Shivsena UBT Saamana Editorial: शिवसेना UBT ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए भाजपा पर निशाना साधा है। डुप्लीकेट वोटर रजिस्ट्रेशन को आधार बनाकर महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत पर सवाल उठाए गए हैं। संपादकीय में लिखा गया है कि भारत में चुनाव सबसे बड़ा घोटाला है, अंतरराष्ट्रीय भाषा में इसे ‘स्कैम’ कहते हैं। उस घोटाले का मुख्य सूत्रधार भारत का चुनाव आयोग है। महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा को जो जीत हासिल हुई है, उसकी वजह डुप्लीकेट मतदाता पंजीकरण है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भी उस राज्य में डुप्लीकेट वोटर्स का यही खेल शुरू हुआ था, लेकिन समय रहते ममता बनर्जी द्वारा चुनाव आयोग की चोरी पकड़ ली गई। इसके साथ ही चोर ने उल्टा शोर मचाना शुरू कर दिया है। भारत में पिछले 10 सालों से EVM घोटाला चल ही रहा था। भाजपा ‘चुनावी फोटो पहचान पत्र’ यानी ‘EPIC’ में घोटाला करके दिनदहाड़े वोट चुरा रही है।
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यूनिक नंबर की घोषणा के बावजूद मिले फर्जी नंबर
पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में घुसाए गए लाखों वोटर्स पहले झारखंड-गुजरात-बिहार जैसे राज्यों की मतदाता सूची में भी दर्ज थे। उनका EPIC भी वही है। यह इस बात का सबूत है कि चुनाव आयोग और भाजपा मिले हुए हैं। 18 सितंबर 2008 को चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर घोषणा की कि EPIC नंबर यूनिक होगा। एक को केवल एक नंबर और यह नंबर डुप्लीकेट नहीं होगा तो फिर 15 साल बाद लाखों डुप्लीकेट (फर्जी) EPIC नंबर कैसे मौजूद हैं? तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के सवालों की बौछार पर चुनाव आयोग की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। उन्होंने पहली बार इस गलती को स्वीकार किया। कई लोगों को डुप्लीकेट EPIC नंबर दिए जाने की बात स्वीकार करने के बाद यह साबित हो जाता है कि महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव में इसी तरीके से घोटाला किया गया और भाजपा की जीत में चुनाव आयोग ने ही योगदान दिया। चुनाव आयोग पर तृणमूल कांग्रेस का हमला इतना जबरदस्त था कि वोटर भूकंप से दिल्ली का केंद्रीय चुनाव आयोग हिल गया।
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भाजपा को बताया घोटाले का मुख्य किरदार
चुनाव आयोग का यह खुलासा कि 2 अलग-अलग राज्यों में 2 मतदाताओं के पास एक ही EPIC नंबर हो सकता है, बकवास है। एक मतदाता एक नंबर चुनाव आयोग की नीति है तो फिर डुप्लीकेट नंबरों का यह इंद्रजाल किसके मस्तिष्क की उपज है? यह सब हथकंडे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर संदेह पैदा करते हैं। भारत का चुनाव आयोग ‘भोला’ नहीं है। निष्पक्ष तो बिल्कुल नहीं है और यह बिल्कुल भी उचित नहीं है। वह भाजपा के चुनावी घोटाले का एक प्रमुख किरदार है। राहुल गांधी ने खुलासा किया कि मुख्य चुनाव आयोग की नियुक्ति असंवैधानिक तरीके से की गई है। जब चुनाव आयोग की चयन प्रक्रिया को लेकर मामला लंबित था तो मोदी और शाह ने जल्दबाजी में अपनी पसंद का चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया। एक कठपुतली सेवानिवृत्त हो गई और यही कठपुतली देश के लोकतंत्र का काल बन गई। देशभर में अपने पसंदीदा लोगों को मतदाता सूची में डलवाकर चुनाव जीतने की यह एक नई तकनीक है।
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‘डुप्लीकेट’ मतदाताओं के नाम लिस्ट में डलवाए
जो वोटर आईडी नंबर पश्चिमी बंगाल के वोटरों को दिए गए हैं, वही नंबर गुजरात, हरियाणा, बिहार के वोटरों को दिए गए? राज्यों के कई निर्वाचन क्षेत्रों से हजारों नाम बाहर करके उनकी जगह अपने समर्थक डाले जाने का नतीजा यह हुआ कि देश के लाखों मतदाता वोट देने के अधिकार से वंचित हो गए। भाजपा और उसके सहयोगियों ने हरियाणा में 6 लाख और महाराष्ट्र में लगभग 40 लाख डुप्लीकेट मतदाताओं की घुसपैठ कराकर चुनाव जीता और सत्ता पर कब्जा कर लिया। यह कोई जनमत नहीं है। यह एक ‘स्कैम’ या घोटाला है। भारत में ईवीएम घोटाला और चुनावी मतदाता सूचियों के माध्यम से ‘स्कैम’ पिछले 10 वर्षों से चल रहा है। ममता बनर्जी और उनके सहयोगियों ने इस मामले में चुनाव आयोग से सवाल किया और उन्हें अपनी गलती स्वीकार करने पर मजबूर किया। ‘दुनिया झुकती है, झुकानेवाला चाहिए’ बस! महाराष्ट्र में वोटर फेहरिस्तों पर दिनदहाड़े डाके डाले गए। हाथ में आती जीत ले गए, बावजूद इसके ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग से संघर्ष किया।
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केजरीवाल के विधानसभा क्षेत्र में रची गई साजिश
ममजा बनर्जी के संघर्ष के आगे चुनाव आयोग को झुकना पड़ा। महाराष्ट्र और दिल्ली में भी ऐसे संघर्ष दिखाई देने में कोई दिक्कत नहीं थी। केजरीवाल खुद दिल्ली में हार गए। केजरीवाल के अपने निर्वाचन क्षेत्र से 31000 मतदाताओं को हटा दिया गया और 30000 नए मतदाताओं को मतदाता सूची में जोड़ा गया। जब यह बड़ा ‘स्कैम’ हो रहा था तो सयानों की पार्टी कही जानेवाली ‘आप’ ठंडी पड़ गई थी। भाजपा के लोग साजिशकर्ता हैं और उन्होंने नैतिकता की हत्या कर दी है। चूंकि उन्होंने लोकतंत्र, नैतिकता आदि को तिलांजलि दे दी है, इसलिए किसी को भी इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि भविष्य में चुनाव सीधे तरीके से होंगे। ईवीएम डुप्लीकेट, डुप्लीकेट मतदाता सूचियां, मतदाता पहचान पत्र डुप्लीकेट, इसलिए चुनाव और उनकी जीत भी डुप्लीकेट है। इस घोटाले पर पश्चिम बंगाल ने आवाज उठाई। महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा तड़पते रह गए। इसलिए चुनाव आयोग के ‘स्कैम’ जारी ही रहेंगे। सतारूढ़ पार्टियां इसी तरह फर्जी वोटरों के जरिए चुनाव जीतती रहेंगी।