Lakshadweep Facing Tourism Challenges : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद बाकी देश के बीच बेहद खूबसूरत बीच वाला यह केंद्रशासित प्रदेश काफी लोकप्रिय हुआ है। यहां टूरिज्म में इजाफा तो हुआ है लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर और खराब कनेक्टिविटी की चुनौतियां पर्यटन को वैसी तस्वीर नहीं दे पा रही हैं।
For those who wish to embrace the adventurer in them, Lakshadweep has to be on your list.
---विज्ञापन---During my stay, I also tried snorkelling – what an exhilarating experience it was! pic.twitter.com/rikUTGlFN7
— Narendra Modi (@narendramodi) January 4, 2024
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट पेश करने के दौरान ऐलान किया था कि सरकार इन चुनौतियों से निपटने के लिए वहां परियोजनाओं की शुरुआत करेगी। शनिवार को लक्षद्वीप के सांसद और एनसीपी नेता मोहम्मद फैजल ने बताया कि इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास को लेकर राज्य को कैसी प्रतिक्रिया मिली है और इसके सामने असल चुनौतियां क्या हैं।
लक्षद्वीप पहुंचने के केवल 2 तरीके
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार मोहम्मद फैजल ने कहा कि इनफ्रास्ट्रक्चर के मामले में अभी बहुत काम किए जाने की जरूरत है। अभी लक्षद्वीप जहाज या फिर उड़ान के जरिए पहुंचा जा सकता है। वर्तमान में अगत आइलैंड पर केवल एक फ्लाइट है। हमें फ्लाइट फ्रीक्वेंसी बढ़ाने के साथ निजी एयर ऑपरेटर्स को लक्षद्वीप आने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
पर्यटकों के लिए कमरे भी हैं कम
फैजल ने कहा कि लक्षद्वीप पर्यटकों के रहने के लिए कमरों की उपलब्धता के रूप में आवासीय चुनौती का सामना भी कर रहा है। यहां बहुत सीमित संख्या में कमरे हैं। लक्षद्वीप प्रशासन के रिजॉर्ट खराब हाल में हैं। प्रशासन अलग रुख के साथ आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि एक जमीन ऐसी थी जहां कोई नहीं रहता था और प्रशासन की ओर से इस पर कोई दावा नहीं था। लेकिन अब वर्तमान एडमिनिस्ट्रेशन ने दावा किया है कि वह जमीन सरकार की है। इन सब मुद्दों का समाधान वार्ता के जरिए होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह हमारा आंतरिक मुद्दा है।
जल्दबाजी में न उठाए जाएं कदम
इस सवाल पर कि क्या लक्षद्वीप बदलाव के लिए तैयार है, फैजल ने कहा कि इसके लिए पहले स्थानीय लोगों को विश्वास में लेने की जरूरत है। प्रशासन की ओर से लोगों की जमीन पर कब्जा करने के लिए जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाया जाना चाहिए। इन जमीनों पर ये लोग सदियों से रह रहे हैं। अगर यह सुनिश्चित हो जाए तो यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
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