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‘आतंकी यासीन मलिक की सुरक्षा में बड़ी चूक’, SG ने केंद्र को लिखा लेटर, तिहाड़ प्रशासन ने बिठाई जांच

JKLF Commander Yasin Malik: जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के कमांडर यासीन मलिक को सुप्रीम कोर्ट में पेश किए जाने का मामला तूल पकड़ने लगा है। तिहाड़ जेल प्रशासन ने इसे चूक कहते हुए विस्तृत जांच के आदेश दिए। महानिदेशक (जेल) संजय बेनीवाल ने दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के लिए उप महानिरीक्षक राजीव सिंह […]

Edited By : Bhola Sharma | Updated: Jul 22, 2023 11:33
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पत्र में मुशाल मलिक ने लिखा है कि उनके पति ने जेल में भूख हड़ताल शुरू कर दी है। फाइल फोटो

JKLF Commander Yasin Malik: जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के कमांडर यासीन मलिक को सुप्रीम कोर्ट में पेश किए जाने का मामला तूल पकड़ने लगा है। तिहाड़ जेल प्रशासन ने इसे चूक कहते हुए विस्तृत जांच के आदेश दिए। महानिदेशक (जेल) संजय बेनीवाल ने दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के लिए उप महानिरीक्षक राजीव सिंह को जांच सौंपी है। उन्होंने तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट तलब की है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जज उस समय हैरान हो गए, जब उन्होंने यासीन मलिक को व्यक्तिगत रूप से सामने मौजूद पाया। अदालत ने कहा कि हमने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया था, जिसमें यासीन मलिक को कोर्ट में हाजिर किया जाए। सुप्रीम कोर्ट में यासीन मलिक की पेशी पर केंद्र सरकार ने भी चिंता जताई है।

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सॉलिसिटर जनरल ने सरकार को लिखा लेटर

इस प्रकरण में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को पत्र लिखा है। उन्होंने इसे बड़ी सुरक्षा चूक बताया। मेहता ने इस पर कार्रवाई की मांग की कि अलगाववादी नेता को अदालत से उनकी उपस्थिति की गारंटी देने वाले किसी आदेश या प्राधिकरण के अभाव में बाहर निकलने की अनुमति कैसे दी गई?

सॉलिसिटर जनरल ने गृह सचिव से इस मामले को गंभीरता से लेने और उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया क्योंकि मलिक कोई सामान्य व्यक्ति नहीं है, बल्कि आतंक और अलगाववादी पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति है, जिसे पिछले साल आतंकी फंडिंग मामले में दोषी ठहराया गया था। उन्होंने पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन से जुड़े होने के कारण दोषी के भागने, जबरन ले जाने या मारे जाने की संभावना से इनकार नहीं किया।

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सीबीआई ने कोर्ट में यासीन मलिक को किया पेश

दरअसल, यासीन मलिक को केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दायर एक अपील में पेश होने के लिए अदालत लाया गया था। जिसमें जम्मू में एक टाडा अदालत द्वारा सितंबर 2022 में पारित आदेश को चुनौती दी गई थी। मामला 1990 में श्रीनगर में चार भारतीय वायु सेना (IAF) कर्मियों की हत्या और 1989 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण से संबंधित मुकदमे से जुड़ा है। इस केस में यासीन मलिक की व्यक्तिगत उपस्थिति की आवश्यकता थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 24 अप्रैल को इस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिससे यासीन मलिक सहित प्रतिवादियों को व्यक्तिगत रूप से या अधिकृत वकील के माध्यम से पेश होने के लिए नोटिस जारी किया गया था। हालांकि, आदेश में उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति का प्रावधान नहीं था।

यह भी पढ़ें: आतंकी यासीन मलिक को कोर्ट में सामने देख हैरान हुए सुप्रीम कोर्ट के जज, केंद्र सरकार भी चिंतित, जानें क्यों?

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Edited By

Bhola Sharma

Edited By

rahul solanki

First published on: Jul 21, 2023 10:27 PM

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