Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वरिष्ठ अधिकारियों के बीच चल रहे संघर्ष को लेकर तल्ख टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारियों पर अपनी श्रेष्ठता साबित करने का प्रयास करते हैं। शीर्ष अदालत ने एक तरफ IAS और दूसरी तरफ IFS-IPS अधिकारियों के बीच चल रहे संघर्ष पर नाराजगी जाहिर करते हुए यह बात कही। जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ वन संरक्षण कानून से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही थी। इस दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि वे 3 साल तक सरकारी वकील के तौर पर काम कर चुके हैं।
यह भी पढ़ें:Himani Murder: ‘सिर्फ दोस्त थे, सचिन से कोई अफेयर नहीं…’; हिमानी नरवाल हत्या मामले में नया ट्विस्ट
वहीं, एक जज के तौर पर सेवाएं देते हुए 22 साल हो चुके हैं। वे अपने अनुभव के आधार पर बता सकते हैं कि IAS अधिकारी हमेशा IPS और IFS अधिकारियों पर अपना वर्चस्व दिखाना चाहते हैं। एक तरफ आईपीएस, आईएफएस और दूसरी तरफ आईएएस अधिकारियों के बीच हमेशा टकराव की स्थिति दिखती है। वे एक समान हैं, फिर भी इनकी आपस में खीझ बनी रहती है। आईएएस अधिकारी यही सोचते हैं कि उनके साथ वरिष्ठों जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए।
सॉलिसिटर जनरल हुए पेश
सुनवाई के दौरान भारत सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी पेश हुए। उन्होंने दावा किया कि IPS, IFS और IAS अधिकारियों के बीच ऐसा कोई संघर्ष या टकराव नहीं है। इस पर जस्टिस गवई ने असहमति जाहिर की। उन्होंने कहा कि वे सरकारी वकील रहे हैं, इसके बाद जज बने हैं। अपने अनुभव के आधार पर बता सकते हैं कि आईएएस अफसर आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों पर अपनी श्रेष्ठता दिखाते हैं। उन्होंने सॉलिसिटर जनरल मेहता से कहा कि इस विवाद को खत्म किया जाना चाहिए। मेहता ने इसका जवाब देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मन में जो धारणा बनी है, उसे दूर करने का प्रयास करेंगे।
IAS officers always want to show supremacy over IPS/IFS officers: Supreme Court
This conflict is there in all states and there is heartburn among IPS and IFS officers, the Court observed.
Read more: https://t.co/80P2dOnlP2 pic.twitter.com/xAUD5XSYnj
— Bar and Bench (@barandbench) March 5, 2025
अप्रैल में होगी अगली सुनवाई
जस्टिस गवई वन संरक्षण से जुड़े मामले में टीएन गोदावर्मन की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। कुछ अर्जियों को लेकर उन्होंने तल्ख टिप्पणी की। इससे पहले सॉलिसिटर ने दो अर्जियों पर सुनवाई स्थगित करने की मांग की। उन्होंने पीठ के समक्ष हवाला दिया कि वे एक और मामले की सुनवाई में भी व्यस्त हैं। इसलिए फिलहाल सुनवाई टाली जाए और होली के बाद इन अर्जियों पर सुनवाई हो। उन्होंने कहा कि याचिका में जो भी मुद्दे उठाए गए हैं, उनको लेकर सरकार चिंतित और गंभीर है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि वे इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त किए वरिष्ठ अधिवक्ता के परमेश्वर के साथ डिस्कस करके कोई रास्ता निकालेंगे। इसके साथ ही पीठ ने मामले की अगली सुनवाई अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी है।
यह है मामला
सुप्रीम कोर्ट में प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA) के फंड के दुरुपयोग को लेकर सुनवाई चल रही है। इस योजना का उद्देश्य वनरोपण को बढ़ावा देना और वन संसाधनों का संरक्षण करना है। पीठ ने CAMPA के फंड के दुरुपयोग और गैर जरूरी कामों को लेकर चिंता जाहिर की है। राशि का ब्याज जमा न करने पर पीठ ने संबंधित राज्य के मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
यह भी पढ़ें:Himani Murder: हत्या के बाद आरोपी ने हिमानी के गहने उतारे, फाइनेंस कंपनी के पास रखे गिरवी; खुद खोले ये राज