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चौके-छक्‍के लगाने वाले ने उड़ा दिया लड़ाकू विमान, भारत के पहले फाइटर पायलट के बारे में कितना जानते हैं आप

Hardit Singh Malik First Indian Pilot: उनकी योग्यता पर कई लोगों ने सवाल उठाए और उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया। लोगों को आपत्ति थी कि एक भारतीय को प्लेन कैसे उड़ाने दिया जाएगा, लेकिन हरदित इससे निराश नहीं हुए।

Edited By : Shubham Singh | Updated: Dec 28, 2023 14:26
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Hardit Singh Malik Indias first fighter plane pilot: आज हम आपको बताने जा रहे हैं भारत के पहले फाइटर पायलट और उनके बेहतरीन कारनामे के बारे में। भारत के इस पहले लड़ाकू विमान के पायलट का नाम था हरदित सिंह मलिक। उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध में भी अंग्रेजों की तरफ से लड़ाई लड़ी थी। इस दौरान उन्होंने अपने विमान पर इंडिया लिखा था। उनकी कहानी बहुत ही रोचक और बहादुरी से भरी है। हरदित एक अच्छे क्रिकेटर भी थे। साल 1912 में इंग्लैंड में एक वक्त क्रिकेट खेलते समय किसी को नहीं पता था कि यह क्रिकेटर एक दिन इतना रोमांचक काम भी करेगा। इसके बाद साल 1914 में प्रथम विश्वयुद्ध शुरू हो गया और ब्रिटेन भी इस युद्ध में शामिल हो गया।

राइटर प्रोबल दासगुप्ता ने एक किताब लिखी है, जिसमें उन्होंने हरदित सिंह मलिक की बहादुरी का जिक्र किया है। बताया गया है कि हरदित का जन्म 1894 में पश्चिमी पंजाब के रावलपिंडी में हुआ था। वे जब 14 साल के हो गए तो पढ़ाई के लिए उन्हें इंग्लैंड भेजा गया। युद्ध जब शुरू हुआ तब वे बैलिओल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में थे। इसके बाद उन्होंने लड़ाकू पायलट बनने के लिए आवेदन किया। इसके लिए उनकी योग्यता पर कई लोगों ने सवाल उठाए और उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया। लोगों को आपत्ति थी कि एक भारतीय को प्लेन कैसे उड़ाने दिया जाएगा, लेकिन हरदित इससे निराश नहीं हुए।

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कैसे बने पायलट

1915 में उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्हें मोटर एंबुलेंस चलाने का काम मिला। इस दौरान उन्हें उड़ते हुए हवाई जहाज बहुत आकर्षित करते थे। उनका जूनून था कि वे पायलट बनें। प्लेन उड़ते देख उन्हें अपने बचपन में पतंग उड़ाने की भी याद आती। उनके मन में उड़ने की तमन्ना थी। एकदिन उन्होंने अपने दोस्त से पूछा कि क्या वह फ्रांसीसी वायु सेवा के लिए आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने आवेदन किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। अक्टूबर 1917 में उन्हें फ्रांस में स्पेशल तैनाती मिली। उन्हें बेहतरीन पायलट माना गया और पुरस्कार भी मिले। कुछ दिनों बाद हरदित को इंग्लैंड बुलाया गया और 5 अप्रैल 1917 को उन्हें सेवा करने का मौका मिला।

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First published on: Dec 28, 2023 02:02 PM

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