Congress Objection Prerna sthal Inaugurates : संसद भवन के कैंपस में रविवार को प्रेरणा स्थल का उद्घाटन किया गया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इसकी शुरुआत की। इस दौरान ओम बिरला, किरण रिजिजू, अश्विनी वैष्णव, अर्जुन राम मेघवाल, एल मुरुगन और हरिवंश नारायण सिंह के साथ जगदीप धनखड़ ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके तहत नए स्थान पर देश के महापुरुषों की मूर्तियों को शिफ्ट किया जाएगा। इसे लेकर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है।
देश के महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाएं संसद कैंपस के अंदर अलग-अलग स्थानों पर स्थित हैं, जिससे लोगों को इन्हें देखने में परेशानियों का सामना करना पड़ता था। अब इन महापुरुषों की मूर्तियों को एक जगह पर स्थापित करने के लिए प्रेरणा स्थल का उद्घाटन किया गया है, ताकि संसद आने वाले लोग इन्हें आसानी से देखकर श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें।
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लोकतंत्र की मूल भावना का उल्लंघन है : खड़गे
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर पोस्ट कर मूर्तियों के स्थानांतरण पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर सहित महान नेताओं की मूर्तियों को संसद भवन परिसर में उनके प्रमुख स्थानों से हटाकर एक अलग कोने में शिफ्ट कर दिया गया है। बिना किसी बातचीत के मनमाने ढंग से इन मूर्तियों को हटाना हमारे लोकतंत्र की मूल भावना का उल्लंघन है। पूरे संसद भवन में ऐसी लगभग 50 प्रतिमाएं हैं।
My statement on relocation of statues of major leaders in the Parliament House Complex —
1. The statues of many great leaders, including Mahatma Gandhi and Dr. Babasaheb Ambedkar, have been removed from their prominent places in the Parliament House Complex and relocated to a…
— Mallikarjun Kharge (@kharge) June 16, 2024
सभी मूर्तियों को उचित स्थानों पर स्थापित किया गया था : कांग्रेस अध्यक्ष
मल्लिकार्जुन खड़गे ने आगे कहा कि विचार-विमर्श के बाद महात्मा गांधी और डॉ. अंबेडकर की मूर्तियों को प्रमुख स्थानों पर और अन्य प्रमुख नेताओं की मूर्तियों को उचित स्थानों पर स्थापित किया गया था। संसद भवन परिसर में प्रत्येक मूर्ति और उसका स्थान महत्व रखता है। उन्होंने कहा कि पुराने संसद भवन के ठीक सामने ध्यान मुद्रा में स्थित महात्मा गांधी की मूर्ति भारत की लोकतांत्रिक राजनीति के लिए अत्यधिक महत्व रखती थी। यह वह स्थान है, जहां अक्सर सांसद शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन करते थे।
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सांसदों को प्रेरित करती हैं मूर्तियां : मल्लिकार्जुन खड़गे
उन्होंने आगे कहा कि डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा भी एक ऐसे स्थान पर स्थापित की गई थी, जो सांसदों को भारत के संविधान में निहित मूल्यों और सिद्धांतों पर अडिग रहने के लिए प्रेरित करती है। संयोग से 60 के दशक में अपने छात्र जीवन के दौरान मैं संसद भवन के परिसर में बाबासाहेब की प्रतिमा स्थापित करने की मांग करने वालों में सबसे आगे था।