New Criminal Laws Changed Penalty from Crime: देश में आज से 3 नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। आज तक देश में भारतीय संविधान के तहत मान्यता प्राप्त भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) कानून लागू थे। किसी भी तरह के अपराध के लिए इनके तहत किए गए सजा के प्रावधान लागू होते थे।
आज से इन तीनों कानूनों की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) लागू हो गए हैं। इनके लागू होते ही कुछ अपराधों की परिभाषाएं और उनके लिए सजा के प्रावधान भी बदल गए हैं। आइए जानते हैं कि आज 1 जुलाई से देश मे कानून व्यवस्था में क्या-क्या बदल गया और अब किस अपराध के लिए कितनी सजा होगी?
#NewCriminalLaws | New criminal laws, effective from July 1, underscore the well-being and protection of individuals.
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— DD News (@DDNewslive) June 30, 2024
BNS में धाराएं घटाई गईं, नए अपराध जोड़े गए
भारतीय न्याय संहिता (BNS) में IPC की धाराएं 511 से घटाकर 358 धाराएं रह गई हैं। BNS में 21 नए अपराध जोड़े गए हैं। 41 अपराधों में कारावास की अवधि बढ़ाई गई। 82 अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया। 25 अपराधों में न्यूनतम सजा की शुरुआत की गई है। 6 अपराधों में सजा स्वरूप सामुदायिक सेवा की शुरुआत की गई है और 19 धाराएं हटा दी गईं है।
BNSS और BSA कानून में यह सब बदलाव हुए
CRPC में 484 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) में 531 धाराएं हैं, जिनमें से 177 धाराओं में बदलाव किया गया है। 9 धाराएं और 39 उपधाराएं और जोड़ी गई हैं। 14 धाराएं हटाई गई हैं। 166 धाराओं वाले भारतीय साक्ष्य अधिनियम को 170 धाराओं वाले भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) से बदला गया है। इसमें 24 धाराओं में बदलाव हुआ है। 2 नई उप-धाराएं शामिल की गई हैं। 6 धाराओं को हटा दिया गया है।
Three New criminal law is set to come into effect tomorrow.
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Bharatiya Nyaya Sanhita
Bharatiya Nagarik Suraksha
Sanhita Bharatiya Sakshya ActIn February 2024, the Centre issued three gazette notifications, informing that the three new criminal laws will be effective July… pic.twitter.com/d2KNNKxXe1
— Civil Learning (@CivilLearning1) June 30, 2024
पीड़िता महिलाओं के बयान दर्ज करने से जुड़े नए नियम
तीनों नए कानूनों के तहत अपराध पीड़ित महिलाओं के बयान दर्ज करने को लेकर सख्त नियम बनाए गए हैं। दुष्कर्म पीड़िता के बयान अब उसके परिजनों या रिश्तेदार के सामने दर्ज किए जाएंगे। बयान महिला पुलिस अधिकारी ही दर्ज कराएगी। महिलाओं के खिलाफ हुए कुछ अपराधों में पीड़िता के बयान महिला मजिस्ट्रेट ही दर्ज करेगी। अगर महिला मजिस्ट्रेट न हो तो पुरुष मजिस्ट्रेट बयान दर्ज करा सकेगा, लेकिन उस समय किसी महिला पुलिस अधिकारी की उपस्थिति अनिवार्य होगी। दुष्कर्म पीड़िता के बयान ऑडियो-वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी दर्ज किए जा सकेंगे।
दुष्कर्म या धोखा पीड़ितों को लेकर भी बदले कानून
नए कानूनों के तहत दुष्कर्म पीड़ित की मेडिकल रिपोर्ट 7 दिन के अंदर जमा करानी होगी। पीड़ित महिला को निशुल्क उपचार कराने का अधिकार मिल गया है। वहीं पीड़िता को 90 दिन के अंदर उसके केस का अपडेट देना होगा। अब महिला को शादी करने का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना और फिर शादी करने से मुकर जाना अपराध होगा। ऐसा करने वाले को 10 साल की सजा हो सकती है। नौकरी और अपनी पहचान छिपाकर शादी करना अपराध होगा। शादीशुदा महिला को प्रेम जाल में फंसाना अपराध होगा, लेकिन अब अप्राकृतिक यौन संबंध अपराध नहीं होगा।
कानून के दायरे में आए ट्रांसजेंडर
3 नए कानून लागू होने के बाद लिंग की परिभाषा में अब ट्रांसजेंडर लोग भी शामिल हो गए हैं। इससे अपराध के क्षेत्र में कानून के तहत भी सभी को समानता का अधिकार मिल गया है। अब ट्रांजेंडर्स को भी इंसाफ मिलेगा।
बच्चों और नाबालिगों के लिए भी बदले नियम
नए कानूनों के तहत बच्चों के खिलाफ अपराध की परिभाषा भी बदल है। नए नियम काफी कड़े बनाए गए हैं। जैसे अब बच्चों की खरीद फरोख्त जघन्य अपराध होगी। बच्चों को खरीदने या बेचने को जघन्य अपराध मानकर कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। नाबालिग बच्चियों-लड़कियों से दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म करने पर मौत की सजा देने का प्रावधान किया गया है। कुछ मामलों में उम्रकैद की सजा भी हो सकती है।
हत्या-रेप की धाराएं बदलीं, मॉब लिंचिंग पर मौत
नए कानूनों के तहत, हत्या और रेप करने की धाराएं बदल गई हैं। अब हत्या करने पर धारा 302 नहीं लगेगी, बल्कि 103 लगाई जाएगी। धोखाधड़ी के लिए धारा 420 नहीं लगेगी, बल्कि 318 लगाई जाएगी। दुष्कर्म करने पर धारा 375 नहीं लगेगी, बल्कि 63 लगाए जाएगी। नस्ल, जाति, समुदाय, लिंग के आधार पर भेदभाव करते हुए मॉब लिंचिंग करना, भीड़ बनकर किसी को पीट-पीट कर मार डालना अपराध होगा। ऐसा करने पर मौत की सजा हो सकती है। उम्रकैद की सजा भी सुनाई जा सकती है। छीना-झपटी करने पर 3 साल तक की जेल की सजा भुगतनी पड़ सकती है।
घर बैठे FIR कराएं, सुनवाई 45 दिन के अंदर
नए कानूनों के तहत, पीड़ित अब घर बैठे E-FIR दर्ज करा सकेंगे। पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। किसी भी थाने में जीरो FIR दर्ज कराई जा सकेगी। चाहे जो अपराध हुआ है, वह उस थाने में अधिकार क्षेत्र में आता हो या नहीं। क्रिमिनल केस की सुनवाई अब 45 दिन के अंदर करनी अनिवार्य होगी। वहीं पहली सुनवाई होने के बाद 60 दिन के अंदर चार्जशीट दायर करनी होगी।
गवाहों को सुरक्षा मिलेगी, फोरेंसिक सबूत अनिवार्य
नए कानूनों के तहत, केस से जुड़े गवाहों को अब सुरक्षा प्रदान की जाएगी। इसके लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार होंगी। उन्हें गवाहों की सुरक्षा और केस में उनका सहयोग सुनिश्चित करने के लिए गवाह सुरक्षा योजना लागू करनी होगी। नए काननों के तहत आरोपी और पीड़ित दोनों को अधिकार होगा कि वे 14 दिन के अंदर FIR की कॉपी थाने से प्राप्त करें। पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, कबूलनामे की कॉपी और केस से जुड़े अन्य डॉक्यूमेंट की कॉपी भी पुलिस आरोपी-पीड़ित को 14 दिन के अंदर उपलब्ध कराएगी। गंभीर अपराध होने पर फोरेंसिक टीम को वारदात या हादसास्थल पर जाकर अनिवार्य रूप से साक्ष्य जुटाने होंगे।