Lancet study on Climate Change: प्रतिष्ठित पत्रिका लैंसेट ने गर्मी से होने वाली मौतों को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। मंगलवार को प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार अगर इस सदी के अंत तक तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ेतरी होती है तो गर्मी से होने वाली मौतों में 370 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। बता दें लैंसेट ने जलवायु परिवर्तन को लेकर 8वीं रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण आज दुनियाभर के लोग जीवन और आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लैंसेट काउंटडाउन के कार्यकारी निदेशक ने लंदन स्थित एक काॅलेज में दिए अपने बयान में कहा कि तापमान में हो रही वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना जरूरी है वरना इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। उन्होंने बताया कि हमें औद्योगिक उत्पादन को सीमित करना होगा। अभी भी प्रति सैकंड 1337 टन कार्बनडाई ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। हमें कार्बन उत्सर्जन में कमी लानी होगी।
As world approaches "irreversible harm," deaths due to heat may rise fivefold: Lancet study
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गर्मी से हो रही मौतों में 85 फीसदी से अधिक की वृद्धि
रोमनेलो ने बयान में कहा, अभी भी उम्मीद की गुंजाइश है। उन्होंने बताया कि मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन के कारण 1991-2000 की तुलना में 2013-2022 में 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में गर्मी से संबंधित मौतों में 85% की वृद्धि हुई। जो तापमान में बदलाव नहीं होने पर 38% वृद्धि से काफी अधिक है। विश्लेषण में दावा किया गया है कि 1981 से 2010 की तुलना में 2021 में 122 देशों में 127 मिलियन से अधिक लोगों को गंभीर खाद्य संकट का सामना करना पड़ा है।
रिपोर्ट के अनुसार बदलते मौसम के मिजाज से जानलेवा संक्रामक बीमारियां तेजी से फैल रही है। गर्म समुद्रों ने विब्रियो बैक्टीरिया के प्रसार के लिए समुद्र तट के क्षेत्र को 1982 के बाद से हर साल 329 किमी तक बढ़ा दिया है जो लोगों की बीमारी और मृत्यु का कारण बन सकता है। इस परिवर्तन के कारण रिकॉर्ड 1.4 बिलियन लोगों को डायरिया जैसे गंभीर रोग होने का खतरा है।
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