संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हो रही है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने संबोधन में सरकार पर कई सवाल उठाए हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे ने जिम्मेदारी तय करने की मांग की, साथ ही यह भी कहा कि हम पाकिस्तान की निंदा कर रहे हैं और उसके गलत कामों की भर्त्सना करते रहेंगे, लेकिन आप उनके भोज में शामिल होते हैं और उन्हें गले लगाते हैं।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पहले दिन से ही विपक्ष संसद का सत्र बुलाने की मांग कर रहा था, तो जवाब मिला कि समय आने पर जवाब देंगे। राहुल गांधी ने पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की, तो उसका कोई जवाब भी नहीं मिला। हमारे पत्रों को फेंक दिया जाता है। इतना अहंकार है तो एक न एक दिन इसे तोड़ने वाले लोग आएंगे। आपके पास लोगों के गले पड़ने की फुर्सत है, लेकिन जवाब देने की नहीं।
‘हम मीटिंग में गए PM बिहार चले गए’
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सत्र नहीं बुलाते, मीटिंग में सत्य बातें नहीं रखते हैं। हम सभी मीटिंग में गए, लेकिन बताइए मोदी साहब कहां थे? क्यों नहीं आए? हम मीटिंग में आए और आप चुनाव प्रचार के लिए बिहार चले गए, क्या यही देशभक्ति है? आज यहां प्रधानमंत्री को होना चाहिए था। अगर सुनने की क्षमता नहीं है, तो आप उस कुर्सी पर बैठने के लायक नहीं हो। खड़गे ने सवाल उठाया कि जब सर्वदलीय बैठक बुलाई गई, तो प्रधानमंत्री सीधे चुनाव प्रचार में चले गए, क्या प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति यही गंभीरता है?
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि साल 2016 में उरी, 2019 में पुलवामा और अब पहलगाम में आतंकी हमला हुआ। इससे साफ है कि सुरक्षा और इंटेलिजेंस विफल हो रही है, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? गृह मंत्री की जिम्मेदारी है, तो उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए। जब से बीजेपी सरकार आई है, तब से पांच बार पहलगाम में हमला हुआ है, लेकिन सरकार ने कोई सबक नहीं लिया।
‘गृह मंत्री जिम्मेदार तो खाली छोड़ दें कुर्सी’
उन्होंने कहा कि मैं गृह मंत्री से पूछना चाहता हूं कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है? अगर वह जिम्मेदार हैं, तो उन्हें कुर्सी खाली कर देनी चाहिए। 14 जुलाई को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने कहा कि पहलगाम हमला सुरक्षा में चूक थी। इसकी जिम्मेदारी गृह मंत्री को लेनी चाहिए, उपराज्यपाल को नहीं। हर बात में कांग्रेस-कांग्रेस करते हैं, अरे क्या कांग्रेस के नाम पर ही जिंदा रहना चाहते हैं? आप अपना कुछ बताइए, क्या किया है? हमें तो पाकिस्तान के दो टुकड़े करके पाकिस्तान को आज़ादी दिलाई है।
इसके साथ ही राज्यसभा नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पूरा देश एक साथ खड़ा रहा, कांग्रेस पार्टी और INDIA गठबंधन भी साथ में रहा। हम सेना के साथ खड़े रहे। इसके बाद बीजेपी के एक राज्यसभा सांसद ने कहा कि पहलगाम हमले में जो शहीद हुए, उनकी पत्नियों में वीरांगना जैसा भाव नहीं था, इसीलिए उन्होंने हाथ जोड़ लिए थे और गिड़गिड़ा रही थीं। ये है आपकी महिलाओं के प्रति सोच और संवेदनशीलता? एक महिला अगर रो रही है तो क्या उससे ये बात कही जाएगी? खड़गे ने कहा कि ऐसे लोगों को कान पकड़कर बाहर निकालो, क्यों रखते हो इन्हें?
‘ऐसे नेताओं को पार्टी से क्यों नहीं निकालते?’
वहीं, खड़गे ने कर्नल सोफिया कुरैशी पर मंत्री के बयान का भी जिक्र किया और कहा कि उनके बयान का खंडन किया जाना चाहिए। जब तक आप अपने लोगों को काबू में नहीं रखेंगे, तो सामने से भी ऐसे ही बयान आएंगे, फिर आप उन्हें देशद्रोही कहने लगते हैं। अगर कोई मंत्री ऐसा कहता है तो आप उसे निकाल दो, दूसरे को बना लो। शहीद आर्मी मेजर विनय नरवाल की पत्नी को भी सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया और हमारे विदेश सचिव पर व्यक्तिगत हमला किया गया। मैं पूछता हूं कि इन शर्मनाक बयानों पर क्या एक्शन लिया गया?
उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर किया गया। आपका कहना है कि पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए थे और गिड़गिड़ा रहा था। जब सरकार की तरफ से बयान आता है, तो हम यही समझते हैं कि सही कहा गया होगा, लेकिन अचानक युद्धविराम की घोषणा हो गई। सवाल यह है कि युद्धविराम की घोषणा किसने की, कहां से हुई? युद्धविराम की घोषणा प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, या विदेश मंत्री ने नहीं की बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की। उन्होंने दावा किया कि मैंने भारत-पाकिस्तान का युद्ध रुकवाया है। 29 बार राष्ट्रपति ट्रंप इस बात को दोहरा चुके हैं।
खड़गे ने कहा कि ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्होंने ट्रेड के जरिए युद्ध रुकवाया है। उन्होंने व्यापार की धमकी दी और इसी के ज़रिए युद्ध रुकवाया। अब कौन हैं ये महाशय, जो देश बेचकर पैसा कमाना चाहते हैं? उनके समर्थन में कौन लोग खड़े हैं? किसके कहने पर यह हुआ? मोदी जी गालियों का हिसाब रखते हैं लेकिन भारत के सम्मान के खिलाफ ट्रंप की बात पर क्यों चुप बैठे हैं? ट्रंप ने कहा कि 5 जेट गिराए गए हैं। मोदी जी से देश जानना चाहता है कि वे बताएं कि कितने जेट गिराए गए हैं।
खड़गे का सरकार से सवाल
- कितनी शर्तों पर सीजफायर हुआ और जब पाकिस्तान बैकफुट पर था, तो आपने क्यों स्वीकार किया?
- क्या अमेरिका ने दखलअंदाजी की? अगर हाँ, तो किसके कहने और किन शर्तों पर की?
- अगर अमेरिकी राष्ट्रपति ने युद्ध रुकवाया, तो क्या यह ‘नो थर्ड पार्टी पॉलिसी’ के खिलाफ नहीं है?
- क्या हमें ट्रेड फेयर या आर्थिक धमकी के कारण सीजफायर करना पड़ा?
इसके साथ ही खड़गे ने विदेश नीति पर सवाल उठाया और पूछा कि आखिर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका साथ क्यों नहीं खड़ा था? कोई देश साथ क्यों नहीं आया? इसके बाद भी पाकिस्तान को आर्थिक सहायता कैसे मिल गई? प्रधानमंत्री चुप क्यों है? वह इसका विरोध क्यों नहीं कर रहे हैं? हम तो आपके साथ खड़े हैं।