Supreme Court on Lawyers: आमतौर पर किसी पेशेवर शख्स से शिकायत होने पर लोग कंज्यूमर कोर्ट के दरवाजे खटखटाते हैं। मगर अब वकीलों पर ये प्रवाधान लागू नहीं होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने हालिया सुनवाई में वकीलों पर बड़ा फैसला सुनाया है।
सर्वोच्च न्यायालय का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में साफ किया है कि वकीलों पर उनकी खराब सेवा और खराब पैरवी के चलते कंज्यूमर कोर्ट में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। कोर्ट का कहना है कि वकालत का पेशा बिजनेस और व्यापार से अलग है। ये कंज्यूमर प्रोटक्शन एक्ट 1986 के दायरे में नहीं आता है। इसलिए कंज्यूमर कोर्ट में वकीलों के खिलाफ शिकायत नहीं की जा सकती है।
सेवा के लिए जिम्मेदार नहीं हैं वकील
अब सवाल ये है कि वकीलों की मनमानी की शिकायत कहां दर्ज करवाई जाए? सुप्रीम कोर्ट के अनुसार उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में वकीलों से जुड़ा प्रावधान है। इस अधिनियम को 2019 में संशोधित किया गया था। इस अधिनियम में साफ किया गया है कि सेवाओं में कमी के लिए वकीलों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
पेशेवर लोगों ने ना करें वकीलों की तुलना
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि वकीलों का पेशा अन्य पेशेवर लोगों से अलग है। उनकी तुलना व्यवसाय और व्यापार करने वाले लोगों ने नहीं की जा सकती है। इसलिए उपभोक्ता फोरम वकीलों से जुड़ी सुनवाई नहीं कर सकता है।