Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में पहले से लंबित एक और याचिका को भी टैग किया है। याचिका में कैग प्रमुख की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सिफारिश द्वारा करने की मौजूदा व्यवस्था का विरोध किया गया है। याचिका में मांग की गई है कि कैग की नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र पैनल का गठन हो। इस पैनल में प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल करने की मांग की गई है।
बता दें कि इससे पहले पूर्व डिप्टी CAG अनुपम कुलश्रेष्ठ की ऐसी ही एक याचिका एक साल से लंबित है। कोर्ट ने सालभर पहले नोटिस जारी किया था। उस पर आज तक सुनवाई नहीं हुई। उस समय तत्कालीन सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार को नोटिस देकर जवाब मांगा था। इसमें कहा गया कि कैग की नियुक्ति करने वाली कार्यपालिका की मौजूदा प्रणाली में पारदर्शिता का अभाव है।
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याचिका में कहा गया कि मौजूदा प्रणाली के तहत केंद्रीय कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाले कैबिनेट सचिवालय की ओर से कैग की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री को शाॅर्टलिस्ट किए गए नामों की लिस्ट भेजता है। इसके बाद पीएम की अध्यक्षता वाला पैनल उन नामों पर विचार करता है और उसमें किसी एक नाम को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद चुने गए अधिकारी को कैग के तौर पर नियुक्त किया जाता है।
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