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फीका पड़ सकता है नए साल का जश्न, Swiggy-Zomato समेत कई ऐप्स से नहीं होगी डिलीवरी! क्या है वजह?

यूनियन्स का कहना है कि त्योहारों और न्यू ईयर के दौरान डिलीवरी वर्कर्स पर भारी दबाव पड़ता है, लेकिन उनकी कमाई लगातार कम हो रही है. इसके अलावा काम का कोई फिक्स टाइम नहीं है और बिना किसी सुरक्षा डिलीवरी करना वर्कर्स की बड़ी समस्या है.

Author Written By: Akarsh Shukla Updated: Dec 29, 2025 18:47

अपने दोस्त-परिवार के साथ घर पर नए साल का जश्न मनाने की तैयारी करने वालों को बड़ा झटका लगा है. अगर आप भी न्यू ईयर पार्टी का प्लान बना रहे हैं और ये सोच रहे हैं कि उस रात घर बैठे ही ऑनलाइन फूड और ग्रोसरी डिलीवरी ऐप्स से कुछ मंगाकर पूरी रात जश्न मनाएंगे तो जरा ठहरिये जनाब, ये खबर आपकी खुशी को निराशा में बदल सकती है. जी हां, रिपोर्ट्स की मानें तो स्विगी, जोमैटो, ब्लिंकिट, जेप्टो समेत कई बड़े फूड और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म की सर्विस 31 दिसंबर की रात प्रभावित हो सकती हैं, क्योंकि वर्कर्स डिलीवरी वर्क्स ने न्यू ईयर की रात अखिल भारतीय हड़ताल का ऐलान किया है.

फीका पड़ सकता है नए साल का जश्न


अगर आप भी नए साल के जश्न के लिए ऑनलाइन डिलीवरी एप्स के भरोसे बैठे हैं तो, अब आपको खुद किचन में काम करने की जरूरत है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन और इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स ने अखिल भारतीय हड़ताल का आह्वाहन किया है. इन यूनियन्स का कहना है कि त्योहारों और न्यू ईयर के दौरान डिलीवरी वर्कर्स पर भारी दबाव पड़ता है, लेकिन उनकी कमाई लगातार कम हो रही है. इसके अलावा काम का कोई फिक्स टाइम नहीं है और बिना किसी सुरक्षा डिलीवरी करना वर्कर्स की बड़ी समस्या है.

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देशव्यापी हड़ताल का ऐलान


तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन और इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स के आह्वान पर 25 और 31 दिसंबर को देशव्यापी हड़ताल का ऐलान हुआ है. यूनियनों का कहना है कि कंपनियां मुनाफे में डूबी हैं, लेकिन उसी अनुपात में वर्कर्स की आमदनी गिरती जा रही है. कई डिलीवरी पार्टनर्स लगातार 12-14 घंटे तक सड़कों पर रहते हैं, फिर भी महीने के आखिर में जेब में मुश्किल से कुछ बचता है. अस्थिर घंटे, इंश्योरेंस की अनिश्चितता और बिना किसी सुरक्षा जाल के काम करना अब उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है.

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10 मिनट डिलीवरी मॉडल के खिलाफ गुस्सा क्यों?


डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स के ’10 मिनट’ और ‘ब्लिंक डिलीवरी’ मॉडल को लेकर सबसे ज्यादा नाराजगी है. वर्कर्स का कहना है कि यह मॉडल उन्हें तेज रफ्तार से बाइक चलाने को मजबूर करता है. ऐसे में हर ऑर्डर एक रेस की तरह बन जाता है, जिसमें मुकाबला सिर्फ टाइम से नहीं, अपनी जान से भी है. एल्गोरिदम-आधारित टारगेट पूरे न करने पर वर्कर्स की आईडी अचानक ब्लॉक कर दी जाती है, जिससे उनकी रोजगार पर सीधा वार होता है.

First published on: Dec 29, 2025 06:04 PM

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