अक्सर बारिश का मौसम आते ही कई तरह की आपदाएं भी आप देखते ही हैं। इसमें बाढ़, लैंडस्लाइड और बादल फटना जिसे हम इंग्लिश क्लाउडबर्स्ट जैसे हादसे हो जाते हैं। इन सब के कारण बहुत नुकसान होता है। कितनी सारी चीजों में हानि देखने को मिलती है। घर बर्बाद हो जाते हैं। किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है। इन सभी घटनाओं के बीच बादल फटना भी एक बहुत बड़ी समस्या है। ये ज्यादातर पहाड़ों पर देखने को मिलता है। हाल ही में उत्तरकाशी में बादल फटने से कई घर बह गए। इससे काफी नुकसान देखने को मिला है। आखिर बादल क्यों फटते हैं? क्या है इसका कारण हैं? चलिए इसके बारे में पूरी डिटेल जान लेते हैं। हालांकि, इससे भी कई बादल फटने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
बादल कब फटते हैं?
बादल फटना एक ऐसी घटना है, जिसमें अचानक इसके फटने से भारी बारिश देखने को मिलती है। यह कुछ देर या घंटों तक भी रह सकती है, लेकिन असर काफी भयंकर होता है। बादल फटने की घटनाएं अक्सर मानसून में देखने को मिलती है। इसके अलावा जहां बारिश लगातार होती रहती है, वहां भी बादल फट जाता है। ये सब वातावरण में ज्यादा नमी होने से भी होता है। आपको यह पहाड़ी क्षेत्र जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और पूर्वोत्तर राज्यों में बहुत नॉर्मल ही होता है। दोपहर या रात में अक्सर बादल फटते हैं या कभी-कभी सुबह भी बादल फटने की आपदा सामने आ जाती है। जब वातावरण में नमी और गर्मी का लेवल हाई होता है, तभी बादल फटते हैं।
बादल क्यों फटते हैं?
बादल फटने का पूरा प्रोसेस साइंस से जुड़ा है और इसके पीछे का कारण बहुत बातों से जुड़ा हुआ है। जब गर्म हवा नमी से भरे हुए बादल को ऊपर की तरफ लेकर जाती है, त इससे बादल ठंडी हवा के टच में आता है और ठंड़ा हो जाता है। इससे बादल में मौजूद वाटर वेपर तेजी से पानी को बूंद में चेंज करता है, इससे भारी बारिश होती है। पहाड़ों की ढलान की वजह से हवा तेजी से ऊपर की ओर जाती है, जिससे बादल बनते हैं और स्पीड से बारिश करते हैं। मानसून के दौरान कम प्रेशर वाले एरिया में गर्म और नमी तेजी से ऊपर की ओर जाती है, इससे भी बादल फटने की घटना देखने को मिलती है। गर्म और ठंडी हवाओं का आपस में टकराने से भी बादल फटता है। बढ़ता टेंपरेचर और क्लाइमेट चेंज होने से भी मौसम में बदलाव आता है।
क्युमुलोनिम्बस बादल किसे बोलते हैं ?
ये जो आप बादल फटते की घटना देखते हैं, उसे क्युमुलोनिम्बस बादल (Cumulonimbus Clouds) बोलते हैं। क्योंकि बादल फटने का मतलब है पानी की छोटी- छोटी बूंदें जो आपस में टकराकर एक विकराल रूप धारण करती हैं और इसे हम लैंगमुइर प्रेसिपिटेशन प्रोसेस (Langmuir Precipitation Process) बोलते हैं। इसमें आपको बारिश की बड़ी-बड़ी बूंदें धीरे-धीरे नीचे गिरती हैं और छोटी बूंद बनकर आती हैं।
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