Karnataka: कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि सालों तक सहमति से संबंध बनाने के बाद अगर जोड़े के बीच लगाव कम हो जाए तो रेप का दावा नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति एम नागाप्रसन्ना ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि 6 साल तक सहमति से संबंध बनाने के बाद अगर रिश्ते में लगाव कम हो जाता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि संबंधांे को आधार मानकर रेप का दावा किया जाए। इस संबंध में महिला की ओर से 2021 में बेंगलुरु के दावणगेरे महिला स्टेशन में मामला दर्ज कराया गया था।
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इस आधार पर रद्द कर दिया केस
न्यायमूर्ति नागाप्रसन्ना की पीठ ने बेंगलुरु के इंदिरानगर पुलिस और दावणगेरे महिला स्टेशन में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति ने कहा कि यौन संबंध 6 साल तक चला, जिसके चलते यह नहीं माना जा सकता कि यह आईपीसी की धारा 376 के तहत रेप के लिए दंडनीय होगा। इस मामले में आगे की कार्रवाई जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मिसाल के तौर प्रमोद सूर्यभान बनाम महाराष्ट्र जैसे मामलों का जिक्र भी किया।
साल 2013 में हुई थी दोस्ती
बेंगलुरु के दावणगेरे महिला स्टेशन में दर्ज एफआईआर के अनुसार महिला की साल 2013 में फेसबुक के जरिए एक शख्स से दोस्ती हुई थी। दोनों को घर एक-दूसरे के नजदीक था। इसलिए आए दिन शख्स उसे यह कहकर अपने घर ले जाता था कि वह बहुत अच्छा शेफ है। बुलाने पर वह उसके घर जाती थी। उसके बाद दोनों बीयर पीते और उसके बाद संबंध बनाते थे। यह सिलसिला करीब 6 साल तक चलता रहा।
इसके बाद दोनाें में किसी बात को लेकर विवाद हो गया और दोनों अलग हो गए। इसके बाद महिला ने 8 मार्च 2021 को बेंगलुरु के इंदिरानगर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस ने उस व्यक्ति को अरेस्ट कर लिया जहां निचली अदालत ने उसे जमानत दे दी। जमानत के बाद महिला दावणगेरे पुलिस स्टेशन गई और वहां पर भी उसी आरोप को आधार बताकर मामला दर्ज करवाया।
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