UPI Digital Payments : यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) ने कमाल कर दिया। भारत ने डिजिटल पेमेंट की दुनिया में विश्व को नया रास्ता दिखाया। देश की सफलता विश्व के लिए एक अनुकरणीय मॉडल पेश करती है। इसे लेकर फेमस एक्सपर्ट द्वारा लिखे गए एक पेपर में कहा गया है कि इस स्वदेशी फिनटेक समाधान ने कैसे फाइनेंशियल एक्सक्यूसन रिड्यूसिंग, फोर्सिंग इनोवेशन और प्रमोटिंग एक्यूटेबिल इकॉनमी ग्रोथ के लिए सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे को खुली बैंकिंग नीतियों के साथ जोड़ा।
67 पेजों वाले इस पेपर का टॉपिक ‘ओपन बैंकिंग और डिजिटल भुगतान: क्रेडिट एक्सेस के लिए निहितार्थ’ है, जिसे शाश्वत आलोक, पुलक घोष, निरुपमा कुलकर्णी और मंजू पुरी की ओर से लिखा गया है। इस शोध पत्र की मुख्य बातों में से एक यह है कि यूपीआई ने सब-प्राइम और नए ऋण लेने वाले समेत वंचित समूहों को पहली बार औपचारिक लोन या कर्ज लेने में सक्षम बनाया। इस शोध पत्र में दावा किया गया है कि जिन क्षेत्रों में यूपीआई का प्रचलन अधिक है, वहां नए कर्ज लेने वालों को दिए जाने वाले कर्जों में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई और सबप्राइम ऋण लेने वालों को दिए जाने वाले ऋणों में 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
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डिजिटल लेन-देन को तेजी से अपना रहे लोग
यूपीआई देश का अग्रणी डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म है। देश में डिजिटल माध्यमों से भुगतान नए शिखर पर पहुंच रहा है, क्योंकि लोग इंटरनेट पर लेन-देन के तरीकों को तेजी से अपना रहे हैं। भारत सरकार का मुख्य जोर यह सुनिश्चित करने पर रहा है कि UPI के लाभ केवल भारत तक ही सीमित न रहें, बल्कि अन्य देश भी इसका लाभ उठा सकें।
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यूपीआई से हो रहा है 75% भुगतान
2016 में अपने शुभारंभ के बाद से यूपीआई ने देश में वित्तीय पहुंच को बदल दिया, जिससे 300 मिलियन व्यक्ति और 50 मिलियन व्यापारी डिजिटल लेनदेन करने में सक्षम हुए हैं। अक्टूबर 2023 तक देश में सभी खुदरा डिजिटल भुगतानों में से 75 प्रतिशत भुगतान यूपीआई के माध्यम से हुए। पावर ऑफ डिजिटल टेक्नोलॉजी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में यूपीआई को अपनाया जा सका।