What is the future of BSP and Mayawati: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में आंतरिक गहमागहमी तेज है, आज पार्टी सुप्रीमो और यूपी की पूर्व सीएम मायावती पार्टी नेताओं के साथ लखनऊ में बैठक करेंगी। इससे पहले शनिवार को भतीजे आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ ने मायावती से माफी मांगी। जिससे पार्टी के भविष्य को लेकर नई अटकलें लगाई जा रही हैं।
आकाश आनंद की बीते दिनों पार्टी में फिर वापसी हुई है। बताया जा रहा है कि मायावती की आज की बैठक पार्टी के भविष्य के लिहाज से बेहद खास है। बैठक में आकाश आनंद उनके ससुर समेत पार्टी से संबंधित हालिया घटनाक्रमों के साथ-साथ पार्टी के भविष्य और आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति पर मंत्राणा होगी।
उत्तर प्रदेश-बिहार में संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करना है मकसद
बैठक में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मंडल और जिला स्तर के करीब 300 से अधिक पदाधिकारी शामिल होंगे। बैठक उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य राज्यों में संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने, कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरने और दलित, पिछड़ा, और ब्राह्मण वर्गों के अपने पारंपरिक जनाधार को फिर से सक्रिय करने जैसे मुद्दों पर केंद्रीत होगी।
2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा का प्रदर्शन रहा था निराशाजनक
2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था, इस चुनाव में उसे एक भी सीट नहीं मिली थी। इसके बाद मायावती ने संगठन में कई बदलाव किए और लगातार पार्टी की समीक्षा बैठकें आयोजित की जा रही हैं। इस बार की बैठक में आकाश आनंद की वापसी और उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ के निष्कासन रद्द होने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होगी जो पार्टी के भीतर और बाहर चर्चा का विषय बने हुए हैं।
क्या है बसपा की चुनौतियां? दलित वोट बैंक हमेशा से रहा है ताकत
यूपी में कभी सरकार में रह चुकी बसपा इन दिनों प्रदेश में अपना जनाधार खो चुकी है। मायावती और पार्टी पदाधिकारी बैठक में जनता के इसी खोए विश्वास को वापस पानी की रणनीति बनाएंगे। दरअसल, बसपा का दलित वोट बैंक उसकी सबसे बड़ी ताकत है। 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का खाता तक नहीं खुला। जिससे प्रदेश में बसपा की कमजोर स्थिति का आंकलन लगाया जा सकता है।
युवा नेतृत्व की जरूरत, क्या बसपा गठबंधन की रणनीति पर करेगी काम?
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो पार्टी को युवा नेतृत्व की जरूरत है। मायावती के बाद पार्टी में स्पष्ट उत्तराधिकारी की कमी पदाधिकारियों और कार्यकताओं के लिए एक बड़ी चुनौती है। हालांकि आकाश आनंद को उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन विवाद के बाद बार-बार उनके हटाए जाने और वापसी ने कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि बसपा को गठबंधन की रणनीति पर काम करना चाहिए। बीते चुनावों में मायावती ने आगामी चुनावों में अकेले लड़ने का फैसला किया है।
बिहार चुनावों पर नजर, मजबूत रणनीति की है जरूरत
यूपी में हार के बाद पार्टी की नजर उत्तराखंड और बिहार जैसे राज्यों में है। इन राज्यों में बड़ी संख्या में दलित वोट बैंक है। लेकिन बसपा अगर बिहार विधनसभा चुनाव 2025 में अकेले चुनाव लड़ने की सोच रही है तो उसे संगठन को मजबूत और एकजुट करना होगा। बीते कुछ महीनों पर नजर डालें तो मायावती पार्टी की नियमित समीक्षा बैठकों के जरिए संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने में जुटी हैं।
उत्तर प्रदेश में 2027 में होंगे विधानसभा चुनाव, मायावती की प्रभावशाली नेताओं में गिनती
उत्तर प्रदेश में साल 2027 के विधानसभा चुनाव होंगे। इससे पहले बसपा बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन, प्रचार अभियान, और स्थानीय मुद्दों पर फोकस करती प्रदेश में आगे बढ़ती नजर आ रही है।
मायावती की आज भी देश के प्रभावशाली नेताओं में होती है गिनती
पार्टी प्रमुख मायावती के भविष्य की बात करें तो वह आज भी भारतीय राजनीति में एक प्रभावशाली नेता के रूप में जानी जाती हैं। दलित समुदाय उन्हें अपनी राजनीतिक आवाज मानता है। हालांकि ये भी सच है कि बीते कुछ सालों में सार्वजनिक मंचों पर उनकी सक्रियता कुछ कम दिखी है। यहां ये बताना भी जरूरी है कि बीते दिनों मायावती ने स्पष्ट किया था कि उनके जीते-जी उनका कोई उत्तराधिकारी घोषित नहीं होगा।
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