Congress New President: कर्नाटक के रहने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी के नए अध्यक्ष चुन लिए गए हैं।1969 में राजनीति में एंट्री करने वाले खड़गे विधायक से लेकर कर्नाटक सरकार में मंत्री, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, सांसद, केंद्रीय रेल मंत्री, श्रम मंत्री, राज्यसभा सांसद, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष पद पर रह चुके हैं। खड़गे के चुनावी रिकार्ड को देखते हुए कर्नाटक में उन्हें ‘सोलिलादा सरदारा’ यानी ‘अजेय सरदार’ बुलाया जाता है।
5 दशक से राजनीति में सक्रिय हैं खड़गे
80 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक के गुरमीत विधानसभा सीट से लगातार 9 बार विधायक चुने जा चुके हैं। इसके अलावा वे 2009 और 2014 में लोकसभा सांसद चुने गए थे।
1971 से विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने वाले खड़गे को 2008 तक हर चुनाव में जीत मिलती रही। 2009 में पहली बार कांग्रेस ने उन्हें कर्नाटक की गुलबर्गा सीट से लोकसभा चुनाव में उतारा। पहली बार में ही उन्हें जीत मिली और खड़गे राज्य की राजनीति से निकलकर दिल्ली की राजनीति करने लगे।
मोदी लहर में भी खड़गे को मिली थी जीत
मल्लिकार्जुन खड़गे की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2014 में जब पूरे देश में नरेंद्र मोदी लहर थी और कई दिग्गज नेताओं को हार मिली थी, लेकिन खड़गे लगातार दूसरी बार गुलबर्गा से चुनाव जीता था। भाजपा के सत्ता में आने के बाद खड़गे को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था।
हालांकि पांच साल बाद 2019 में इस सीट पर हुए लोकसभा चुनाव में खड़गे को हार मिली। ये उनके राजनीतिक जीवन की पहली हार थी, लेकिन पार्टी ने उनके कद्दावर छवि को देखते हुए राज्यसभा भेज दिया। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन भरने से कुछ घंटे पहले ही उन्होंने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा दिया था।
क्या 2024 में भाजपा को टक्कर दे पाएंगे खड़गे
मल्लिकार्जुन खड़गे 2024 में भाजपा को कितना और किस तरह से टक्कर दे पाएंगे ये तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा। कांग्रेस के नेताओं ने जिस तरह से मल्लिकार्जुन खड़गे पर भरोसा जताया है, उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि खड़गे के सामने तमाम चुनौतियां हैं जिससे उन्हें निपटना होगा।
उनके लिए सबसे पहली और बड़ी परीक्षा इसी साल होने वाली है। इस साल हिमाचल और गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं। दोनों राज्यों में चुनाव का रिजल्ट तय करेगा कि खड़गे अपनी पार्टी की उम्मीदों पर कितना खरा उतरे हैं। इसके अलावा पार्टी में जारी अंदरुनी कलह से निपटना भी उनके लिए चुनौती होगी।
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