उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति सी.पी. राधाकृष्णन ने मंगलवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक की. सभापति ने सभी नेताओं का धन्यवाद किया और कहा कि सदन के सुचारु संचालन के लिए सामूहिक प्रयास बेहद जरूरी हैं. उन्होंने कहा कि बहस और चर्चा के लिए पर्याप्त स्थान सुनिश्चित करने के लिए एक ‘लक्ष्मण रेखा’ तय करनी होगी.
सभापति ने भरोसा दिलाया कि लोकतंत्र में हर आवाज मायने रखती है और सभी को सुना जाएगा। उन्होंने सदस्यों को जनहित के मुद्दों पर जीरो आवर और विशेष उल्लेख के माध्यम से सक्रिय भागीदारी का आग्रह किया.
सरकार किसी भी चर्चा से नहीं बच रही- नड्डा
सरकार की ओर से राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि सरकार किसी भी चर्चा से बच नहीं रही है और सभी की चिंताओं पर ध्यान दिया जा रहा है. उन्होंने स्पष्ट किया कि संसद कुछ नियमों के आधार पर चलती है, जो सभी पर समान रूप से लागू होते हैं.
वहीं, विपक्षी दलों ने अपनी नाराजगी जाहिर की. उनका कहना था कि उनके नोटिस खारिज कर दिए जाते हैं, जिससे वे उपेक्षित महसूस करते हैं. छोटी पार्टियों ने भी समय की कमी पर आपत्ति जताई और कहा कि उन्हें जनता की आवाज उठाने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं मिलता. विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार बिल जल्दबाजी में पारित करवा रही है और उनकी आपत्तियों को दरकिनार कर रही है.
बैठक के दौरान यह मुद्दा भी उठा कि प्रश्नकाल में मंत्रियों के जवाब अक्सर विषय से हटकर राजनीतिक हो जाते हैं. विपक्षी नेताओं ने सभापति से आग्रह किया कि प्रश्नों का उत्तर स्पष्ट और विषयपरक दिया जाए.
यह भी पढ़ें- 8th pay commission: सवा करोड़ इंप्लायज-पेंशनर्स की कब से बढ़ेगी सैलरी? वित्त मंत्रालय ने दिया अपडेट
बैठक में सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और एल. मुरुगन भी मौजूद रहे. इसके अलावा कांग्रेस से जयराम रमेश और प्रमोद तिवारी, तृणमूल कांग्रेस से सागरिका घोष, डीएमके से तिरुचि सिवा, शिवसेना से मिलिंद देवरा, अभिनेता-राजनेता कमल हासन, आम आदमी पार्टी से संजय सिंह, वाईएसआरसीपी से ए. राम रेड्डी, टीडीपी से सना सतीश, जीके वासन, सीपीएम से जॉन ब्रिटास, एनसीपी-एसपी से फौजिया खान और बीजद से सस्मित पात्रा मौजूद रहे.
बैठक के शुरुआत में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति ने विपक्ष से कहा कि यह उनका पहला संबोधन है और उम्मीद है कि इसे बाधित नहीं किया जाएगा.