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क्या ATP सिस्टम से टल जाता कंचनजंगा ट्रेन हादसा, जानें क्या बोले रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव?

What Is ATP System : पश्चिम बंगाल के कंचनजंगा ट्रेन हादसे ने यात्रियों को हिलाकर रख दिया। अगर ATP सिस्टम होता तो ट्रेन हादसा टल सकता था। इसे लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बड़ा बयान दिया है।

Edited By : Deepak Pandey | Updated: Jun 18, 2024 20:16
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Indian Railways Minister Ashwini Vaishnaw
Indian Railways Minister Ashwini Vaishnaw

Railway Minister Ashwini Vaishnaw Statement On Kanchanjunga Train Accident : पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में हुए ट्रेन हादसे को लेकर सियासत तेज हो गई। इसे लेकर विपक्ष ने मोदी सरकार से तीखे सवाल पूछे और कहा कि कहां है सुरक्षा कवच? केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खुद घटनास्थल का दौरा किया। इस हादसे में कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन से एक मालगाड़ी टकरा गई थी, जिससे डिब्बे एक दूसरे के ऊपर चढ़ गए थे। इस बीच अश्विनी वैष्णव ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कवच सिस्टम के बारे में विस्तार से बताया।

80 के दशक में ATP सिस्टम पर क्यों नहीं हुआ काम

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रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 80 के दशक में जब दुनियाभर में ट्रेनों की स्पीड बढ़ने लगी थी, तब रेलवे ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) सिस्टम पर शिफ्ट हो गया था। यह एक सुरक्षा कवच है, जिसके जरिए ट्रेनों की स्पीड को कंट्रोल किया जाता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से टेलीकॉम का नेटवर्क बिछाया जाता है, ठीक उसी तरह रेल की पटरियों पर डिवाइस लगते हैं, फिर इसे सिग्नल के साथ जोड़ा जाता है। इसके लिए स्टेशन के ऊपर एक डेटा सेंटर और एक मेन डेटा सेंटर तैयार किए जाते हैं।

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सुरक्षा कवच डिवाइस नहीं, बल्कि एक सिस्टम है

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के सुरक्षा कवच वाले बयान पर रेल मंत्री ने कहा कि कवच कोई डिवाइस नहीं है, बल्कि यह एक सिस्टम है। जब दुनिया में 80 के दशक में सुरक्षा कवच की शुरुआत हुई थी, तब देश की तत्कालीन सरकार ने इस सिस्टम पर काम क्यों नहीं किया।

2016 में हुआ था ATP सिस्टम का ट्रॉयल

उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार आने के बाद यह प्रोजेक्ट शुरू हो पाया। 2016 में पहली बार ATP सिस्टम का ट्रॉयल हुआ और 2019 में सील फॉर सर्टिफिकेशन मिला। यानी 10 हजार साल में सिर्फ एक गलती हो सकती है। 3003 किलोमीटर पर एटीपी सिस्टम, टेलीकॉम के 275 टॉवर और 198 स्टेशनों पर डेटा सेंटर बन चुके हैं। पुरानी सरकारों की गलतियों को अब सुधारा जा रहा है।

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मेंटेनेंस पर सरकार का फोकस

रेल मंत्री ने कहा कि एक ट्रेन की लाइफ 35 साल होती है। पटरी, इलेक्ट्रिक और कवच से संबंधित कार्य एक साथ करने पड़ते हैं। 2014 के बाद रेलवे के मेंटेनेंस पर फोकस हुआ और एक मिशन की तरह पटरियों को बदलने का काम किया जा रहा है। हर साल 7 हजार किलोमीटर रेल रिप्लेसमेंच हो रहा है, जिससे ट्रैक फ्रैक्चर में कमी आई है।

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Deepak Pandey

First published on: Jun 18, 2024 08:16 PM

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