स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से बढ़ा अपडेट हैं। मंत्रालय ने फिजियोथैरेपिस्ट को अपने नाम से पहले डॉक्टर लिखने पर आपत्ति जताई है। इसके लिए मंत्रालय में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) को पत्र लिखा है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने कहा कि फिजियोथेरेपिस्ट को अपने नाम के आगे “डॉक्टर” शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि वे मेडिकल डॉक्टर नहीं हैं। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय की डॉ. सुनीता शर्मा ने आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिलीप भानुशाली को लिखे पत्र में कहा कि एक आधिकारिक समिति ने दोहराया है कि फिजियोथेरेपी में योग्यता रखने वाले व्यक्ति “किसी भी परिस्थिति में अपने नाम के आगे ‘डॉ’ लगाने के हकदार नहीं हैं।
महानिदेशालय ने बताया कारण
महानिदेशालय ने कारण बताते हुए कहा है कि निदेशालय को भारतीय भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास संघ (आईएपीएमआर) समेत कई संगठनों से फिजियोथेरेपिस्टों द्वारा अपने नाम के आगे “डॉ.” और “पीटी” लिखने की कड़ी आपत्तियां प्राप्त हुई हैं। इस वजह से महानिदेशालय ने साफ किया है कि फिजियोथेरेपिस्ट नाम के आगे डॉक्टर का प्रयोग नहीं करेंगे।
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केवल ये कर सकते हैं प्रयोग
मंत्रालय ने पत्र में लिखा कि “डॉ” शब्द का प्रयोग केवल पंजीकृत चिकित्सा चिकित्सकों के लिए आरक्षित है। डीजीएचएस ने साफ किया है कि फिजियोथेरेपिस्ट “डॉ” उपसर्ग का उपयोग करने के हकदार नहीं हैं।
अन्य उपाधि पर हो सकता है विचार
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने निर्देश दिया है कि फिजियोथेरेपी के लिए योग्यता आधारित पाठ्यक्रम अनुमोदित पाठ्यक्रम 2025 में फिजियोथेरेपिस्ट के लिए “डॉ.” उपसर्ग का प्रयोग तत्काल हटा दिया जाए। महानिदेशालय ने कहा कि फिजियोथेरेपी के स्नातकों और स्नातकोत्तरों के लिए, रोगियों या जनता के लिए अस्पष्टता पैदा किए बिना, एक अधिक उपयुक्त और सम्मानजनक उपाधि पर विचार किया जा सकता है।
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उल्लघंन करने पर होगी कार्रवाई
महानिदेशालय ने साफ किया है कि अगर कोई फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर लगाकर नियमों का उल्लघंन करता है, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। कहा कि बिना किसी मान्यता प्राप्त चिकित्सा योग्यता के “डॉक्टर” उपाधि का उपयोग करने वाला कोई भी फिजियोथेरेपिस्ट भारतीय चिकित्सा उपाधि अधिनियम, 1916 के प्रावधानों का उल्लंघन करेगा। ऐसा उल्लंघन अधिनियम की धारा 6 और 6ए के उल्लंघन के लिए धारा 7 के तहत कार्रवाई का कारण बनता है।