I am Perfect Example of Make in India: नई दिल्ली में कल यानी रविवार को G20 Summit के आखिरी दिन विश्व बैंक के प्रमुख अजय बंगा का एक बड़ा बयान सामने आया है। एक टीवी इंटरव्यू में बंगा ने कहा कि मैं मेक इन इंडिया का आदर्श उदाहरण हूं। टीवी चैनल के साथ विशेष बात में उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया कि वे भारत में ही पले-बढ़े हैं। यहीं से उन्होंने शिक्षा हासिल की है। उन्होंने किसी दूसरे देश में जाकर कोई विशेष पढ़ाई बी नहीं की है।
टीवी टुडे को दिए इंटरव्यू में विश्व बैंक के प्रमुख अजय बंगा ने कहा कि जीवन में सफलता पाने के लिए भाग्य की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत होती है, जबकि बाकी हिस्सा आपको अपनी मेहनत से ही हासिल करना होता है। इसके साथ ही सही मौका भुनाने की भी क्षमता मायने रखती है।
विश्व बैंक के सामने चुनौतियां भी हैं
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के जी-20 प्रेसीडेंसी के प्रमुख एजेंडे में से एक प्रमुख पॉइंट बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार करना भी है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन ने विश्व बैंक की जिम्मेदारी भारतीय मूल के अजय बंगा को सौंपी है। इस समय वाशिंगटन के नेतृत्व वाली पुरानी वैश्विक वित्तीय व्यवस्था के लिए चीन की बढ़ती चुनौती भी उनके सामने हैं।
बातचीत के दौरान विश्व बैंक प्रमुख अजय बंगा ने कहा कि वह वाशिंगटन प्रभुत्व वाली दुनिया से सहमत नहीं हैं। उन्होंने बताया कि विश्व बैंक के 55 प्रतिशत कर्मचारी अमेरिका से बाहर हैं। विश्व बैंक में सुधार के बारे में उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीनों में मैंने कई देशों के प्रमुख नेताओं और वित्त मंत्रियों से मुलाकात की है, जिससे मुझे एक स्पष्ट दृष्टिकोण मिला है।
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आसान प्रबंधन और सरल स्कोरकार्ड है हमारा लक्ष्य
अजय बंगा ने कहा कि विश्व बैंक के विकास का रोडमैप एक नया नजरिया, अपने मिशन को प्राप्त करने वाला और इसे समावेशी बनाना है। बदलाव के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में उन्होंने बताया कि हम आसान प्रबंधन और सरल स्कोरकार्ड पर जोर दे रहे हैं। इस दौरान बंगा ने चीन के मुद्दे पर भी बात की।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में दुनिया में चुनौतियों की भरमार है। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों से पार पाने के लिए संस्थाएं जितना प्रयास कर रही हैं, उससे कहीं ज्यादा करने की जरूरत है। विश्व बैंक प्रमुख ने कहा कि ‘हां, भू-राजनीति है और मैं इससे इनकार भी नहीं करता, लेकिन चीन भी एक शेयरधारक है। वो अब हमसे ज्यादा पैसा नहीं लेता है। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक के पास जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य सेवाओं समेत काम करने के लिए बहुत कुछ है, जो हमें आने वाले वर्षों तक व्यस्त रख सकता है।
भारत ने 6 साल में हासिल किया 47 साल का लक्ष्य
वाशिंगटन द्वारा विश्व बैंक के लिए ज्यादा पैसों की व्यवस्था करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि मैं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन से मिला। वह बैंक के संसाधनों के बारे में बहुत स्पष्ट थे। उन्होंने कहा कि अमेरिकी योगदान हमारी कमाई की क्षमताओं को बढ़ाता है।
इसके अलावा शुक्रवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व बैंक की ओर से तैयार की गई जी20 रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने केवल छह वर्षों में वित्तीय समावेशन लक्ष्य हासिल कर लिया है। वरना इस काम में कम से कम 47 साल लग जाते। बताया गया है कि इसके बाद पीएम मोदी ने ट्वीट करके जानकारी दी थी। उन्होंने लिखा था कि डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर से चलाए जा रहे वित्तीय समावेशन में भारत की छलांग! विश्व बैंक की ओर से तैयार जी20 रिपोर्ट में भारत के विकास पर एक बहुत ही दिलचस्प बिंदु साझा किया गया है।