पोर्नोग्राफी, सेक्स, वासना, पोर्न क्लिप देखने को लेकर देश की एक हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में इन तीनों की परिभाषा क्लीयर की है, जो सभी के लिए जानना जरूरी है। इससे लोगों को खुद से जुड़े इन तीनों मुद्दों को लेकर कई चीजें क्लीयर हो जाएंगी। हाल ही में केरल हाईकोर्ट में एक केस में जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन ने फैसला सुनाया और विशेष टिप्पणी की।
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सड़क किनारे बैठ अश्लील वीडियो देखने का मामला
मामला अश्लील वीडियो देखने से जुड़ा था। एक शख्स सड़क किनारे बैठ कर अश्लील वीडियो देख रहा था। शख्स ने पुलिस को शिकायत दी। केस सीधे हाईकोर्ट में पहुंचा तो जज ने धारा 292 के तहत दर्ज किए गए केस को रद्द कर दिया। जज ने कहा कि आरोपों को सही मान भी लिया जाए तो भी अश्लील वीडियो, पोर्न क्लिप देखना अपराध नहीं है। ऐसा करना पुरुष या महिला का निजी फैसला है।
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फिजिकल रिलेशन को शादीशुदा जीवन का आधार बताया
जज ने कहा कि सेक्स करने, पोर्न क्लिप देखने से उन्हें रोकना उनकी निजता का हनन होगा। सेक्स को लेकर जज ने कहा कि फिजिकल रिलेशन बनाना वासना नहीं होता। यह प्यार की अभिव्यक्ति है। पुरुष-महिला के शादीशुदा जीवन की धुरी है। इसे भगवान ने नर-नारी जीवन का हिस्सा बनाया है। बच्चे पैदा करने का जरिया बनाया है। इसी से भगवान की बनाई दुनिया आगे बढ़ रही है। जीवन चल रहा है।
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बच्चों द्वारा अश्लील वीडियो देखने को लेकर सलाह भी दी
जज के अनुसार, बालिग हो चुके पुरुषों और महिलाओं का एक दूसरे की सहमति से फिजिकल रिलेशन बनाना अपराध नहीं है। वहीं जज ने बच्चों के हाथों में मोबाइल पहुंचने को लेकर भी लोगों को एक सलाह दी है। जज ने कहा देश में सेक्स, पोर्नोग्राफी पुरानी क्रियाएं हैं, लेकिन अगर बच्चे उस उम्र में पोर्न वीडियो देखने लगेंगे, जिसमें उन्हें नहीं देखना चाहिए तो इसका बुरा असर पड़ेगा, जिसे मां-बाप ही कंट्रोल कर सकते हैं।