिहाज से रंगों की पहचान करना भी जरूरी है। होली के रंगों में कई तरह के जहरीले रंगों की मिलावट होती है, तो आइए कैसे इन नकली रंगों से बचना है, ये जान लेते हैं..
कैसे करें नकली रंगों की पहचान
पैकेजिंग की जांच करें
अक्सर असली रंगों की पैकेजिंग में प्रोडक्ट की जानकारी, लाइसेंस नंबर और निर्माता की जानकारी शामिल होती है। नकली रंगों की पैकेजिंग में इस तरह की जानकारी गायब हो सकती है या फिर गलत हो सकती है।
कीमत की जांच करें
असली रंगों की कीमत अक्सर उनकी गुणवत्ता के आधार पर होती है। नकली रंगों की कीमत असली से बहुत कम हो सकती है, इसलिए ध्यान दें।
रंगों की जांच करें
असली रंगों बहुत ही स्मूथ और समान होते हैं, जबकि नकली रंगों में मास और रंग की डेंसिटी में अंतर हो सकता है। आप एक छोटी रंग की थैली का टेस्ट कर सकते हैं, जैसे कि रंग को किसी साफ कप के बेस पर लगाएं और देखें कि क्या यह स्थाई रूप से अच्छे रंग को छोड़ देता है या फिर रंग बिना किसी परेशानी के बह जाता है।
विशेष गुणवत्ता पर ध्यान दें
अक्सर असली रंगों की विशेष गुणवत्ताएं होती हैं, जैसे कि स्मेल से कर सकते हैं। नकली रंगों में यह विशेषताएं कम हो सकती हैं।
आस-पास के रिटेलर्स से सलाह करें
अगर आप समझ नहीं पा रहे हैं कि कौन सा रंग असली है और कौन सा नकली है, तो आप अपने आस-पास के रिटेलर्स से सलाह कर सकते हैं। वे आपको प्रोडक्ट की गुणवत्ता और अन्य पहचान करा सकते हैं।
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