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क्या है तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट? जिसे लेकर सोशल मीडिया पर भिड़े महबूबा मुफ्ती और उमर अबदुल्ला

Tulbul Navigation project: तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट का उद्देश्य बांदीपुरा जिले में झेलम से बहने वाली वुलर झील को पुनर्जीवित करना है। यह प्रोजेक्ट 1980 के दशक में शुरू किया गया था, लेकिन पाकिस्तान की आपत्तियों के कारण 2007 में इसे रोक दिया गया था, क्योंकि पाकिस्तान का कहना था कि यह सिंधु जल संधि का उल्लंघन है।

Author Edited By : Satyadev Kumar Updated: May 16, 2025 18:41
Omar Abdullah, Mehbooba Mufti।
उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के बीच पाक जल समझौते पर तकरार।

भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर लागू है, लेकिन इस बीच सोशल मीडिया पर जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती आपस में भिड़ गईं। दरअसल, भारत सरकार द्वारा सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद तुलबुल नौवहन परियोजना को पुनर्जीवित करने की मांग को लेकर शुक्रवार को उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के बीच सोशल मीडिया पर सार्वजनिक बहस छिड़ गई। महबूबा मुफ्ती ने अब्दुल्ला पर भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच ‘भड़काऊ’ कदम उठाने का आरोप लगाया। इसके बाद अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री इसका विरोध करके ‘सस्ती लोकप्रियता’ हासिल करने और पाकिस्तान में ‘कुछ लोगों को खुश करने’ की कोशिश कर रही हैं।

क्या कहा उमर उबदुल्ला ने?

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मैंने हमेशा से ही सिंधु जल समझौते का विरोध किया है और ऐसा करना जारी रखूंगा। यह बहस तुलबुल नेविगेशन परियोजना से शुरू हुई थी। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक पोस्ट के माध्यम से तुलबुल नेविगेशन परियोजना को फिर से शुरू करने की वकालत की थी। पहलगाम आतंकी हमले के एक दिन बाद 23 अप्रैल को भारत द्वारा संधि को निलंबित करने के बाद अब्दुल्ला ने गुरुवार को वुलर झील पर परियोजना पर काम फिर से शुरू करने का आह्वान किया था। एक्स पर एक पोस्ट में मुख्यमंत्री ने कहा कि चूंकि पाकिस्तान के साथ जल समझौते को स्थगित रखा गया है, मुझे आश्चर्य है कि क्या हम इस परियोजना को फिर से शुरू कर पाएंगे। उन्होंने माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘उत्तरी कश्मीर में वुलर झील। वीडियो में आप जो निर्माण कार्य देख रहे हैं, वह तुलबुल नेविगेशन बैराज है। इसे 1980 के दशक की शुरुआत में शुरू किया गया था, लेकिन सिंधु जल संधि का हवाला देते हुए पाकिस्तान के दबाव में इसे छोड़ना पड़ा था। अब जब IWT को ‘अस्थायी रूप से निलंबित’ कर दिया गया है तो मुझे आश्चर्य है कि क्या हम इस परियोजना को फिर से शुरू कर पाएंगे। इससे हमें नेविगेशन के लिए झेलम का उपयोग करने की अनुमति मिलने का लाभ मिलेगा। इससे डाउनस्ट्रीम बिजली परियोजनाओं के बिजली उत्पादन में भी सुधार होगा, खासकर सर्दियों में।’

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बता दें कि 6 साझा नदियों को नियंत्रित करने वाली सिंधु जल संधि के तहत पूर्वी नदियों- सतलुज, ब्यास और रावी का सारा पानी, जो सालाना लगभग 33 मिलियन एकड़ फीट (MAF) है, भारत को अप्रतिबंधित उपयोग के लिए आवंटित किया गया है। पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी, जो सालाना लगभग 135 MAF है, बड़े पैमाने पर पाकिस्तान को आवंटित किया गया है।

महबूबा मुफ्ती ने अबदुल्ला के मांग की निंदा की

सीएम अबदुल्ला के बयान पर महबूबा मुफ्ती ने कहा कि तनाव के बीच इसे फिर से शुरू करने की वकालत करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। महबूबा ने कहा कि ऐसे समय में जब दोनों देश पूर्ण युद्ध के कगार से वापस लौटे हैं और जम्मू कश्मीर को व्यापक हानि और जान माल का नुकसान हुआ है, इस तरीके का बयान देना भड़काऊ है। मुफ्ती ने अब्दुल्ला पर तीखा हमला किया और उनके आह्वान को ‘गैर-जिम्मेदाराना और खतरनाक रूप से भड़काऊ’ करार दिया।

मुफ्ती ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘ऐसे समय में जब दोनों देश पूर्ण युद्ध के कगार से पीछे हटे हैं- जिसमें जम्मू-कश्मीर को निर्दोष लोगों की जान गंवानी पड़ी है, व्यापक विनाश हुआ है और भारी पीड़ा झेलनी पड़ी है। ऐसे बयान न केवल गैरजिम्मेदाराना हैं बल्कि खतरनाक रूप से भड़काऊ भी हैं।’ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के लोग भी देश के अन्य लोगों की तरह शांति के हकदार हैं। उन्होंने कहा, ‘पानी जैसी आवश्यक और जीवनदायी चीज को हथियार बनाना न केवल अमानवीय है बल्कि इससे द्विपक्षीय मामले को अंतरराष्ट्रीय बनाने का जोखिम भी है।’

‘वह सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश कर रही हैं’

महबूबा मुफ्ती की टिप्पणी पर अब्दुल्ला ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन पर सीमा पार के कुछ लोगों को खुश करने का प्रयास करने का आरोप लगाया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी से कहा, ‘वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि सस्ती लोकप्रियता पाने और सीमा पार बैठे कुछ लोगों को खुश करने की अपनी अंधी लालसा के कारण आप यह स्वीकार करने से इंकार कर रहे हैं कि सिंधु जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के हितों के साथ सबसे बड़ा ऐतिहासिक विश्वासघात है।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने हमेशा इस संधि का विरोध किया है और मैं ऐसा करना जारी रखूंगा। एक स्पष्ट रूप से अनुचित संधि का विरोध करना किसी भी तरह से युद्धोन्माद नहीं है, बल्कि यह उस ऐतिहासिक अन्याय को सुधारने के बारे में है, जिसने जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने पानी का उपयोग करने के अधिकार से वंचित किया।’

समय बताएगा…: महबूबा

इस पर जवाब देते हुए मुफ्ती ने कहा कि समय बताएगा कि कौन किसको खुश करना चाहता है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि, यह याद रखना जरूरी है कि आपके आदरणीय दादा शेख साहब ने सत्ता खोने के बाद दो दशक से ज्यादा समय तक पाकिस्तान में विलय की वकालत की थी। लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में फिर से बहाल होने के बाद उन्होंने अचानक भारत के साथ गठबंधन करके अपना रुख बदल दिया।’ उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, पीडीपी ने लगातार अपनी मान्यताओं और प्रतिबद्धताओं को कायम रखा है, जबकि एनसी की निष्ठा राजनीतिक लाभ के अनुसार नाटकीय रूप से बदल गई है। उन्होंने कहा, ‘हमें अपने समर्पण को प्रमाणित करने के लिए तनाव बढ़ाने या युद्धोन्मादी बयानबाजी करने की आवश्यकता नहीं है। हमारे कार्य स्वयं बोलते हैं।’

उमर अब्दुल्ला ने किया पलटवार

अब्दुल्ला ने मुफ्ती पर पलटवार करते हुए कहा कि ‘वह किसी के भी हितों की वकालत कर सकती हैं और मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों के हितों की वकालत करता रहूंगा ताकि वे अपने फायदे के लिए अपनी नदियों का उपयोग कर सकें।’ उन्होंने कहा, ‘क्या आप यही सबसे अच्छा कर सकते हैं? एक ऐसे व्यक्ति पर सस्ते प्रहार कर रहे हैं जिसे आपने खुद कश्मीर का सबसे बड़ा नेता कहा है। मैं इस बातचीत को जिस गर्त में ले जाना चाहते हैं, उससे ऊपर उठकर दिवंगत मुफ्ती साहब और ‘उत्तरी ध्रुव दक्षिणी ध्रुव’ को इससे बाहर रखूंगा।’ उन्होंने कहा, ‘मैं पानी बंद नहीं करने जा रहा हूं, बस अपने लिए इसका अधिक उपयोग करूंगा। अब मुझे लगता है कि मैं कुछ वास्तविक काम करूंगा और आप पोस्ट करना जारी रख सकते हैं।’

क्या है तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट?

तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट का उद्देश्य बांदीपुरा जिले में झेलम से बहने वाली वुलर झील को पुनर्जीवित करना है। यह प्रोजेक्ट 1980 के दशक में शुरू की गई थी, लेकिन 2007 में पाकिस्तान की आपत्तियों के कारण इसे रोक दिया गया था, क्योंकि पाकिस्तान ने इसे सिंधु जल संधि का उल्लंघन बताया था। तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट झेलम नदी में साउथ कश्मीर से नॉर्थ कश्मीर तक बनाया जाना था। यह झेलम नदी की वुलर झील के मुहाने पर बनना था और इसके तहत 440 फीट लंबा बैराज जैसा नेवल लॉक-कम-कंट्रोल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जाना था। अगर ये काम पूरा हो जाता तो झेलम नदी का करीब 3 लाख अरब क्यूबिक मीटर पानी जमा हो सकता था। इस पानी के जमा होने से साउथ कश्मीर से नॉर्थ तक करीब 100 किलोमीटर लंबा शिपिंग कॉरिडोर बनना था, जिससे यहां नावों के जरिये यात्रा और माल ढुलाई हो सकती थी। इसके अलावा झेलम पर डाउनस्ट्रीम में बनी हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध रहने से सर्दियों में भी 24 घंटे बिजली मिलने की राह खुल जाती।

हालांकि अब इस घटनाक्रम को 38 साल बीत चुके हैं और इस प्रोजेक्ट के माध्यम से जितना भी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हुआ था, वह खत्म चुका है और झेलम का पूरा पानी पाकिस्तान चला जाता है। अगर तुलबुल प्रोजेक्ट पूरा हो गया होता तो कश्मीर के बारामूला, बांदीपोरा, श्रीनगर, अनंतनाग, पुलवामा और कुलगाम जिलों को सीधा लाभ होता और कश्मीर में कभी सूखा नहीं पड़ता। साथ ही किसानों को अपना माल आसानी से दूसरी जगह भेजकर ज्यादा मुनाफा कमाने का भी मौका मिलता।

First published on: May 16, 2025 06:39 PM

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