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इंडोनेशिया में 7.1 की तीव्रता वाला भूकंप, क्या भारत की इमारतें झेल पाएंगी इतना तेज झटका

Major Earthquake In India : इंडोनेशिया के बाली सागर क्षेत्र में मंगलवार को 7.1 की तीव्रता का भूकंप आया। यूरोपीय-भूमध्यसागरीय भूकंप विज्ञान केंद्र (EMSC) के अनुसार, भूकंप का केंद्र इंडोनेशिया के मातरम से 201 किलोमीटर उत्तर में धरती की सतह से 518 किलोमीटर नीचे था। यहां पर बता दें कि इंडोनेशिया में कई ज्वालामुखी भी […]

Edited By : jp Yadav | Updated: Aug 29, 2023 10:54
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India Earthquake risk
India Earthquake risk

Major Earthquake In India : इंडोनेशिया के बाली सागर क्षेत्र में मंगलवार को 7.1 की तीव्रता का भूकंप आया। यूरोपीय-भूमध्यसागरीय भूकंप विज्ञान केंद्र (EMSC) के अनुसार, भूकंप का केंद्र इंडोनेशिया के मातरम से 201 किलोमीटर उत्तर में धरती की सतह से 518 किलोमीटर नीचे था।

यहां पर बता दें कि इंडोनेशिया में कई ज्वालामुखी भी सक्रिय हैं, जिससे इस देश में भूकंप के चलते खतरा कई गुना रहता है। 28 मार्च, 2005 में इंडोनेशिया में 8.6 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 1300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और इसे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा भूकंप माना गया। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर भारत में अगर 7 की तीव्रता का भूकंप आया तो क्या स्थिति बनेगी।

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भारत में बड़ी तबाही संभव

भारतीय विशेषज्ञ कितना भी बड़ा दावा क्यों ना करें, लेकिन अगर यहां पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता का भूकंप आया तो जान-माल का भारी नुकसान होगा। कुछ दिनों की लगातार बारिश और हल्के भूकंप से ही दिल्ली-एनसीआर समेत भारत के कई शहरों में मकानों में दरारों या फिर ढहने की खबरें आ जाती हैं। ऐसे में सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि अगर बढ़ा भूकंप आया तो बड़ी तबाही तय है।

खतरे में 59 प्रतिशत एरिया

विशेषज्ञों की मानें तो देश में व्यावसायिक इमारतें या फिर निजी घर, इनके निर्माम में भूकंप के मापदंडों का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखा जाता है। यही वजह है कि देश का 59 प्रतिशत एरिया भूकंप के लिहाज से खतरे में है। इसकी बड़ी वजह यह भी है कि इन 59 प्रतिशत एरिया में भूकंप संभावित 4 जोन में शामिल हैं।

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जोन-5 में आ सकता है 8-9 तीव्रता का भूकंप

मौसम विज्ञानी भी मानते हैं कि कुल 59 प्रतिशत भूकंप संभावित एरिया में 11 प्रतिशत इलाके भूकंप की आशंका वाले जोन-5 शामिल हैं। सबसे ज्यादा हाई रिस्क में सिस्मिक जोन 5 है, यहां पर 8 से 9 तीव्रता वाला भूकंप आने का खतरा बना रहता है। इस जोन में जम्मू-कश्मीर राज्य की कश्मीर घाटी के अलावा पश्चिमी हिमाचल भी है। जोन-5 में पूर्वी उत्तराखंड और गुजरात का कच्छ इलाका तो है ही, साथ ही उत्तरी बिहार, पूर्वोत्तर के सभी राज्य और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भी शामिल है।

जोन-4 में आता है दिल्ली-एनसीआर

दिल्ली-एनसीआर सिस्मिक जोन-4 में शामिल है। यहां पर 6 की तीव्रता से ऊपर का भूकंप आया तो भारी तबाही तय है, क्योंकि यहां पर कई इलाके बेहद सघन आबादी वाले हैं। दिल्ली के अलावा हरियाणा, राजस्थान और उत्तर के 25 जिले में सिस्मिक जोन में आते हैं। इन 25 जिलों में 6 करोड़ 13 लाख से अधिक लोग रहते हैं। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बड़ा भूकंप आने की स्थिति में यह जान-मान के लिए कितना घातक हो सकता है। यहां पर एक और बात बता दें कि सिस्मिक जोन-4 में 18 प्रतिशत इलाके भूकंप की आशंका वाले एरिया आते हैं। वहीं, जोन-2 और जोन-3 में 30 प्रतिशत एरिया शामिल है। जानकार यह भी बताते हैं कि दिल्ली में 80 प्रतिशत से अधिक इमारतें भूकंप रोधी नहीं हैं।

7 से अधिक भूकंप ने गुजरात में मचा दी थी तबाही

21 सदी की शुरुआत में 26 जनवरी, 2001 में गुजरात के कच्छ में 7.7 का भूकंप आया था। इसके बाद 2005 में कश्मीर में 7.6 की तीव्रता का भूकंप आया। वहीं, गुजरात के कच्छ में आए भूकंप के चलते 20 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।

 

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Written By

jp Yadav

First published on: Aug 29, 2023 10:54 AM

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