नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के फ्रॉड का खुलासा फरवरी 2018 के पहले हफ्ते में हुआ, जब पंजाब नेशनल बैंक ने सेबी और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को 11,356 करोड़ रुपए के घोटाले की जानकारी दी। बाद में PNB ने 1,300 करोड़ के नए फ्रॉड के बारे में भी CBI को बताया। जांच में सामने आया कि बैंक के फॉरेक्स डिपार्टमेंट में कार्यरत डिप्टी मैनेजर गोकुल नाथ शेट्टी और मनोज खरात नाम के एक अन्य बैंक अधिकारी के साथ मिलकर नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की कंपनियों को फर्जी तरीके से एलओयू दिया। बैंक से जानकारी छुपाने के लिए CBS प्रणाली यानी कोर बैंकिंग सिस्टम को बाईपास किया गया, बैंक के लिए एंट्री भी नहीं की गई।
कैसे हुआ खुलासा
जब गोकुलनाथ शेट्टी की जगह पर बैंक के फॉरेक्स ब्रांच में दूसरा ऑफिसर आया, तो नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के लोग उससे LoU इश्यू कराने पहुंचे। बैंक अफसरों ने लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी करने से पहले 100% कैश मार्जिन मांगा। तीनों फर्मों ने यह बहाना दिया कि वो यह सुविधा पहले भी बैंक से ले चुके हैं, तो अब क्यों उनसे मार्जिन कैश मांगा जा रहा है। दरअसल, पहले कई बार नीरव मोदी ने समय पर पैसे लौटाकर बैंक अधिकारी का भरोसा तो जीता ही था, साथ ही उनको मोटी रकम भी रिश्वत में देता था।
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कर्मचारियों ने दिया साथ
नीरव मोदी और उसके लोगों ने पंजाब नेशनल बैंक से लेन-देन के लिए दो कर्मचारियों को अपने साथ जोड़ा था। वह पैसे ट्रांसफर करने के लिए ‘स्विफ्ट’ ट्रांजेक्शन प्रणाली का इस्तेमाल करता था। इसके जरिये वे रोजाना की बैंकिंग ट्रांजैक्शंस को प्रॉसेस करने वाले कोर बैंकिंग सिस्टम को चकमा देते रहे। फिर नीरव मोदी की कंपनी के लोगों ने इन्हीं जाली LoU को आधार बनाया। फिर एक्सिस और इलाहाबाद जैसे बैंकों से डॉलर में लोन लिए। इसके बाद इन्हें नोस्ट्रो अकाउंट्स की फंडिंग के जरिये विदेश में कुछ फर्मों को भेजा गया, जो नीरव मोदी से जुड़ी थीं।
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