Three New Criminal Laws: तीनों नए कानून एक जुलाई को लागू होने के बाद विपक्ष लगातार संशोधन की मांग कर रहा है। तीनों कानूनों पर गैर बीजेपी शासित राज्यों की सरकारें, कानून के जानकार और सिविल सोसायटी के लोग सवाल उठा रहे हैं। अब आईपीसी 1860 को बीएनएस 2023 कर दिया गया है। अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 (आईई अधिनियम) को भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 और दंड प्रकिया संहिता 1973 (सीआरपीसी) को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के तौर पर जाना जाएगा।
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30 जून के बाद हुए क्राइम की पुलिस इन्हीं कानूनों के अंतर्गत जांच करेगी। लेकिन कुछ राज्यों में इन कानूनों का विरोध हो रहा है। तमिलनाडु और कर्नाटक की सरकारें संशोधन की मांग कर रही हैं। तमिलनाडु ने कहा कि नए कानून अनुच्छेद 348 का उल्लंघन है। कानूनों के नाम अंग्रेजी में किए जाएं। लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी आपत्तियों को नजरअंदाज किया है। बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी कानूनों को लागू करने के खिलाफ हैं।
Three new criminal laws:
The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023; The Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 & The Bharatiya Sakshya Adhiniyam, 2023 come into effect from today (1st July). pic.twitter.com/ZeE65F3b3W---विज्ञापन---— ABHINAV MISHRA 𝕏 (@xAbhinavMishra) July 1, 2024
कर्नाटक ने कानूनों की समीक्षा के लिए बनाई थी कमेटी
कर्नाटक ने इन कानूनों की समीक्षा के लिए एक विशेषज्ञों की समिति भी बनाई थी। पिछले साल इस समिति ने अपने सुझाव कानून मंत्री एचके पाटिल की अध्यक्षता में तैयार किए थे। जिनको बाद में गृह मंत्री अमित शाह को सौंपा गया था। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों से सुझाव मांगे थे। पाटिल ने बीबीसी हिंदी से बातचीत में कहा है कि केंद्र सरकार ने उनके सुझावों को लेकर जवाब नहीं दिया। नए कानून सिर्फ औपनिवेशिका छोड़ने का दिखावा भर हैं। आप किसी रेलवे ट्रैक के बगल में नया ट्रैक इसलिए नहीं बना सकते हैं कि इसे अंग्रेजों ने बनाया था। नए कानूनों से केस करने वाले अधिक प्रताड़ित होंगे।
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पाटिल के अनुसार नए कानून में राष्ट्रपति महात्मा गांधी, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्र गान के अपमान को अपराध नहीं माना जाएगा। यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। अब आत्महत्या को भी अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। वहीं, उपवास को अपराध की श्रेणी में डाला गया है। महात्मा गांधी ने अनशन करके ही देश से अंग्रेजों को भगाने का काम किया था। उन्होंने यौन शोषण को लेकर भी नए कानून पर सवाल उठाए। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने भी नए कानूनों में मौलिक गड़बड़ियां होने की बात कही थी।