ISRO Chief On Asteroid Threat : क्षुद्र ग्रह यानी एस्टरॉयड इनर सोलर सिस्टम में घूमते रहते हैं। इनका आकार ग्रहों से छोटा लेकिन उल्का पिंडों से बड़ा होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार ये एस्टरॉयड धरती से भी टकरा सकते हैं और अगर ऐसा होता है तो बहुत बड़े स्तर का विनाश हो सकता है। हालात इतने भयावह हो सकते हैं कि पूरी की पूरी धरती खत्म हो सकती है। दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां धरती को इस खतरे से बचाने के लिए डिफेंस क्षमताएं विकसित करने की कोशिश कर रही हैं। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो भी इसे लेकर एक्टिव है। इस संभावित खतरे को लेकर इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने भी अपना पक्ष रखा है।
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि इंसानों का जीवन काल 70 से 80 साल का होता है और अपने जीवनकाल में हम इस तरह की भयावह घटनाएं आम तौर पर नहीं देख पाते हैं। इसलिए हम यह मानकर चलते हैं कि ऐसी घटनाएं हो ही नहीं सकतीं। लेकिन, अगर आप इतिहास को देखेंगे तो तस्वीर उल्टी नजर आएगदी। उन्होंने कहा मैंने जूपिटर पर एस्टरॉयड को टकराते हुए देखा है। अगर धरती पर इस तरह की घटना होती है तो हम सब खत्म हो जाएंगे। इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता। हमें खुद को तैयार करना चाहिए। हम धरती का विनाश नहीं चाहते लेकिन अगर हम इसे रोक नहीं सके तो मानव सभ्यता को बचाने के लिए विकल्प ढूंढने होंगे।
🚨 Apophis, an asteroid, and termed the most hazardous of the present era with a diameter of 370 metres will fly by us on April 13, 2029, and again in 2036. As a leading space nation, India too needs to take responsibility for protecting Earth from asteroids ~Dr S Somanath#ISRO pic.twitter.com/EikNbISVlD
— Bharat Tech & Infra (@BharatTechIND) July 4, 2024
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खतरे को टालने के लिए क्या कर सकते हैं इंसान?
सोमनाथ ने कहा कि हम चाहते हैं कि इंसान और सभी जीव यहां जीवन बिताएं। लेकिन, अगर ऐसी स्थित बनती है तो हमारे पास एक तरीका है जिससे हम इस खतरे को टाल सकते हैं। इसके लिए हमें ऐसे ग्रह खोजने होंगे जो धरती जैसे हों। हालांकि, यह काम इतना आसान नहीं है लेकिन टेक्नोलॉजी और पूर्वानुमान लगाने की क्षमताओं को डेवलप करने की जरूरत है। इसके लिए देशों को साथ मिलकर काम करना होगा। आने वाले समय में यह होना तय है। जब खतरा असलियत का रूप ले लेगा तब इंसानियत को एक साथ आकर काम करना ही होगा। इससे पहले इसरो चीफ एस्टरॉयड के धरती से टकराने की स्थिति में मंगल पर जाने का विकल्प भी बता चुके हैं।
हजारों किलोमीटर में फैला जंगल हो गया था तबाह
30 जून 1908 को साइबेरिया में एस्टरॉड से हुए विशाल एयर ब्लास्ट ने करीब 2200 वर्ग किलोमीटर में फैले घने जंगल को खत्म कर दिया था। इस दौरान करीब 8 करोड़ पेड़ नष्ट हो गए थे। वहीं, 13 अप्रैल 2029 को अपोफिस (Apophis) नाम का एक एस्टरॉयड धरती के पास से होकर निकलेगा। इसका व्यास करीब 370 मीटर बताया जा रहा है। 2036 में यह फिर धरती के पास से गुजरेगा। धरती के लिए इसे बेहद खतरनाक माना जा रहा है। बता दें कि 10 किलोमीटर या इससे बड़े एस्टरॉयड से टकराने की घटना को पूर्ण विनाश के स्तर का माना जाता है। दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां वह तरीका खोजने में जुटी हैं जिससे इस बड़े खतरे को टाला जा सके।
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