खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नूं की हत्या की कथित तौर पर साजिश रचने के आरोपी निखिल गुप्ता के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। इसमें गुप्ता को चेक रिपब्लिक की जेल से रिहा करवाने के लिए भारत सरकार से दखल दिए जाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई चार जनवरी तक के लिए टाल दी।
रिपोर्ट्स के अनुसार शीर्ष अदालत ने इसे विदेश मंत्रालय के लिए बेहद संवेदनशील मामला बताया। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस संजीव खन्ना ने याचिकाकर्ता से इसे लेकर चेक रिपब्लिक की अदालत में जाने के लिए कहा। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि किसी और देश में हुई गिरफ्तारी भारतीय सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है।
उन्होंने कहा कि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को एफिडेविट नहीं दिया गया है। अगर किसी कानून का उल्लंघन हुआ है तो आपको वहां की अदालत में जाना पड़ेगा। इसके बाद सुनवाई की तारीख चार जनवरी तय करते हुए अदालत ने शिकायत की प्रति केंद्र सरकार को देने के लिए भी कहा।
30 जून को हुई थी गुप्ता की गिरफ्तारी
याचिका में कहा गया है कि निखिल गुप्ता को 30 जून को प्राग एयरपोर्ट पर अवैध तरीके से गिरफ्तार किया गया था। वह लगभग 100 दिन से अकेले कारावास में है। बता दें कि कुछ दिन पहले ही चेक रिपब्लिक ने गुप्ता की गिरफ्तारी की पुष्टि की थी। उसने बताया था कि गुप्ता को अमेरिका के अनुरोध पर गिरफ्तार किया गया था। अमेरिका ने बाद में प्रत्यर्पण की अर्जी भी दाखिल की थी।
‘चेक जेल में जबरन खिलाया गया बीफ’
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में यह दावा भी किया गया है कि चेक रिपब्लिक की जेल में निखिल गुप्ता की धार्मिक आस्था का सीधा उल्लंघन किया गया है। वह हिंदू और शाकाहारी है जबकि वहां उसे जबरन बीफ और पोर्क खिलाने के लिए मजबूर किया गया। बता दें कि गुरपतवंत पन्नूं भारत की ओर से घोषित आतंकवादी है जिसके पास अमेरिका और कनाडा की नागरिकता है।
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