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एसजीपीसी ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानने से किया इन्कार, दायर की जाएगी पुनर्विचार याचिका

चंडीगढ़: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के कार्यकारी निकाय ने शुक्रवार को हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) (एचएसजीएमसी) अधिनियम, 2014 को मान्य करने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को राजनीति से प्रेरित करार देते हुए खारिज कर दिया। एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में एक विशेष प्रस्ताव पारित किया गया। जिसमें […]

Edited By : Pushpendra Sharma | Updated: Sep 25, 2022 23:19
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चंडीगढ़: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के कार्यकारी निकाय ने शुक्रवार को हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) (एचएसजीएमसी) अधिनियम, 2014 को मान्य करने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को राजनीति से प्रेरित करार देते हुए खारिज कर दिया। एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में एक विशेष प्रस्ताव पारित किया गया। जिसमें कहा गया, जब सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 लागू है, तब यह राज्य सरकार द्वारा पारित गुरुद्वारा अधिनियम एसजीपीसी के अधिकार क्षेत्र को प्रभावित नहीं कर सकता।

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बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए धामी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का एक राजनीतिक कोण है और उनमें से एक न्यायाधीश का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से सीधा संबंध है। इसलिए यह निर्णय राजनीतिक हितों से प्रेरित है। उन्होंने कहा, इसके लिए एक सबूत जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा।

समीक्षा की जाएगी दायर
धामी ने आगे बताया कि कार्यकारी समिति एसजीपीसी की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था ने समीक्षा याचिका दायर करने का फैसला किया है और 30 सितंबर को अमृतसर में भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए एसजीपीसी के सभी सदस्यों की एक विशेष बैठक बुलाई गई है।

कार्यकारी निकाय ने हरियाणा सरकार को सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 के तहत कार्यरत किसी भी गुरुद्वारा साहिब या संस्थानों को अपने कब्जे में लेने से आगाह किया। उन्होंने कहा, सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1925 में कोई संशोधन करने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है और वह भी एसजीपीसी के सामान्य सदन की मंजूरी के बाद।

राज्य सरकारों को अधिकार नहीं
धामी ने कहा, राज्य सरकारें सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1925 के अधिकार क्षेत्र को कम नहीं कर सकती हैं। समय-समय पर सरकारों ने सिख शक्ति को कमजोर करने और एसजीपीसी मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए रणनीति अपनाई है, लेकिन वे पंथ की एकता के आगे कभी सफल नहीं हुए। उन्होंने कहा, ऐसा प्रयास 1959 में किया गया था लेकिन सिखों के विरोध के कारण सफल नहीं हो सका।

हो चुका है समझौता
सिखों के विरोध के बाद अप्रैल 1959 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष मास्टर तारा सिंह के बीच एक समझौता हुआ, जिसके तहत सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 में संशोधन करने के लिए एसजीपीसी के जनरल हाउस की मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया गया।

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सिख समुदाय दुखी
उन्होंने कहा कि सिख समुदाय इस बात से दुखी है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसका मूल संगठन आरएसएस भी कांग्रेस के नक्शेकदम पर चल रहा है। हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री (सीएम) भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एसजीपीसी को तोड़ने के लिए असंवैधानिक साजिश के तहत एक्ट पास करने की कोशिश की। बीजेपी सरकार ने भी ऐसा ही किया। उन्होंने कहा कि पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी अकाली सरकार के दौरान दायर एक हलफनामे को बदलकर सिख विरोधी होने का सबूत पेश किया और आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा का समर्थन किया।

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Written By

Pushpendra Sharma

Edited By

Manish Shukla

First published on: Sep 24, 2022 02:53 AM

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