Stampede prevention rules different states India: तमिलनाडु के करूर जैसी भगदड़ की घटनाओं में होने वाली मौतों को रोकने के लिए कोई ठोस कानून नहीं है. हर बड़ी घटना के बाद विशेषज्ञ ‘स्टैम्पेड रोकथाम अधिनियम’ बनाने की मांग उठाते रहे हैं. 2005 से संसद में लागू आपदा प्रबंधन अधिनियम (DMA) के तहत राज्यों और जिलों को मास गैदरिंग प्लान बनाना अनिवार्य है. 2014 में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम (NDMA) की गाइडलाइंस जारी की गई. 2018 में इन गाइडलाइंस को अपडेट किया गया. NDMA की गाइडलाइंस को फॉलो करते हुए राज्यों में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) बनाई है, जो NDMA की गाइडलाइन के हिसाब से SOP जारी करती है. राज्यों में बड़ी घटनाओं के बाद एसओपी जारी की गई. जिला स्तर पर DDMA बनाई गई, जिसमें जिलाधिकारी अध्यक्ष बनाए गए.
DMA एक्ट के तहत जिम्मेदारी किसकी?
दिसंबर 2005 में आपदा प्रबंधन अधिनियम (DMA) संसद में पास हुआ. राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद अधिनियम 26 दिसंबर 2005 से लागू हुआ. इसके बाद गृह मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम (NDMA) का गठन हुआ. प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष हैं. राज्य स्तर पर SDMA के अध्यक्ष मुख्यमंत्री हैं और जिला स्तर पर DDMA के अध्यक्ष जिलाधिकारी हैं.
महाराष्ट्र के लिए सबसे पहले एसओपी जारी
महाराष्ट्र में 2005 में मंदरदेवी मंदिर में भगदड़ मचने से 340 लोगों की मौत हुई थी. 2006 से राज्य आपदा प्रबंधन योजना में “Mass Gathering” शामिल किया गया. इसके तहत मंदिर/गणेशोत्सव के लिए अलग एंट्री-एग्ज़िट, भीड़ पर नियंत्रण के लिए मॉनीटरिंग की गई और आयोजनों में स्वास्थ्य टीमों की तैनाती की गई.
राजस्थान में जोधपुर के चामुंडा देवी मंदिर में भगदड़ के बाद SOP जारी
राजस्थान के जोधपुर में 2008 में चामुंडा देवी मंदिर में भगदड़ की खबर मिली. 2009 में धार्मिक स्थलों के लिए Crowd Management SOP जारी की गई. इसके तहत बैरिकेडिंग, पुलिस बल, मॉक ड्रिल, आयोजक की जिम्मेदारी तय की गई.
प्रयागराज में कुंभ मेले में भगदड़ के बाद एसओपी जारी
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 2013–2019 के बीच प्रयागराज में लगे कुंभ मेले में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए क्राउड मैनेजमेंट की जरूरत पड़ी. 2019 से पहले प्रयागराज के कुंभ मेले के लिए क्राउड मैनेजमेंट मास्टर प्लान जारी किया गया, जिसमें बैरिकेडिंग, CCTV, मेडिकल पोस्ट, संयुक्त कंट्रोल रूम, डिजिटल टिकटिंग जरूरी की गई.
मध्यप्रदेश के दतिया मंदिर में भगदड़ के बाद एसओपी जारी
मध्यप्रदेश के दतिया के रतनगढ़ मंदिर में 2013 में भगदड़ की खबर मिली थी, इसलिए 20114 से 2014 से मास गैदरिंग गाइडलाइंस को डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान में जोड़ा. क्राउड फ्लो सेजरेशन के तहत पुल और सड़क पर खुद डीएम सुरक्षा व्यवस्था की तैयारियों को परखेंगे.
तमिलनाडु और केरल में एसओपी जारी
तमिलनाडु और केरल के सबरीमाला, पोंगल/थाईपूसम जैसे त्योहारों में भीड़ को देखते हुए 2015 से ऑनलाइन पास सिस्टम और मेडिकल कैंप, ड्रोन सर्विलांस को प्राथमिकता दी गई. इसके तहत भीड़ क्षमता तय की गई, एक्जिट रूट साफ किए गए और फायर और हेल्थ एसओपी अनिवार्य की गई।
जम्मू-कश्मीर में वैष्णो देवी में भगदड़
2022 में वैष्णो देवी में भगदड़ की खबर मिली थी. इसके बाद श्राइन बोर्ड के नियम और सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश से डिजिटल रजिस्ट्रेशन और CCTV अनिवार्य किया गया. इसके तहत AI सर्विलांस और स्लॉट बुकिंग अनिवार्य किया गया.
पश्चिम बंगाल में गंगासागर मेला और बिहार में छठ पर एसओपी जारी
पश्चिम बंगाल में हर साल होने वाले गंगासागर मेले को देखते हुए 2018 से SDMA के अंतर्गत क्राउड कंट्रोल प्लान बनाया गया. वहीं, बिहार में छठ पूजा घाटों पर हर साल भीड़ दमड़ती है. वहीं, 2024 में शैलेश केस के चर्चा में आने के बाद प्रशासन सख्त हुआ. इसके बाद छठ पूजा को लेकर SOP जारी की गई, घाट क्षमता सीमित की गई और मेडिकल टीम, बैरिकेडिंग का इंतजाम किया गया.