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ED के पास कौनसी शक्तियां जो उसे बनाती हैं सबसे ताकतवर? याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में 7 मई को ईडी की शक्तियों को लेकर दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगा। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2022 में दिए गए फैसले पर दायर की गई है। जिसमें ईडी की शक्तियों को सही ठहराया गया था। ऐसे में आइये जानते हैं ईडी के पास ऐसी कौनसी शक्तियां हैं जो उसे सबसे अधिक ताकतवर बनाती हैं।

Author Edited By : Rakesh Choudhary Updated: May 6, 2025 22:17
Supreme Court hearing on ED powers
Supreme Court hearing on ED powers

सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की गिरफ्तारी और संपत्ति जब्त करने की शक्तियों को लेकर 2022 में दिए गए फैसले पर पुनर्विचार की मांग वाली याचिकाओं पर तीन सदस्यीय पीठ का पुनर्गठन किया है। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जवल भुइयां और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ 2022 के फैसले पर पुनर्विचार याचिकाओं पर 7 मई को सुनवाई करेगी। ईडी के काम करने के तौर-तरीकों को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। विपक्ष की ओर से यह मांग उठती रही है कि सरकार ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष के नेताओं को दबाने के लिए करती है। ऐसे में 7 और 8 मई को ईडी की शक्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होनी है। आइये जानते हैं ईडी की वे कौनसी शक्तियां हैं जो उसे सबसे ताकतवर एजेंसी बनाती है। केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी के पास कई अधिकार है।

ईडी के पास कौनसी शक्तियां हैं-

1. ईडी के पास बिना वारंट के अरेस्ट करने का अधिकार है।
2. ईडी को आर्थिक मामलों की जांच, कुर्की-जब्ती के साथ ही अरेस्ट और अभियोजन की कार्रवाई का अधिकार है।
3. ईडी भगोड़े अपराधियों की सपत्ति को कुर्क कर सकती है।
4. मनी लॉन्ड्रिग को रोकने के लिए ईडी कार्रवाई करती है। ईडी को इस तरह के अपराध में आय प्राप्त संपत्ति का पता लगाने के लिए जांच करने, संपत्ति को अस्थायी रूप से अटैच करने और अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का अधिकार है।
5. ईडी विदेशी मुद्रा कानून को उल्लंघन करने से रोकती है।
6. ईडी गलत तरीके से कमाई गई संपत्ति का पता लगाने के लिए जांच करती है। संपत्ति को जब्त और अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाती है।
7. ईडी बिना आरोपी से पूछताछ किए संपत्ति को जब्त कर सकती है।
8. आरोपी की गिरफ्तारी के वक्त एजेंसी जांच का कारण बताएगी या नहीं, यह भी उसकी मर्जी पर निर्भर है।
9. ईडी के अधिकारी का बयान अदालत में सबूत माना जाता है।
10. पीएमएलए के मामलों में हुई गिरफ्तारी में जल्द जमानत मिलना मुश्किल होता है।

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कब हुई ईडी की स्थापना?

ईडी की स्थापना 1 मई 1956 को हुई थी। तब इसे एन्फोर्समेंट यूनिट नाम दिया गया था। इसकी दो ब्रांच थी मुंबई और कलकत्ता। 1957 में इसका नाम बदलकर एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट किया गया। 1960 में इसका एक ऑफिस चैन्नई में खुला। ऐसे में आर्थिक धोखाधड़ी को रोकने के लिए ईडी की प्रासंगिकता समय के साथ बढ़ती चली गई। ईडी वर्तमान में भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अंडर में काम करती है।

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सुप्रीम कोर्ट ने दो नियमों पर जताई थी आपत्ति

जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिग रोकथाम कानून के तहत धन शोधन के मामले में गिरफ्तारी और सपंत्ति की कुर्की, तलाशी और जब्ती की ईडी की शक्तियों को सही ठहराया था। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने फैसले पर आपत्ति जताई थी। वहीं अब पुनर्गठित पीठ अब यह तय करेगी कि उस फैसले की दोबारा समीक्षा की आवश्यकता है या नहीं।

अगस्त 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने को लेकर सहमति जताई थी। कोर्ट ने उस समय दो पहलुओं पर पुनर्विचार की आवश्यकता जताई थी। इनमें प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट नहीं देना है। कोर्ट ने कहा था कि प्रत्येक मामले में संबंधित व्यक्ति को ईसीआईआर की प्रति उपलब्ध कराना अनिवार्य नहीं है और यदि ईडी गिरफ्तारी के समय इसके लिए आधार बता दे तो यह पर्याप्त है।

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Edited By

Rakesh Choudhary

First published on: May 06, 2025 09:59 PM

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