इसरो प्रमुख वी नारायणन ने शुक्रवार को भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी)-सी61/ईओएस-09 मिशन के सफल प्रक्षेपण के लिए आशीर्वाद मांगा। यह एक रिमोट सेंसिंग उपग्रह मिशन है। इसका प्रक्षेपण 18 मई को सुबह 5.59 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से होने वाला है।
पीएसएलवी-सी61 का एक छोटा मॉडल भगवान को अर्पित किया
शुक्रवार की सुबह वीआईपी दर्शन के दौरान इसरो प्रमुख नारायणन ने अनुष्ठान में भाग लिया और पीएसएलवी-सी61 का एक छोटा मॉडल भगवान के चरणों में रखा। साथ ही मिशन की सफलता और सुरक्षा के लिए आशीर्वाद मांगा। वैदिक विद्वानों ने रंगनायकुला मंडपम में आशीर्वाद दिया, जबकि मंदिर के अधिकारियों ने तीर्थ प्रसादम (पवित्र जल) भेंट किया और नारायणन को रेशमी शॉल से सम्मानित किया।
नारायणन ने क्या कहा?
वी नारायणन ने पूजा के बाद संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा, ‘पीएसएलवी-सी61 के साथ यह 101वां मिशन इसरो के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी, जो भारत की सभी मौसम में पृथ्वी अवलोकन क्षमताओं को प्रदर्शित करेगा और अंतरिक्ष आधारित समाधानों के प्रति देश की प्रतिबद्धता को मजबूत करेगा।’ यह मिशन पृथ्वी अवलोकन उपग्रह को सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा (SSPO) में स्थापित करेगा, जो एक विशिष्ट प्रकार की ध्रुवीय कक्षा है, जहां सैटेलाइट सूर्य के साथ निरंतर एलाइनमेंट (संरेखण) बनाए रखता है।
PSLV-C61 पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल की 63वीं उड़ान है और PSLV-XL कॉन्फिगरेशन का उपयोग करने वाला 27वीं उड़ान है। इसरो की वेबसाइट के अनुसार, यह मिशन पेलोड और कक्षाओं की एक विस्तृत श्रृंखला में विश्वसनीय प्रदर्शन देने के PSLV के रिकॉर्ड को जारी रखता है। इसरो द्वारा कहा गया है कि EOS-09 को विभिन्न क्षेत्रों में परिचालन अनुप्रयोगों की एक श्रृंखला के लिए सुसंगत और विश्वसनीय रिमोट सेंसिंग डेटा देने के लिए डिजाइन किया गया है।
पीएसएलवी-सी61 की खासियतें
पीएसएलवी भारत की निगरानी और आपदा प्रबंधन क्षमताओं को सशक्त बनाता है। ईओएस-09, जिसे रीसैट-1बी के नाम से भी जाना जाता है, अत्याधुनिक सी-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर) से सुसज्जित है, जो इसे सभी मौसम की परिस्थितियों में चाहे दिन हो या रात पृथ्वी की सतह की हाई-रिजॉल्यूशन वाली तस्वीरें लेने में सक्षम है। यह एडवांस रडार टेक्नोलॉजी सैटेलाइट को बादलों, वर्षा और अंधेरे के पार देखने में सक्षम बनाती है, जो पारंपरिक ऑप्टिकल इमेजिंग उपग्रहों की सीमाओं को पार करती है। लगभग 1,710 किलोग्राम वजन वाले EOS-09 को सूर्य के समकालिक कक्षा में रखा जाएगा, जिससे इसके इमेजिंग कार्यों के लिए निरंतर प्रकाश सुनिश्चित होगा।
EOS-09 अंतरिक्ष में क्या करेगा?
इस सैटेलाइट में 5 इमेजिंग मोड हैं, जिनमें छोटी वस्तुओं का पता लगाने में सक्षम अल्ट्रा-हाई-रिजॉल्यूशन स्कैन से लेकर व्यापक अवलोकन के लिए विस्तृत क्षेत्र कवरेज तक शामिल हैं। इसकी वर्सिटालिटी EOS-09 को सीमा निगरानी, राष्ट्रीय सुरक्षा, कृषि, वानिकी, बाढ़ निगरानी और शहरी नियोजन सहित कई अनुप्रयोगों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बनाती है। 24 घंटे विश्वसनीय खुफिया जानकारी उपलब्ध कराने की इसकी क्षमता विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन के साथ भारत की सीमाओं पर जारी सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए महत्वपूर्ण है। ईओएस-09, पहले के रीसैट-1 उपग्रह का अनुवर्ती है और यह भारत के बढ़ते पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों, जैसे रिसोर्ससैट, कार्टोसैट और रीसैट-2बी का पूरक होगा।
इन उपग्रहों से प्राप्त आंकड़ों को पूरक बनाकर, ईओएस-09 पूरे भारत में विस्तारित वास्तविक समय कवरेज प्रदान करने में मदद करेगा, जिससे बेहतर गवर्नेंस और अधिक प्रभावी आपदा प्रतिक्रिया में मदद मिलेगी। इसके लॉन्चिंग समारोह के साक्षी दो दर्जन से अधिक संसद सदस्य होंगे, जो इसके राष्ट्रीय महत्व पर प्रकाश डालेंगे।
10 उपग्रह लगातार 24 घंटे निगरानी कर रहे
डॉ वी. नारायणन ने कहा कि देश के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 10 उपग्रह लगातार 24 घंटे निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ‘34 देशों के 433 उपग्रह भारत से अंतरिक्ष में छोड़े गए हैं और उन्हें उनके कक्ष में स्थापित किया गया है। मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि आज 10 उपग्रह देश के नागरिकों की सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सामरिक उद्देश्य से लगातार 24 घंटे कार्य कर रहे हैं।’