Reservation Increase in States: बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाने वाली नीतीश सरकार को आज हाईकोर्ट ने झटका देते हुए बढ़ाए हुए आरक्षण को खारिज कर दिया। नीतीश सरकार ने पिछले साल विधानसभा में विधेयक पारित कराकर कुल आरक्षण की सीमा 65 प्रतिशत कर दी थी। ऐसे में पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण की चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा लाए गए कानून को रद्द करने का फैसला लिया है। ऐसे में आइये जानते हैं ऐसे कौन-कौनसे राज्य हैं जहां पर आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से ज्यादा है।
पिछले दिनों मराठा आरक्षण मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से पूछा कि कौन-कौन राज्य आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक करना चाहते हैं। इस पर देश के आधा दर्जन राज्यों ने सहमति जताते हुए मांग की थी कि आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक होनी चाहिए। इनमें राजस्थान, तमिलनाडु, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य शामिल हैं।
जानें क्या है इंदिरा साहनी मामला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 1992 में इंदिरा साहनी मामले में जातिगत आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय कर दी थी। इसके बाद यह कानून बन गया कि 50 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं हो सकता। ऐसे में महाराष्ट्र में मराठा, गुजरात में पटेल, राजस्थान में गुर्जर और हरियाणा में जाट जब-जब आरक्षण की मांग करते हैं तो सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला हमेशा आड़े जाता है। इसके बाद 2019 में मोदी सरकार ने आर्थिक आधार पर पिछले सामान्य वर्ग के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया था। ऐसे में आरक्षण की सीमा बढ़कर 59.5 प्रतिशत हो गई।
Breaking: Patna High Court sets aside #Bihar law that increased the reservation for Backward Classes, Extremely Backward Classes, Scheduled Castes, and Scheduled Tribes from 50% to 65%. #PatnaHighCourt #reservation pic.twitter.com/j8xUk994Aq
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तमिलनाडु
तमिलनाडु में काफी पहले आरक्षण का दायरा 50 फीसदी से ज्यादा है। यहां पर ओबीसी को 30 प्रतिशत, 20 प्रतिशत अति पिछड़ा वर्ग, 18 प्रतिशत एससी और 1 फीसदी कोटा एसटी के लिए रिजर्व किया गया है।
कर्नाटक
कर्नाटक में वर्तमान में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत है। हालांकि बीजेपी सरकार ने चुनाव में आरक्षण बढ़ाने का वादा किया। लेकिन लोगों ने सरकार बदल दी। अभी यहां कांग्रेस की सरकार है। कर्नाटक में एससी को 15 प्रतिशत, एसटी को 3 प्रतिशत, ओबीसी को 32 प्रतिशत आरक्षण मिलता है।
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राजस्थान
राजस्थान में भी फीसदी आरक्षण की सीमा है। प्रदेश में एससी को 16 प्रतिशत, एसटी को 12 प्रतिशत, ओबीसी को 21 प्रतिशत, ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत और एमबीसी को 5 प्रतिशत आरक्षण है। हालांकि गुर्जरों को अलग से मिले आरक्षण के बाद आरक्षण की सीमा बढ़कर अब 54 प्रतिशत हो गई है।
झारखंड
झारखंड में अभी आरक्षण की सीमा 50 फीसदी है। मौजूदा समय में एससी को 26 प्रतिशत, एसटी को 10 प्रतिशत, ओबीसी को 14 प्रतिशत और आर्थिक रूप से पिछड़ी सामान्य जातियों को 10 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा हैं। ऐसे में कुल आरक्षण की सीमा 60 प्रतिशत है। वहीं हेमंत सरकार ओबीसी का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 कर सकती है। ऐसे में आरक्षण की सीमा 73 प्रतिशत के पार हो जाएगी।
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महाराष्ट्र
महाराष्ट्र सरकार भी आरक्षण के दायरे को 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ाने की मांग कर चुकी है। 2018 में मराठाओं के विरोध केे बाद बीजेपी सरकार ने मराठाओं को 16 फीसदी आरक्षण दिया था। इसके बाद बाॅम्बे हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए नौकरी में 13 और शिक्षा में 12 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया था।