Indian Army Day 2024: आज Army Day है, यह हमारी भारतीय थल सेना का 76वां स्थापना दिवस है। हर साल इस दिन (15 जनवरी) हम देश के सैनिकों के बलिदान और साहस को याद करते हैं। यह दिन इसलिए भी इम्पोर्टेन्ट है क्योंकि इस दिन इंडियन आर्मी के फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा (K M CARIAPPA) ने ब्रिटिश जनरल फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना की कमान छीनी थी।
This #ArmyDay, an absolute honour to share a very special 27 year old news clip sent to me by @AcharyaAmrapali, sister of Maha Veer Major Padmapani Acharya MVC
---विज्ञापन---She was jumping excitedly in the stands when her brother, as a young Capt, led the very tall contingent of The… pic.twitter.com/kNWeLCNW0t
— Meghna Girish 🇮🇳 (@megirish2001) January 15, 2024
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फील्ड मार्शल आर्मी में टॉप पोस्ट
पहले आप यह जानिए की फील्ड मार्शल आर्मी में टॉप पोस्ट होती है। इंडियन आर्मी में अभी तक केवल दो ही ऑफिसर के एम करिअप्पा और सेम मानेकशॉ (Sam Manekshaw) रहे हैं जिन्हें सेना में यह फाइव स्टार रैंक (फील्ड मार्शल) से नवाजा गया है। आइए अब आपको केएम करिअप्पा का जीवन सफर बताते हैं।
भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा में किया सेना का नेतृत्व
जानकारी के अनुसार केएम करिअप्पा का जन्म साल 1899 में कर्नाटक के छोटे से गांव कुर्ग में हुआ था। उनका पूरा नाम कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा है। साल 1919 में महज 20 वर्ष की उम्र में उन्होंने आर्मी (उस समय ब्रिटिश इंडियन आर्मी) ज्वाइन की थी। ब्रिटिश आर्मी में सेवा देते हुए उनकी अलग-अलग जगहों पर तैनाती हुई और उन्होंने कई युद्धों में हिस्सा लिया था। साल 1947 में उन्होंने न केवल भारत-पाक युद्ध (Indo-Pakistani War 1947) में हिस्सा लिया बल्कि पश्चिमी सीमा में सेना का नेतृत्व भी किया था। इस युद्ध को इसलिए याद रखा जाता है क्योंकि इसमें न हमने अपने जम्मू और लद्दाख़ के इलाकों को दुश्मन से बचाया था बल्कि कश्मीर का तकरीबन दो-तिहाई हिस्से कंट्रोल कर लिया था।
इग्लैंड डिफेंस कॉलेज में प्रशिक्षण लिया
इंडियन आर्मी के कमांडर इन चीफ बनने से पहले के एम करियप्पा ने ईस्टर्न और वेस्टर्न कमांड में भारतीय सेना को लीड किया था। कई रेजिमेंट में ट्रांसफर होने के बाद वह Rajput रेजिमेंट में पहुंचे थे जो बाद में उनकी स्थायी बटालियन बनीं। कैप्टन V.VINOTH KANNA के अनुसार वह पहले इंडियन मिलिट्री ऑफिसर थे जिन्होंने स्टॉफ कॉलेज में ट्रेनिंग ली थी। इसके अलावा वह पहले दो इंडियन में से एक थे जिन्हें इंग्लैंड के Camberley स्थित डिफेंस कॉलेज में प्रशिक्षण के लिए भेजा गया था।
Nick Name था ‘किपर’
जानकारी के अनुसार के एम करिअप्पा को उनके साथी किपर के नाम से बुलाते थे। दरअसल, उनका नाम कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा लेना मुश्किल था। ऐसे में उनके साथ उन्हें प्यार से शॉर्ट में किपर कहने लगे। बताया जाता है कि उन्हें यह नाम उन्हें एक ब्रिटिश अधिकारी की पत्नी ने दिया था।
टिकट एकत्रित करने का शौक था
सेना के अधिकारी बताते हैं कि के एम करिअप्पा को टिकट संग्रह करने का शौक था। वह अपनी पोस्टिंग, ट्रेनिंग और पूरे कार्यकाल के दौरान देश के कई राज्यों और विदेशों में भी गए। हर जगह की टिकट उनके पास थी। उन्होंने अलग-अलग इम्पोर्टेंट डेट और लोगों के नाम की टिकट एकत्रित की थी।
जब बेटा पाकिस्तान में बंदी बना
साल 1965 भारत-पाकिस्तान युद्ध में करिअप्पा के बेटे नंदा करियप्पा को पाकिस्तान ने बंदी बना लिया। नंदा फ्लाइट लेफ्टिनेंट थे। उस समय पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान थे जिन्होंने कभी के एम करिअप्पा के अधीन काम किया था। जब के एम करिअप्पा को यह बात पता चली तो उन्होंने अयूब खान को फोन किया तब कहीं जाकर नंदा को रिहा किया गया।