India says our army will stand firm near the border: रिपोर्ट पवन मिश्रा। भारत और चीन के बीच कई राउंड की कमांडर लेवल की मीटिंग हो चुकी है। लेकिन हर मीटिंग में भारत ने साफ तौर पर कहा है कि जब तक पूरी तरह से चीन सीमा के नजदीक अपनी पेट्रोलिंग करना बंद नहीं करेगा, हमारी सेना भी डट कर खड़ी रहेगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कई बार कहा है कि ड्रैगन की बात पे भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि उसके शब्द कुछ और होते है और हरकत कुछ और होती है। यही वजह है कि माइंस डिग्री यानी बर्फीली चोटी पर भी इंडियन आर्मी के शूरवीर चीनी सैनिकों के सामने बिना किसी खतरे का एहसास लिए आमने सामने खड़े हैं। गलवान की घटना को देश कभी नही भूल सकता है। ऐसी हिंसक झड़प ड्रैगन के साथ बिहार रेजिमेंट ने किया था शायद इसका दर्द आज भी चीनी सैनिकों को जरूर हो रहा होगा। आपको बता दे कि इस खूनी हिंसक झड़प में 20 जवान शहीद हुए थे और भारतीय सैनिकों ने 40 से ज्यादा चीनी सैनिकों को मार गिराया था उसके बाद से 20 दौर तक कोर कमांडर लेवल की बातचीत हुई। बातचीत का नतीजा यह निकला कि गलवान घाटी, पेंगोंग लेक और हॉट स्प्रिंग समेत कई जगहों पर दोनों देशों की सेना पीछे हटी। लेकिन अभी भी देपसांग और डेमचोक में गतिरोध बना हुआ है।
तेजी से बॉर्डर पर गांव भी बसा रहा
इसी बीच अमेरिकी पेंटागन ने भारत को जानकारी दी है कि चीन अपने कई इलाकों में कई तरह के निर्माण करने में जुटा हुआ है। अंडर ग्राउंड सेल्टर , नई सड़क , हेलीपैड और नए राडार लगाने के साथ ही पक्की सड़क का तेजी से निर्माण कर रहा है। साथ ही तेजी से बॉर्डर पर गांव भी बसा रहा है। फाइटर प्लेन को लैंड करने के लिए एयर फील्ड का भी तेजी से निर्माण कर रहा है। आपको बता दे कि सीमा विवाद का बड़ा कारण है। भारत चीन सीमा का निर्धारण न होना है और चीन मैकमोहन लाइन को मानने को तैयार नही है। पूर्व मेजर जनरल एसके सिंह की माने तो जब तक चीन पूर्वी लद्दाख मे अपनी पुरानी वाली जगह वापस नही लौटता है। तब तक संबंध बेहतर नहीं हो सकते चीन के साथ सीमा पर विश्वास तभी कायम हो सकता है, जब चीन जो कहता है वह जमीन पर दिखे।
मीटिंग का कोई नतीजा निकलर सामने नहीं आया
पूर्व मेजर जनरल एसके सिंह कहा कि चीन की किसी की बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। चीन ने हमें 1962 में भी धोखा दिया, हमने सोचा था कि ये तो भाई है कभी हमला नहीं करेंगे। चीन के हमले के बाद ही हमें अपना अक्साई सियाचिन का क्षेत्र खोना पड़ा था। 1962 के बाद से चीन कोशिश करता रहा है कि कैसे भारत के और क्षेत्र पर कब्जा किया जाए। लेकिन भारत ने हर बार इसकी कोशिश को नाकाम किया है। हालांकि, तीन चार सालों में चीन की तरफ से कई तरह की घटना देखनों को मिली हैं। साथ ही एलएसी के ऊपर भी टेंशन काफी बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर कॉन्फिडेंस बढ़ाने को लेकर भी कई मीटिंग की गई हैं लेकिन इसका कोई नतीजा निकलर सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि इससे कोई नतीजा भी निकलने वाला नहीं है। चीन एलएसी से इंच भी अपनी सेना नहीं हटाएगा। चीन लगातार यहां पर रोड और हैलीपेड बना रहा है। इसके लिए हमें भी काफी हद तक अपनी तैयारी करनी पड़ेगी। भारत भी कई इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा है। हालांकि, चीन को हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि ये हमें कभी धोखा दे सकता है।
भारत ने भी वहां पर अपना इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया
शैलेन्द्र रक्षा मामलों के जानकार ने कहा कि चार साल हो गए हैं भारत और चीन लद्दाख में संघर्ष को लेकर एक दूसरे के सामने डटे हुए हैं। यूएस ने भी अपनी सैटेलाइट के जरिए तस्वीर जारी की थी कि इस इलाके में चीन लगातार अपना क्षेत्र निर्माण कर रहा है। वहीं, भारत ने भी वहां पर अपना इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है। लड़ाई जज्बे की है, अपने देश की आन बान और शान की है। भारत ने चीन को चैलेंज किया है कि अगर चीन अपनी हरकत से बाज नहीं आता है तो भारत आर्थिक मुद्दे पर चीन के साथ किसी तरह की चर्चा को आगे नहीं बढ़ाएगा। चीन को पता है कि अगर भारत आर्थिक मामले पर कोई बड़ा कदम उठाता है तो उसे कितना नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं, चीन ये भी जनता है कि अगर वह युद्ध करता है तो उसे नुकसान हो सकता है। इस समय इंडिया बहुत मजबूत स्थिति में है।