Jammu Govt Hospital Clash Viral Video: जम्मू के एक सरकारी मेडिकल कॉलेज का वीडियो सामने आया, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल भी हुआ। इस वीडियो में सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक मरीज की मौत पर उसके परिजनों द्वारा हंगामा करते हुए दिखाया गया है। इसी वीडियो में मरीज की एक महिला तीमारदार अस्पताल की महिला डॉक्टर के पेट में लात मारती हुई दिखाई दी। कुछ ही समय में वीडियो सोशल मीडिया के साथ-साथ मीडिया में भी वायरल हो गई। अब इस मामले पर जम्मू स्टेट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के प्रिंसिपल डॉ. आशुतोष की प्रतिक्रिया सामने आई है।
सुबह 10 बजे से इलाज कर रहे थे डॉक्टर
अस्पताल में हंगामे के वीडियो को लेकर डॉ. आशुतोष ने कहा कि दुर्भाग्यवश, इलाज के दौरान मरीज की मृत्यु हो गई। अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर सुबह 10 बजे से मरीज का इलाज कर रहे थे, लेकिन डॉक्टरों की पूरी कोशिश के बाद भी मरीज को नहीं बचाया जा सका। मरीज के परिवार का कहना है कि अस्पताल में उनके मरीज का सही से इलाज नहीं किया गया, लेकिन जब मैंने खुद इस मामले की जांच और पूछताछ की तो पता चला कि मरीज की अस्पताल में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ द्वारा उचित देखभाल की जा रही थी।
#WATCH | J&K | Jammu Government Medical College and Hospital Principal Dr Ashutosh says, “Unfortunately, the patient passed away. Our resident doctors had been attending to him since 10 AM. The family claims he did not receive proper treatment, but I personally inquired and found… https://t.co/3cpJVlBW22 pic.twitter.com/sigGGoppB6
— ANI (@ANI) July 17, 2025
परिवार ने डॉक्टरों पर लगाया आरोप
उन्होंने आगे कहा कि मरीज को ब्रेन हेमरेज हो गया था और उसकी हालत गंभीर हो गई थी। डॉक्टरों ने मरीज को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन दुर्भाग्यवश मरीज की मृत्यु हो गई। परिवार ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने उन्हें मारा था; ये बात पूरी तरह से झूठ है। आखिर ऐसी बातें कब तक फैलती रहेंगी? डॉक्टर लोगों की अथक सेवा कर रहे हैं; अस्पताल में अभी भी 500 से ज्यादा मरीज आपात स्थिति में हैं।
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डॉक्टरों को दोष न दें…
इसके साथ ही डॉ. आशुतोष ने लोगों से अपील की कि वे डॉक्टरों को दोष न दें… वे लोग इस सेक्टर में हर बार अपना बेस्ट देने की कोशिश करते हैं। अगर लोग डॉक्टर को ट्रोल करते हैं तो इससे उनका मनोबल गिरता है। उन्होंने आगे बताया कि पीजीआई चंडीगढ़ के पूर्वानुमान में साफ कहा गया कि मरीज के बचने की संभावना बहुत कम थी।










