नई दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से बैन किए जाने के बाद इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के नेता अब्दुल सत्तार ने कहा कि संगठन ने केंद्र सरकार के फैसले को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि इस संगठन को पांच साल के लिए प्रतिबंधित करने की गृह मंत्रालय की अधिसूचना के मद्देनजर भंग किया जा रहा है।
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केरल में संगठन की इकाई के महासचिव सत्तार ने कहा कि सभी पीएफआई सदस्यों और जनता को सूचित किया जाता है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को भंग कर दिया गया है। एमएचए ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की है। कानून का पालन करने वाले नागरिकों के रूप में हम निर्णय को स्वीकार करते हैं।
"प्रतिबंध के कुछ घंटे बाद PFI ने भंग किया संगठन, कहा सरकार का फैसला स्वीकार करते हैं"
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— News24 (@news24tvchannel) September 28, 2022
पीटीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्तार को संगठन के फेसबुक पेज पर संदेश पोस्ट करने के कुछ घंटों बाद राज्य के अलाप्पुझा से गिरफ्तार किया गया था। सत्तार संगठन के कार्यालयों पर देशव्यापी छापेमारी और उसके नेताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ 23 सितंबर को राज्यव्यापी हड़ताल बुलाकर कथित रूप से फरार था। गिरफ्तारी के बाद सत्तार को एनआईए को सौंपे जाने की संभावना है।
100 से अधिक नेताओं को किया गया था गिरफ्तार
23 सितंबर की हड़ताल के दौरान पीएफआई के कार्यकर्ता कथित तौर पर व्यापक हिंसा में लिप्त थे। पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने छापेमारी के खिलाफ बसों, सार्वजनिक संपत्ति और यहां तक कि आम जनता पर हमले किए थे। बता दें कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए के नेतृत्व में पिछले हफ्ते देश भर के 15 राज्यों में 93 स्थानों पर छापे मारे गए थे और देश में आतंकवादी गतिविधियों का कथित रूप से समर्थन करने के लिए 100 से अधिक पीएफआई नेताओं को गिरफ्तार किया था।
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केरल में सबसे अधिक 22 गिरफ्तारियां हुईं थीं। पीएफआई के नेताओं और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और संबंधित राज्यों के पुलिस बलों द्वारा की गई थी।
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